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कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की कुपोषण के खिलाफ मुहिम,,,,, एसपी ने 2 बच्चे गोद लिए,,,, *अकेला चना भाड़ छोड़ सकता है*

कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की कुपोषण के खिलाफ मुहिम,,,,, एसपी ने 2 बच्चे गोद लिए,,,, *अकेला चना भाड़ छोड़ सकता है*

एनआरसी में लगने लगी कुपोषित बच्चों की भीड़

अधिकारी कुपोषित बच्चों को ले रहे हैं गोद

कलेक्टर ने शुरू की कुपोषण के खिलाफ तेज मुहिम

कहावत है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता पर लगता है अब यह कहावत बदल रही है क्योंकि पन्ना जिले में एक व्यक्ति के बदलने से पूरा हालात बदल जाते हैं ऐसा ही अब फिर एक मामला चर्चा में है और उसका असर भी दिखाई देने लगा है पन्ना के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने जिले में कुपोषण के खिलाफ व्यक्तिगत रुचि के आधार पर मुहिम चला रखी है इसका परिणाम सामने दिखाई देने लगा है क्योंकि जो पोषण पुनर्वास केंद्र महिला बाल विकास की लापरवाही के कारण खाली पड़े रहते थे अब उन पोषण पुनर्वास केंद्रों में भारी भीड़ नजर आने लगी है

गांव की जिस भी गली में देखा जाए हर जगह कुपोषित बच्चे देखने को मिल रहे हैं सरकारी रिकॉर्ड में भले ही कुपोषण ना हो लेकिन इसकी जमीनी हकीकत एकदम उलट थी और यही कारण है की धरातल में कुपोषण होने के बावजूद ग्राउंड की सच्चाई सामने नहीं आ पा रही थी अब कलेक्टर पन्ना की प्रयास से पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों की भारी भीड़ जुट रही है और कलेक्टर ने निजी रुचि के आधार पर अधिकारियों से कुपोषण दूर करने की मुहिम में शामिल होने की अपील की और कहा कि जो कुपोषित बच्चे हैं उनका कुपोषण दूर करने के लिए उन्हें गोद लिया जाए और उनका कुपोषण दूर करने अपने निजी संसाधनों से पहल भी करें उन्होंने स्वयं भी पोषण पुनर्वास केंद्र पन्ना जाकर एक बच्चे को गोद लिया और उसका यह परिणाम हुआ कि मैं अकेला ही चला था कारवां जुड़ता गया और उनके साथ साथ अब तमाम अधिकारी भी कुपोषित बच्चों को गोद ले रहे हैं
आज पन्ना की तहसीलदार दीपक चतुर्वेदी और पटवारी वीरेंद्र त्रिपाठी ने भी एक एक बच्चे को गोद लिया है

एसपी ने दो बच्चे लिए गोद

पन्ना एसपी मयंक अवस्थी ने कलेक्टर की मुहिम से जोड़ते हुए देवेंद्र नगर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती दो बच्चों को गोद लिया है और इन बच्चों की कुपोषण दूर होने तक परवरिश एसपी मयंक अवस्थी करेंगे हालांकि यह तय नहीं है कि जो व्यक्ति गोद कुपोषित बच्चों को ले रहा है वह क्या मदद करेगा पर इतना स्पष्ट है कि यदि गोद लिया जाता है तो खाने-पीने दिख रहा की व्यवस्था करेंगे जिससे इन वासु गरीब बच्चों का कुपोषण दूर होगा और उनका स्वास्थ्य ठीक हो सकेगा

कलेक्टर की जाते ही ठप हो जाते हैं उनकी विशेष प्रोग्राम

अच्छी बात है कि कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने कुपोषण के खिलाफ तेज मुहिम शुरू की है इसका फायदा गरीब कुपोषित असहाय बच्चों को जरूर मिलेगा कुपोषित बच्चों की मदद करने वाले लोगों को पुण्य भी प्राप्त होगा पर सच है कि जब कोई कलेक्टर अपने व्यक्तिगत रूचि से कोई अच्छा प्रोग्राम शुरू करता है तो उनकी जाते ही पूरे प्रोग्राम ठप हो जाते हैं जैसे धरम सागर तालाब की खुदाई तत्कालीन कलेक्टर शिव नारायण सिंह चौहान की निजी प्रयास और जनभागीदारी से हुए थे उनके स्थानांतरण होते ही धरम सागर की खुदाई और घाट निर्माण का कार्य ठप हो गया जानलेवा सरिया अब भी निकले हुए हैं पर उनको ढकने वाला भी 3 साल में कोई नहीं मिला
इसी तरह तत्कालीन कलेक्टर अजीत कुमार ने छोटे-छोटे अस्पतालों में डिलीवरी और स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की मुहिम शुरू की थी उनके जाते ही स्वास्थ्य विभाग आहें भरने लगा इसी तरह कई मामले हैं जब निजी प्रयासों से सफलताएं तो अच्छी मिलती है पर उनके जाते ही प्रोग्राम थप्पड़ जाते हैं इसलिए कहावत भी बदली जा सकती है कि अकेला चना भाड़ छोड़ता है


✎ शिव कुमार त्रिपाठी

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