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पन्ना का प्राकृतिक सौंदर्य

पन्ना का प्राकृतिक सौंदर्य

बारिश की बूंदों से निखरा पन्ना के जंगलों का सौंदर्य

जीवंत हो उठे झरनों को देख मंत्र मुग्ध हो रहे पर्यटक
पन्ना के जंगलों में झरनों व जल प्रपातों की है भरमार

पन्ना जिले में पिछले कई दिनों से रुक रुककर हो रही बारिश के चलते पन्ना
टाईगर रिज़र्व सहित आसपास की पहाडिय़ों से गिरने वाले झरने जीवंत हो उठे हैं। बारिश की फुहारों से जंगल, पहाड़ व मैदान सभी का सौंदर्य निखर उठा है। प्रकृति का यह अप्रतिम सौन्दर्य हर किसी को मोहित कर रहा है। मन्दिरों के शहर पन्ना के आसपास हरी-भरी पहाडिय़ों से गिरने वाले झरने ऐसा सौन्दर्य बिखेर रहे हैं, जिसे देख लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। प्रकृति के अल्हड़पन, खूबसूरती व सौन्दर्य का ऐसा नजारा बारिश के मौसम में ही नजर आता है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना में घने जंगलों के बीच से प्रवाहित होने वाली केन नदी का अप्रतिम सौन्दर्य इन दिनों देखने जैसा है। अपने जेहन में अनगिनत खूबियों को समेटे यह अनूठी नदी डग-डग पर सौन्दर्य की सृष्टि करती तथा
पग-पग पर प्राकृतिक सुषमा को बिखेरती हुई प्रवाहित होती है। लेकिन किसी नदी का ऐसा अद्भुत सौन्दर्य शायद ही कहीं देखने को मिले जो रनेह फाल में नजर आता है। पन्ना टाइगर रिजर्व में आने वाला यह अनूठा स्थल खूबियों और विशेषताओं से भरा है। लाल रंग के ग्रेनाइट व काले पत्थरों के बीच से केन नदी की दर्जनों धारायें विविध मार्गों से प्रवाहित होकर जब नीचे गिरती हैं तो प्रकृति प्रेमी पर्यटक अपनी सुध-बुध खो देते हैं। बारिश के मौसम में जब केन नदी उफान पर होती है उस समय रनेह फाल के सौन्दर्य को निहारना कितना आनन्ददायी है, इसकी अनुभूति यहां पहुँचकर ही की जा सकती है। लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से जल की धारा को नीचे गहराई पर गिरते हुए देख पर्यटक विष्मय विमुग्ध हो जाते हैं। विशेष गौरतलब बात यह है कि रनेह फाल को केन घडिय़ाल सेन्चुरी के रूप में विकसित किया गया है। यहां केन नदी के अथाह जल में दर्जनों की संख्या में घडिय़ाल अठखेलियां करते हैं। खूबसूरत नदी,रंग बिरंगी चट्टाने व घडिय़ालों का एक ही जगह पर समागम दुर्लभ और बेजोड़ है। इसीलिए हीरों की धरती के बारे में कहा जाता है कि इस धरा को प्रकृति ने अनुपम उपहारों से समृद्ध किया है। अकेले पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ही ऐसे अनेकों झरने व जल प्रपात हैं जो किसी को भी सम्मोहित करने की क्षमता रखते हैं। पन्ना से लगभग 12 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित पाण्डव जल प्रपात व उसके पास ही भैरव घाटी से कैमासन फाल का अनुपम सौन्दर्य देखते ही बनता है। पन्ना टाइगर रिजर्व का पाण्डव जल प्रपात प्रकृति का एक ऐसा तोहफा है जिसे देखने व यहां की प्राकृतिक सुषमा के बीच कुछ क्षण बिताने के लिए लोग खिंचे चले आते हैं। इस जल प्रपात में भी लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है। नीचे पानी का विशाल कुण्ड तथा आस-पास बनी प्राचीन गुफायें प्रपात की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के समय पाण्डवों ने इस प्रपात के किनारे बनी गुफाओं में कुछ समय व्यतीत किया था। इसी मान्यता के चलते इस प्रपात का नाम पाण्डव प्रपात पड़ा है। पन्ना जिले में मौजूद दर्जनों खूबसूरत प्रपातों के कारण ही इस जिले को हीरों, मन्दिरों व झरनों की भूमि कहा जाता है।

बृहस्पति कुण्ड का सौन्दर्य है बेमिशाल

पन्ना से लगभग 30 किमी दूर स्थित बृहस्पति कुण्ड का सौन्दर्य आज भी बेमिशाल है। इस कुण्ड में रत्नगर्भा बाघिन नदी ऊंचाई से गिरती है,फलस्वरूप इस नदी के प्रवाह क्षेत्र में बेशकीमती हीरे मिलते हैं। हीरों की खोज में सैकड़ों लोग यहां पर खदान लगाते हैं जिससे यहां की प्राकृतिक खूबी तिरोहित हो रही है। वन औषधियों व जड़ी-बूटियों से समृद्ध इस खूबसूरत स्थल का यदि सुनियोजित विकास करके यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य का संरक्षण किया जाय तो यह स्थल भी पाण्डव जल प्रपात की तरह देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है। लेकिन पर्यटन विकास की
अनगिनत खूबियों के बावजूद यह मनोरम स्थल उपेक्षित है


✎ शिव कुमार त्रिपाठी

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