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बाघों की निगरानी में ड्रोन, पन्ना टाइगर रिजर्व मैं सुरक्षा की तीसरी आंख

ड्रोन से पन्ना टाइगर रिर्जव की निगरानी का सफल प्रयोग शुरू 
बिदेशी टेक्नाॅलाॅजी का प्रथम प्रयोग
 मध्यप्रदेश के पहले टाइगर रिर्जव मे शुरू हुआ प्रयोग 

पन्ना (शिवकुमार त्रिपाठी) बाधो तथा वन्य-प्राणियो की निगरानी के लिये डव्लूआईआई के  सहयोग से भारत मे पहली बार मानब रहित रिमोट कंटोल से संचालित ड्रोन के माध्यम से प्रायौगिक प्रयास शुरू कर दिया गया है बाइल्ड लाईफ इंस्टीटीयूड आॅफ इंडिया के  संयोजन मे यह कार्य पन्ना मे किया जा रहा है भारत के उदयन विभाग से  अनुमति के बाद पन्ना मे यह विमान उडाये गये लगभग 40 किलोमीटर का लाइव वीडियो देता है जिसमे उच्च क्षमता के नाइट बिजन कैमरे भी लगे हुये है और 2 अन्य छोटे ड्रोन उडाये जा रहे है यह ड्रोन 50 किलोमीटर प्रति ध्ंाटा की गति से उडकर आॅटो पाॅयलट होने के कारण उसी स्थान पर बापस आ जाता है दुनिया की सर्वेक्षेष्ठ टेक्नाॅलाॅजी का वन्य प्राणियो के संरक्षण मे प्रयोग किया जायेगा 
– इसके लिये डव्लूआईआई के 2 प्रशिक्षक पन्ना पहुॅचकर ड्रोन का सफल प्रयोग कर रहे है टाइगर रिर्जव प्रबंधन को उम्मीद है कि इससे अच्छे परिणाम सामने आयेगे और यह मध्यप्रदेश का पहला प्रयोग इस टाइगर रिर्जव मे किया जा रहा है 
– पन्ना टाइगर रिर्जब एक समय बाध विहीन हो गया था और फिरबाधो को बसाने टाइगर रिलोकेशन प्रांे्रगा्रम चलाया जा रहा है जिसमे बाधो की संख्या बढ रही है और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के लिये नई टेक्नाॅलाॅजी का प्रयोग कर शिकार रोकने मे मदद मिलेगी 
टाइगर के जीवन मे पैदा हो रहे खतरे और शिकारियो के नित-नये प्रयासो पर अंकुश लगाने कम खर्चे पर अच्छी सुरक्षा ड्रोन के माध्यम से की जा सकती है लेकिन हालाकि इस तरह के कारगार प्रयोग देश के पहले टाइगर रिर्जव मे हो रहे है

बारिश की बूंदों से निखरा पन्ना के जंगलों का सौंदर्य

जीवंत हो उठे झरनों को देख मंत्र मुग्ध हो रहे पर्यटक
पन्ना के जंगलों में झरनों व जल प्रपातों की है भरमार

पन्ना जिले में पिछले कई दिनों से रुक रुककर हो रही बारिश के चलते पन्ना
टाईगर रिज़र्व सहित आसपास की पहाडिय़ों से गिरने वाले झरने जीवंत हो उठे हैं। बारिश की फुहारों से जंगल, पहाड़ व मैदान सभी का सौंदर्य निखर उठा है। प्रकृति का यह अप्रतिम सौन्दर्य हर किसी को मोहित कर रहा है। मन्दिरों के शहर पन्ना के आसपास हरी-भरी पहाडिय़ों से गिरने वाले झरने ऐसा सौन्दर्य बिखेर रहे हैं, जिसे देख लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। प्रकृति के अल्हड़पन, खूबसूरती व सौन्दर्य का ऐसा नजारा बारिश के मौसम में ही नजर आता है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना में घने जंगलों के बीच से प्रवाहित होने वाली केन नदी का अप्रतिम सौन्दर्य इन दिनों देखने जैसा है। अपने जेहन में अनगिनत खूबियों को समेटे यह अनूठी नदी डग-डग पर सौन्दर्य की सृष्टि करती तथा
पग-पग पर प्राकृतिक सुषमा को बिखेरती हुई प्रवाहित होती है। लेकिन किसी नदी का ऐसा अद्भुत सौन्दर्य शायद ही कहीं देखने को मिले जो रनेह फाल में नजर आता है। पन्ना टाइगर रिजर्व में आने वाला यह अनूठा स्थल खूबियों और विशेषताओं से भरा है। लाल रंग के ग्रेनाइट व काले पत्थरों के बीच से केन नदी की दर्जनों धारायें विविध मार्गों से प्रवाहित होकर जब नीचे गिरती हैं तो प्रकृति प्रेमी पर्यटक अपनी सुध-बुध खो देते हैं। बारिश के मौसम में जब केन नदी उफान पर होती है उस समय रनेह फाल के सौन्दर्य को निहारना कितना आनन्ददायी है, इसकी अनुभूति यहां पहुँचकर ही की जा सकती है। लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से जल की धारा को नीचे गहराई पर गिरते हुए देख पर्यटक विष्मय विमुग्ध हो जाते हैं। विशेष गौरतलब बात यह है कि रनेह फाल को केन घडिय़ाल सेन्चुरी के रूप में विकसित किया गया है। यहां केन नदी के अथाह जल में दर्जनों की संख्या में घडिय़ाल अठखेलियां करते हैं। खूबसूरत नदी,रंग बिरंगी चट्टाने व घडिय़ालों का एक ही जगह पर समागम दुर्लभ और बेजोड़ है। इसीलिए हीरों की धरती के बारे में कहा जाता है कि इस धरा को प्रकृति ने अनुपम उपहारों से समृद्ध किया है। अकेले पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ही ऐसे अनेकों झरने व जल प्रपात हैं जो किसी को भी सम्मोहित करने की क्षमता रखते हैं। पन्ना से लगभग 12 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित पाण्डव जल प्रपात व उसके पास ही भैरव घाटी से कैमासन फाल का अनुपम सौन्दर्य देखते ही बनता है। पन्ना टाइगर रिजर्व का पाण्डव जल प्रपात प्रकृति का एक ऐसा तोहफा है जिसे देखने व यहां की प्राकृतिक सुषमा के बीच कुछ क्षण बिताने के लिए लोग खिंचे चले आते हैं। इस जल प्रपात में भी लगभग 30 मीटर की ऊंचाई से पानी गिरता है। नीचे पानी का विशाल कुण्ड तथा आस-पास बनी प्राचीन गुफायें प्रपात की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के समय पाण्डवों ने इस प्रपात के किनारे बनी गुफाओं में कुछ समय व्यतीत किया था। इसी मान्यता के चलते इस प्रपात का नाम पाण्डव प्रपात पड़ा है। पन्ना जिले में मौजूद दर्जनों खूबसूरत प्रपातों के कारण ही इस जिले को हीरों, मन्दिरों व झरनों की भूमि कहा जाता है।

बृहस्पति कुण्ड का सौन्दर्य है बेमिशाल

पन्ना से लगभग 30 किमी दूर स्थित बृहस्पति कुण्ड का सौन्दर्य आज भी बेमिशाल है। इस कुण्ड में रत्नगर्भा बाघिन नदी ऊंचाई से गिरती है,फलस्वरूप इस नदी के प्रवाह क्षेत्र में बेशकीमती हीरे मिलते हैं। हीरों की खोज में सैकड़ों लोग यहां पर खदान लगाते हैं जिससे यहां की प्राकृतिक खूबी तिरोहित हो रही है। वन औषधियों व जड़ी-बूटियों से समृद्ध इस खूबसूरत स्थल का यदि सुनियोजित विकास करके यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य का संरक्षण किया जाय तो यह स्थल भी पाण्डव जल प्रपात की तरह देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है। लेकिन पर्यटन विकास की
अनगिनत खूबियों के बावजूद यह मनोरम स्थल उपेक्षित है

पन्ना जिले के गुनौर थाना अंतर्गत ग्राम पालिका कला में अजीबो गरीब जानवर पेंगोलिन मिला है जिसे देखकर लोग अचंभित रह गए इस दुर्लभ जानवर को देखने के बाद चारों ओर से भीड़ इकट्ठी हो गई, गांव में देखने वालों का तांता  लग गया और  गांव वाले   इसे आनेको नाम देने लगे कोई जंगली नेवला तो कोई सरकंडे नाम बता रहा तो कोई पेंगोलिन  नाम दे रहा हालांकि इस जानवर के नाम की पुष्टि तब हुई जब फॉरेस्ट ऑफिसर ने इसका नाम पैंगोलिन बताया और उन्होंने बताया यह जानवर ना तो जहरीला होता है और यह किसी भी मौसम में कहीं भी आ जा सकता है जिसको वन विभाग की टीम ने स्वस्थ पाकर डीएफओ के आदेश पर गुनौर जंगल में छोड़ दिया गया
एस पी सिंह बुन्देल रेंज ऑफिसर सलेहा ने बताया कि इस जानवर को कोई नुकसान ना पहुंचे इसके लिए फॉरेस्ट की टीम को अलर्ट कर दिया गया है रंगोली बहुत कम देखने को मिलता है यह कैसे और कहां से आया इसका भी पता लगाया जा रहा है निश्चित ही पन्ना की जंगलों में तमाम दुर्लभ प्राणी है जो कभी ना कभी निकलकर रिहायशी क्षेत्रों में आ जाते हैं और इनकी सुरक्षा करना वन विभाग का दायित्व

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार दोपहर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे। विगत जून माह से वे अस्पताल में भर्ती थे।  उनकी किडनी, नली में संक्रमण, सीने में जकड़न और पेशाब की नली में संक्रमण होने के चलते एम्स में भर्ती कराए गए थे। एम्स ने आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने 5 बजकर 5 मिनट पर अंतिम सांस ली|  अस्पताल में वाजपेयी जी को वेंटिलेटर पर रखा गया  था। उनके निधन की सूचना के बाद भाजपा के दिल्ली कार्यालय व अटल जी के निवास पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी तादाद में भीड़ बढ़ने लगी है। देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री जिनमें शिवराज सिंह चौहान उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ सहित अन्य तमाम नेता भी दिल्ली पहुंच गए हैं।

आज सुबह एम्स की तरफ से हेल्थ बुलेटीन जारी किया गया था। बुलेटिन में उनकी हालत नाजुक बताई गई थी। पिछले 24 घंटे में उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू समेत कई बड़े नेताओं ने एम्स पहुंचकर उनका हाल जाना था। पिछले 3 दिनों से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी। इसी को देखते हुए बुधवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम नेता उनके स्वास्थ्य जानने अस्पताल पहुंचे थे। रात में उनकी तबीयत और बिगड़ती चली गई। इसी बीच उनके तमाम परिजनों को खबर कर दिल्ली आने को कह दिया गया था और आखिरकार गुरुवार दोपहर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से ना केवल भारत बल्कि समूचा विश्व स्तब्ध रह गया। देश ने एक ऐसे नेता को दिया जो राजनीति की अभूतपूर्व मिसाल थे।

बता दे कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को जन्म अटल बिहारी वाजपेयी की कविताओं की किताबें खूब पॉपुलर रही हैं, और उनकी कविताओं को कई मंचों पर गाया भी जाता रहा है। भारतीय राजनीति में अटल-आडवाणी की जोड़ी हमेशा चर्चा में रहती थी। भाजपा के दोनों दिग्गज नेताओं ने मिलकर पार्टी को सत्ता के शिखर तक पहुँचाया। अटल बिहारी की भाषण शैली और उनकी बेबाकी के लिए विपक्ष भी हमेशा उनकी सराहना करता रहा है।अटल बिहारी वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री बने। सबसे पहले वे 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने।  दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने। सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने बाद 1999 में फिर आम चुनाव हुए। 13 अक्टूबर को वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे हैं।

राजनीति से लेकर फिल्मों तक गहरा नाता

अटल बिहारी वाजपेयी की किताबों में ‘न दैन्यं न पलायनम्’, ‘मृत्यु और हत्या’ और ‘अमर बलिदान’ प्रमुख हैं, और उनकी कविताओं को युवाओं में खूब पढ़ा जाता है, उनकी किताबें युवाओं के बीच काफी पॉपुलर हैं। राजनीति में रहने के साथ-साथ उनका साहित्य, कविताओं और फिल्मों से भी खास नाता रहा है। अटल जी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री और मथुरा से बीजेपी की सांसद हेमा मालिनी के बहुत बड़े प्रशंसक थे। अटल जी को हेमा मालिनी की 1972 में आई फिल्म सीता और गीता इतनी पसंद आयी थी कि उन्होंने इस फिल्म को 25 बार देखा था। इस बात का खुलासा खुद हेमा मालिनी ने किया था। 

इंदिरा गांधी को कहा था ‘दुर्गा’

कहा जाता है कि 1971 में भारत-पाकिस्‍तान युद्ध की पृष्‍ठभूमि में संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने संबोधन में इंदिरा गांधी को ‘दुर्गा’ कहकर संबोधित किया। वह उस दौरान हालांकि विपक्ष के नेता थे लेकिन युद्ध में भारत की उल्‍लेखनीय सफलता और इंदिरा गांधी की भूमिका के कारण उनको ‘दुर्गा’ कहकर संबोधित किया। उस युद्ध में बांग्‍लादेश का उदय हुआ और पाकिस्‍तान के 93 हजार सैनिकों को भारतीय सेना ने बंधक बनाया। हालांकि बाद के वर्षों में इस पर विवाद खड़ा हुआ कि क्‍या वाजपेयी ने ऐसा कहा था या नहीं।इस संबंध में वरिष्‍ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की किताब ‘हार नहीं मानूंगा- एक अटल जीवन गाथा’ में इस बात का जिक्र किया है। इस किताब में दावा किया गया है कि एक बैठक में वाजपेयी ने कहा था इंदिरा ने अपने बाप नेहरू से कुछ नहीं सीखा। मुझे दुख है कि मैंने उन्हें दुर्गा कहा।

अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में 10 अनसुनी बातें

-अटल बिहारी वाजपेयी पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्‍होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था।

-अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में पहली बार 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने थे।

-पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज में अपने पिता के साथ कानून की पढ़ाई की है. दोनों एक ही कमरे में रहते थे।

-प्रधानमंत्री रहते हुए नेशनल हाईवेज डेवलप प्रोजेक्‍ट (एनएचडीपी) और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) जैसी बड़ी और प्रमुख योजनाएं उन्‍हीं के कार्यकाल में शरू की गईं. एनएचडीपी के तहत देश के चार प्रमुख महानगरों मुंबई, दिल्‍ली, चेन्‍नई ओर कोलकाता को आपस में सड़क से जोड़ा गया. वहीं पीएमजीएसवाई के तहत देश के गांवों को जोड़ने के लिए हर मौसम में कारगर सड़कों का जाल बिछाया जाना था।

 -प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सुधारने और विश्‍व में देश की बेहतर छवि बनाने के लिए निजीकरण को लेकर अभियान भी चलाया।

-अटल बिहारी वाजपेयी 9 बार सांसद के रूप में लोकसभा पहुंचे. साथ ही दो बार राज्‍यसभा भी पहुंचे।

-1977 में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने. वे मंत्री बनने वाले जन संघ के पहले सदस्‍य हैं।

-वाजपेयी को 1992 में पद्मविभूषण और 1994 में बेस्‍ट पार्लियामेंटेरियन अवॉर्ड मिला।

-2014 में राष्‍ट्रपति कार्यालय ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को देश का सर्वोच्‍च सम्‍मान देने की घोषणा की थी।

-उन्‍हें लोग प्‍यार से ‘बाप जी’ भी कहते हैं. 2005 के बाद स्‍वास्‍थ्‍य कारणों के चलते सार्वजनिक जीवन से दूर होते चले गए।