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पत्रकार मनीष मिश्रा का सम्मान, साथियों ने दी बधाई

दैनिक भास्कर की रजत जयंती समारोह में प्रबंधन ने किया सम्मानित

पन्ना जिले की पत्रकारिता की रीढ़ दैनिक भास्कर के ब्यूरो चीफ एवं पत्रकार कल्याण परिषद के जिला अध्यक्ष मनीष मिश्रा को जिले में दैनिक भास्कर समाचार पत्र के सफल संचालन और क्रियान्वयन के लिए रजत जयंती समारोह में प्रबंधन ने सम्मानित किया है
सहज स्वभाव की धनी मनीष मिश्रा 2003 से लगातार दैनिक भास्कर के ब्यूरो चीफ हैं और 3 माह पूर्व पत्रकार कल्याण परिषद के जिला अध्यक्ष निर्वाचित किए गए हैं पत्रकार कल्याण परिषद के कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके मनीष मिश्रा को सम्मानित किए जाने पर पत्रकार कल्याण परिषद के पूर्व जिलाध्यक्ष शिव कुमार त्रिपाठी पूर्व संयोजक वी एन जोशी, नईम खान, अनिल तिवारी, नदीम उल्लाह खान, अमित खरे , महबूब अली, राकेश शर्मा , मुकेश पाठक, सुनील अवस्थी, राम बिहारी गोस्वामी, लोकेश शर्मा , लक्ष्मीनारायण चिरोला अशोक पवन पाठक सहित साथियों ने खुशी व्यक्त करते हुए बधाई दी है

धरम सागर तालाब में तर्पण शुरू,,
पितृ पक्ष में तर्पण का महत्व
सुबह से लगती है भीड़ , दोनों घाटों में तर्पण

(शिव कुमार त्रिपाठी)

पन्ना शहर के झीलनुमा तालाब धरमसागर पितृपक्ष शुरू होते ही आकर्षण का केंद्र बन गया है सुबह से ही नगर के लोग अपने पूर्वजों को तर्पण देने के लिए यहां पहुंचते हैं दोनों घाटों में सुबह 6:00 बजे से 10:00 बजे तक अपने पूर्वजों को तर्पण करते हैं सनातन हिंदू परंपरा के अनुसार पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को याद कर तर्पण किया जाता है यही कारण है नगर के लोग तर्पण करने के लिए धरमसागर तालाब पहुंचते हैं और पवित्र स्नान करने के बाद तर्पण करते

कब से कब तक चलेगा पितृ पक्ष :-
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या पंद्रह दिन पितृपक्ष (पितृ = पिता) के नाम से विख्यात है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर पार्वण श्राद्ध करते हैं। पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात्‌ उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।
श्रद्धया इदं श्राद्धम्‌ (जो श्र्द्धा से किया जाय, वह श्राद्ध है।) भावार्थ है प्रेत और पित्त्तर के निमित्त, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है।

क्या है पितृ पक्ष का महत्व और क्यों करते हैं तर्पण:-

हिन्दू धर्म में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र की अनिवार्यता मानी गई हैं। जन्मदाता माता-पिता को मृत्यु-उपरांत लोग विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं जिसमे हम अपने पूर्वजों की सेवा करते हैं।

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ब्रह्माण्ड की ऊर्जा तथा उस उर्जा के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति का बड़ा सुन्दर और वैज्ञानिक विवेचन भी मिलता है। मृत्यु के बाद दशगात्र और षोडशी-सपिण्डन तक मृत व्यक्ति की प्रेत संज्ञा रहती है। पुराणों के अनुसार वह सूक्ष्म शरीर जो आत्मा भौतिक शरीर छोड़ने पर धारण करती है प्रेत होती है। प्रिय के अतिरेक की अवस्था “प्रेत” है क्यों की आत्मा जो सूक्ष्म शरीर धारण करती है तब भी उसके अन्दर मोह, माया भूख और प्यास का अतिरेक होता है। सपिण्डन के बाद वह प्रेत, पित्तरों में सम्मिलित हो जाता है।

पितृपक्ष भर में जो तर्पण किया जाता है उससे वह पितृप्राण स्वयं आप्यापित होता है। पुत्र या उसके नाम से उसका परिवार जो यव (जौ) तथा चावल का पिण्ड देता है, उसमें से अंश लेकर वह अम्भप्राण का ऋण चुका देता है। ठीक आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से वह चक्र उर्ध्वमुख होने लगता है। 15 दिन अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पितर उसी ब्रह्मांडीय उर्जा के साथ वापस चले जाते हैं। इसलिए इसको पितृपक्ष कहते हैं और इसी पक्ष में श्राद्ध करने से पित्तरों को प्राप्त होता है।

पुराणों में कई कथाएँ इस उपलक्ष्य को लेकर हैं जिसमें कर्ण के पुनर्जन्म की कथा काफी प्रचलित है। एवं हिन्दू धर्म में सर्वमान्य श्री रामचरित में भी श्री राम के द्वारा श्री दशरथ और जटायु को गोदावरी नदी पर जलांजलि देने का उल्लेख है एवं भरत जी के द्वारा दशरथ हेतु दशगात्र विधान का उल्लेख भरत कीन्हि दशगात्र विधाना तुलसी रामायण में हुआ है।

भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर तीन प्रकार के ऋण प्रमुख माने गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण तथा ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा वे सब बुजुर्ग भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने हमें अपना जीवन धारण करने तथा उसका विकास करने में सहयोग दिया।

पितृपक्ष में हिन्दू लोग मन कर्म एवं वाणी से संयम का जीवन जीते हैं; पितरों को स्मरण करके जल चढाते हैं; निर्धनों एवं ब्राह्मणों को दान देते हैं। पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है, परंतु गया श्राद्ध का विशेष महत्व है। वैसे तो इसका भी शास्त्रीय समय निश्चित है, परंतु ‘गया सर्वकालेषु पिण्डं दधाद्विपक्षणं’ कहकर सदैव पिंडदान करने की अनुमति दे दी गई है।

IAS के परिवार ने बाघों को घेरकर घंटों किया गया मनोरंजन,,

एसीएस के परिवार के मनोरंजन के लिए नियम विरुद्ध खोल दिए टाइगर रिजर्व के द्वार, घंटो आवभगत में लगा रहा पार्क प्रबंधन

(शिव कुमार त्रिपाठी)

बरसात के सीजन यानी मानसून सीजन में पन्ना टाइगर रिजर्व सहित प्रदेश के सभी पार्क 1 जुलाई से 30 सितंबर तक भ्रमण के लिए पूरी तरह से बंद रहते हैं बाघ दर्शन हो या जंगल भृमण किसी को पार्क के अंदर जाने की अनुमति नहीं रहती सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण और एनजीटी के स्पष्ट आदेश और निर्देश है कि किसी के मनोरंजन के लिए वन्य प्राणियों की निजता के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा लेकिन लगता है कि पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के सामने सभी नियम बोने पड़ जाते हैं तभी तो पन्ना टाइगर रिजर्व के आला अधिकारियों ने एसीएस के परिवार को खुश करने सभी नियम ताक पर रख दिए और हाथी में बैठा कर खूब मनोरंजन कराया
घटना 15 सितंबर 2018 की है जब वन विभाग के एसीएस ए के सिंह पन्ना आए और खजुराहो मैं परिवार सहित रुके इसके उनके साथ दो बच्चे और 3 महिलाओं का परिवार भी था सुबह जंगल सफारी में टाइगर रिजर्व पहुंचे मडला गेट से प्रवेश करने के बाद भ्रमण करते हुए हिनौता रेंज पहुंचे और जब टाइगर का दीदार नहीं हुआ तो पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने पन्ना रेंज की कटारी में हाथियों से घेरकर टाईगर पी-141 को दिखाया गया बहुत देर तक सभी लोग इससे मनोरंजन करते रहे जानकारी के अनुसार पहले से ही इस बाघिन को घेर कर रखा गया था एसीएस परिवार के मनोरंजन के लिए सुबह से ही बाघों को घेरा गया इसके बाद एसीएस का परिवार गणेश और रूपकली हाथी में सवार होकर बाघ दर्शन करता रहा इनके साथ फील्ड डायरेक्टर KS भदोरिया भी थे इस दौरान बरसात के सीजन में जिस तरीके से टाइगर रिजर्व के अंदर भ्रमण की गतिविधियों को रोका गया है इसके बावजूद टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अधिकारियों ने स्वयं उपस्थित होकर मनोरंजन के लिए बाघों को खदेड़ा और बैठाकर बाघ दर्शन कराएं जानकार इसे नियम विरुद्ध बता रहे हैं कहां किसी भी अधिकारी के परिवार के लिए इस तरीके से बाघों की निजता के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए

टाइगर शो गलत :- दीक्षित
इस घटना के बाद वन्य प्राणियों की जानकारी और वाइल्ड लाइफ में गहरी रुचि रखने वाले अधिवक्ता राजेश दीक्षित ने कहा कि टाइगर शो किसी भी तरीके से करना नियम विरुद्ध है और किसी के परिवार के लिए इस तरीके से टाइगर को घेर कर दिखाया जाना गलत है और नियमों का उल्लंघन है टाइगर रिजर्व प्रबंधन को इस तरह के कार्यों से बचना चाहिए

इस संबंध में जब टाइगर रिजर्व प्रबंधन से बात करने का प्रयास किया गया तो फिर डायरेक्टर KS भदोरिया का मोबाइल बंद था पता चला कि वह देहरादून ट्रेनिंग में गए हैं डिप्टी डायरेक्टर श्रीमती बासु कनौजिया ने फोन पर कहा कि मॉनसून सीजन में सभी के लिए पार्क पूरी तरीके से बंद रहता है उस दिन में ऑफिशियल काम से जबलपुर गई थी इसलिए इस मामले में मैं कुछ नहीं कह सकती फील्ड डायरेक्टर ही कुछ बता सकते हैं
जो टाइगर रिजर्व का मैदानी अमला है वह घेरकर बाघ देखे जाने और हाथी में सवारी की पुष्टि करता है लेकिन कहता है कि हम प्रतिक्रिया नहीं दे सकते जेडी श्री सक्सेना ने कहा कि इस मामले में प्रतिक्रिया देने के लिए अधिकृत नहीं है और पन्ना रेंज ऑफिसर राजकुमार कहते हैं कि मैं उस दिन उपस्थित नहीं था विडंबना इस बात की है कि जब इस तरीके से बाघों के मामले में टाइगर रिजर्व में खिलवाड़ होगा आखिर कब तक पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ बचेंगे

पहले भी हो चुकी है ऐसी घटनाएं
टाइगर रिजर्व प्रबंधन बाघों के साथ खिलवाड़ पहले से ही करता चला आ रहा है सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने भले ही चाहे जितने सख्त आदेश और निर्देश दिए हो पर पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन इनके साथ खिलवाड़ ही करता है इसके पूर्व तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के मनोरंजन के लिए बाघ को बेहोश किया गया था और पूरे टाइम मंत्री हाथी पर सवार रही और इसका वीडियो सामने आने के बाद टाइगर रिजर्व प्रबंधन की पूरे देश में खूब किरकिरी हुई थी इतना ही नहीं इसके पूर्व तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव IAS प्रवीर कृष्ण के परिवार के मनोरंजन के लिए इसी तरह घेरकर बाघ दर्शन कराए गए थे और समय-समय पर यह मामला उठता रहा है वाइल्ड लाइफ से जुड़े लोग इस तरह की गतिविधियों का विरोध भी करते हैं पर लगता है टाइगर रिजर्व प्रबंधन सुधरने का नाम नहीं ले रहा

गायब हो चुके हैं पूरे बाघ
2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व के सभी टाइगर खत्म हो गए थे बाघ बिहीन होने के बाद सरकार के प्रयास और स्थानीय लोगों के सहयोग के बाद बाघ पुनर्स्थापना योजना सफल हुई है अब 35 से अधिक टाइगर पन्ना टाइगर रिजर्व और लैंडस्केप में भ्रमण करते हैं लेकिन जिस तरीके से टाइगर रिजर्व प्रबंधन ही लापरवाही पूर्वक काम कर रहा है तो यह बाघ कब तक बचेंगे यह एक गंभीर चिंता का विषय है इस पर टाइगर रिजर्व से जुड़े बड़े अधिकारियों को गंभीरता से कार्यवाही करनी होगी और ऐसी अनैतिक गतिविधियों पर अंकुश लगाना होगा जब वन विभाग का इतना बड़ा अधिकारी ही इस तरीके की अनैतिक गतिविधियों में शामिल हो तो यह मामला और भी गंभीर हो जाता है


पन्ना की एक खेत में मज़दूर किसान प्रकाश शर्मा को खुदाई के दौरान एक बेशकीमती हीरा मिला है 12.58 कैरेट का यह खूबसूरत हीरा लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जिसे हीरा कार्यालय में जमा कराया गया अब नीलामी के बाद जो पैसे मिलेंगे टीडीएस और रॉयल्टी कर कर संपूर्ण राशि शर्मा को दे दी जाएगी एक छोटा सा नग मिलने से मजदूर किसान की रातोंरात किस्मत चमक गई


मजदूर को मिला हीरा ,,,, छप्पर फाड़ के

छोटे से पत्थर में बदल दी तकदीर
(शिवकुमार त्रिपाठी)
पन्ना की तमन्ना है कि हीरा मुझे मिल जाए, हीरा की तमन्ना है कि पन्ना मुझे मिल जाए ,,, यह गीत पन्ना में उस समय चरितार्थ हो गया जब खेत में छोटी सी खदान लगाकर हीरा खोद रहे प्रकाश कुमार शर्मा को 12 .58 कैरेट का हीरा छप्पर फाड़ के मिला , जैसे ही हीरा मिला प्रकाश की आंखें चकाचौंध हो गए प्रकाश ने दो साथियों के साथ मिलकर यह हीरा खदान सरकोहा स्थित किततू रैकवार के खेत में लगाई थी उसे भरोसा ही नहीं था इतना बड़ा हीरा मिलेगा लेकिन कहते हैं कि जब भगवान देता है तो छप्पर फाड़ के देता है कुछ ऐसा ही प्रकाश शर्मा के साथ हुआ जैम क्वालिटी के इस बेहतरीन हीरे की कीमत 50 लाख बताई जा रही है
पन्ना के कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में खड़ा यह मजदूर प्रकाश शर्मा है जो अचानक चर्चा का विषय बन गया क्योंकि प्रकाश को किस्मत बदल देने वाला एक खूबसूरत हीरा मिला है 12.58 कैरेट के इस हीरे की कीमत 50 लाख बताई जा रही है प्रकाश अब तक मजदूरी करता रहा है लेकिन जिस तरीके से पन्ना की धरती हीरे उगलती है और रातों-रात मजदूर लखपति बन जाता है वैसा ही प्रकाश के साथ हो गया अब प्रकाश रोजगार धंधा करेगा प्रकाश ने हीरा मिलने की खुशी इस तरीके से व्यक्त की

हीरा अधिकारी कहते हैं कि इसकी कीमत मिनिमम 25 लाख रुपए है और यह 50 लाख का भी बिक सकता है कहां इस हीरे को सरकारी खजाने में जमा कर लिया गया है अगले माह होने वाले ऑप्शन में नीलाम किया जाएगा

वरना मैं तो कई 20 कीमती हीरे मिले हैं लेकिन इतना बड़ा हीरा 4 साल बाद इस कार्यालय में जमा कराया गया है जिससे कार्यालय के कर्मचारी भी खुश है ज्ञात हो कि राजस्व और वन भूमि विवाद के कारण पन्ना की अधिकांश हीरा खदानें बंद हो गई हैं इस कारण से हीरा उद्योग चौपट हो गया अब यह जो हीरा मिला है इससे नई उम्मीद जगी है

सीएमएचओं की कार्यवाही संदेह के घेरे मे।

देश दुनिया में मुरलिया में हीरा जडे लोक भजन से प्रसिद्ध पन्ना जिले के ऐतिहासिक किशोर जी मंदिर में जन्मोत्सव के बाद छठ महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई है ,,,

1 दिन के पूरे धार्मिक कार्यक्रम में सुबह से पूजा अर्चना और अनुष्ठान के बाद सायं कालीन संगीत संध्या का आयोजन किया गया है जिसमें सुप्रसिद्ध भजन गायक अपनी प्रस्तुतियां देंगे इसकी तैयारियां जोरों पर है और किशोर जी की छठ के दिन छटा निराली ही होगी

मुरलिया मे हीरा जडे है
गूॅजने लगे बुदेली गीत और लमटेरा ़
हीरा जडित मुरली धारण की जुगल किशोर जी ने

(शिवकुमार त्रिपाठी पन्ना)

जनामष्टमी आते ही पन्ना का माहौल मथुरा ब्रदाबंन की तरह हो गया है बुदेलखण्ड की सबसे बडी आस्था का केन्द्र भगवान जुगल किशोर मंदिर मे हर जगह बुदेली गीत और लमटेरा सुनाई देने लगे है पूरे बुदेलखण्ड से पहुॅच श्रदालू भक्त भगवान जुगल किशोर की एक झलक पाने के लिये उमड उठे है जुगल किशोर के जनम के लिये मंदिर को रंगीन प्रकाश और बंदन बारो से सजाया गया हीै और भगवान जुगल किशोर के उपर पूरे बुदेलखण्ड मे एक ही लोकभजन गाया जाता है कि पन्ना के जुगल किशोर हो मुरलिया मे हीरा जउे है महिलाएॅ बच्चे और बुर्जग हर शुभ कार्य मे जुगल किशोर की मुरलिया मे हीरा जउे का भजन भी गाती है और आज जमोत्सब के दौरान भगवान राजशाही जमाने की हीरा जडित मुरली को धारण करेगे
पन्ना शहर के बीच मध्य मे स्थित इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन पन्ना नरेश राजा हिन्दूपत ने सम्बत 1813 मे निर्माण कराया था उत्तर मध्यकालीन और बुदेली स्थापत्य कला मे निर्मित इस मंदिर मे भगवान की प्रतिमा ब्रदांबन से लाकर स्थापित कराया गया था इस कारण बही ब्रदांबन जैसा महत्ब पन्ना के जुगल किशोर जी मंदिर का है इसी कारण से सुबह 4 बजे से ही दरबाजा खोलने के लिये भक्त बुदेली गीत लमटेरा गाने लगते है
कहते है कि भगवान जुगल किशोर के राज्य मे कोई भूखा नही सोता तभी तो भगवान को भोग दोपहर तीन और रात मे दस बजे लगाया जाता है जब भकत खाना खा चुके होते है
जैसे ही रात मे 12 बजेगे बैसे ही भगवान जुगल किशोर के जन्म के साथ ही बाल्य रूप मे दर्शन होगे और आज भगवान हीरा जडित मुरली धारण करेगे शोभायात्रा निकलेगी और देशी धी से निर्मित प्रसाद का बिशाल भंडारा होगा जनमोत्सब पर बुदेलखण्ड के लोग यहाॅ आते है