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आपदा प्रबंधन की बैठक संपन्न ,,, जिले के होटल लॉज में रुकने वालों की पुलिस को सूचना देना जरूरी

जिला स्तरीय संकट प्रबंधन समूह की बैठक सम्पन्न

कोविड-19 की गाइड लाइन के तहत त्यौहारों का आयोजन के लिए सर्वसम्मति

कलेक्टर  संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता में जिला स्तरीय संकट प्रबंधन समूह की बैठक कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित हुई। बैठक में कलेक्टर मिश्र द्वारा शासन द्वारा धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के संबंध में दिए गए कोविड-19 संक्रमण रोकने संबंधी निर्देशों की जानकारी दी गयी। इस पर बैठक में उपस्थित विभिन्न धर्म एवं समाज के प्रतिनिधियों द्वारा त्यौहारों का आयोजन एवं विभिन्न कार्यक्रमों के लिए सहमति जताई गयी। कलेक्टर  ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि कोविड-19 गाइड लाइन के अनुसार सभी लोग त्यौहारों को मनाएं। जिला प्रशासन द्वारा जो सहयोग अपेक्षित होगा नियमानुसार किया जाएगा।

कलेक्टर  मिश्र ने कहा कि शासन द्वारा धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों के संबंध में दिशानिर्देश दिए हैं कि कोई भी जुलूस, शोभा यात्रा आदि नही निकाली जाएगी। जो धार्मिक आयोजन किसी खुले मैदान में आयोजित किए जाएंगे उसमें 100 लोगों से अधिक एकत्र नही हो सकेंगे। इसी प्रकार किसी हाॅल या धार्मिक स्थल पर 200 से अधिक व्यक्ति एकत्र नही होंगे। प्रत्येक व्यक्ति को सोशल डिस्टेंसिंग, चेहरे पर मास्क एवं हांथों को बार-बार सेनेटाइज करना होगा। किसी भी कार्यक्रम में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार किया जा सकेगा। प्रत्येक कार्यक्रम आयोजन की अनुमति जिला प्रशासन से लेनी होगी। कार्यक्रम की वीडियोग्राफी तैयार कर 48 घण्टे के अन्दर जिला प्रशासन को उपलब्ध करानी होगी।

उन्होंने कहा कि जिले के निवासियों की जागरूकता के चलते जिले में कोरोना संक्रमण में कमी आयी है। यदि जिले के लोग कडाई से कोविड-19 संक्रमण रोकने संबंधी निर्देशों का पालन करते रहेंगे तो पन्ना जिले को बहुत जल्दी ही कोरोना से मुक्ति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि आगामी दो माह बाद संभवतः वैक्सीन आ जाएगा जो प्राथमिकता के आधार पर सभी को लगाया जाएगा। कलेक्टर श्री मिश्र ने मुख्य नगरपालिका को निर्देश दिए कि त्यौहारों के दौरान पूर्व की तरह ही साफ सफाई, पेयजल व्यवस्था की समुचित व्यवस्था करें। वहीं विद्युत विभाग के अधिकारी को निर्देश दिए गए कि त्यौहार के अवसर पर निर्वाध रूप से विद्युत प्रदाय जारी रखें।

पुलिस अधीक्षक  मयंक अवस्थी ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए जो भी शासन द्वारा दिशानिर्देश दिए गए है उसके अन्तर्गत ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिला प्रशासन की अनुमति के बगैर कोई भी सामुदाय कार्यक्रम आयोजित नही करेगा। शोभा यात्रा, जुलूस आदि निकालना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। यदि किसी भी व्यक्ति या समुदाय द्वारा शासन के निर्देशों की अवहेलना की जाएगी तो उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने दुर्गा विसर्जन के संबंध में बताया कि जिला मुख्यालय के कमला बाई तालाब, दहलान ताल, धरम सागर के यादवेन्द्र क्लब के नीचे चैपरा में मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा। मूर्ति विसर्जन के लिए ले जाते समय कोई जुलूस नही निकाला जाएगा। प्रत्येक विसर्जन स्थल पर समुचित व्यवस्था की गयी है।

बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. एल.के. तिवारी द्वारा बताया गया कि जिले में कोरोना संक्रमण के फैलाव की गति में कमी आई है। जिले में कुल 786 कोरोना पाॅजिटिव मरीज पाए गए हैं इनमें 765 व्यक्ति स्वस्थ हो गए हैं। पिछले दो-तीन दिनों से लिए जा रहे 250 से 300 नमूनों में जांच के उपरांत एक या दो पाॅजिटिव व्यक्ति पाए गए हैं। उन्होंने कोविड-19 वैक्सीन के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि आगामी समय में वैक्सीन आने वाला है। शासन के निर्देशानुसार प्रथम चरण में वैक्सीन किसे लगाया जाना है इसकी जानकारी तैयार कर शासन को भेजी जा रही है।

सम्पन्न हुई इस बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री बालागुरू के, अपर कलेक्टर  जे.पी धुर्वे, एसडीएम पन्ना  शेर सिंह मीणा, तहसीलदार पन्ना  दिव्या जैन, जनप्रतिनिधि के रूप में  रामबिहारी चैरसिया,  सतानन्द गौतम,  बाबूलाल यादव आदि के विभिन्न समुदायों के जनप्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।

जिले में सराय अधिनियम 1867 प्रभावशील

आवास स्थलों पर रूकने वाले व्यक्तियों की देनी होगी प्रतिदिन जानकारी

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी  संजय कुमार मिश्र द्वारा पुलिस अधीक्षक श्री मयंक अवस्थी द्वारा अवगत कराए गए शासनादेशों के परिपालन में जिले में सराय अधिनियम 1867 के अन्तर्गत धारा 3, 4, 5 एवं 8 के प्रावधानों को लागू किया गया है। इस आदेश के तहत जिले के सरायों, होटल, विश्रामगृह, छात्रावास, आश्रम, बोडिंग हाउस, धर्मशाला, रेस्ट हाउस होटल, लाॅज, मोटल, पेइंगगेस्ट, रिसाॅर्ट, प्रापटी पर रूकने वाले व्यक्तियों की जानकारी संधारित किया जाना आवश्यक है। क्योंकि ऐसे स्थानों पर असामाजिक एवं अवंछनीय गतिविधियों का संचालन किए जाने की प्रबल संभावना रहती है। अपराधों की रोकथाम एवं पतारसी करना अत्यंत गठित होता है। जिससे शहर में शांति एवं कानून व्यवस्था को खतरा उत्पन्न होने के साथ मानव जीवन एवं लोक सम्पत्ति की क्षति होने का भय बना रहता है।  

इस बात को दृष्टिगत रखते हुए सरायों के रजिस्ट्रेशन एवं ठहरने वाले व्यक्तियों की जानकारी संकलित किए जाने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश पुलिस, राज्य अपराध ब्यूरो, पुलिस मुख्यालय द्वारा बेव वेस्ट एप्लीकेशन आॅनलाइन सिटी विजिटर रजिस्ट्रेशन मैनेजमेंट तैयार किया गया है। जिसका यूआरएल ूूूण्ंजपजीपण्उचचवसपबमण्हवअण्पद है डेस्कटाप, लैपटाप अथवा मोबाइल के माध्यम से अतिथि एप्लीकेशन का उपयोग किया जा सकता है। उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री मिश्र ने जिले में सराय अधिनियम 1867 के अन्तर्गत धारा 3, 4, 5 एवं 8 के तहत जन सामान्य के हित/जानमाल एवं लोक परिशांति बनाए रखने हेतु जिले की भौगोलिक सीमा में पारित किए हैं।

इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार पन्ना जिले की सीमा में स्थित समस्त सराय (होटल/विश्रामगृह/छात्रावास आदि) के प्रबंधक को रजिस्ट्रीकृत किए जाने हेतु आदेशित किया जाता है। सरायों को रजिस्ट्रीकृत किए जाने एवं रजिस्ट्रीकृत के उपरांत पूर्वगामी दिन या शाम के दौरान सराय में ठहरने वाले व्यक्तियों की जानकारी प्राप्त किए जाने के नियमित हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पन्ना को दायित्व सौंपा जाता है। समस्त सरायपाल बेव एप्लीकेशन के माध्यम से अपने आपको रजिस्ट्रीकृत करना सुनिश्चित करेंगे। सराय अधिनियम की धारा 4 के अनुसार रजिस्ट्रीकरण हेतु जिले की सीमाओं में स्थित सराय (होटल/विश्रामगृह/छात्रावास आदि) के प्रबंधक/स्वामी द्वारा सरायों एवं सरायपालों के नाम और निवास स्थलों तथा प्रत्येक सराय की अवस्थिति बेव एप्लीकेशन के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए।

सराय अधिनियम 1867 की धारा 5 के अनुसार आदेश जारी होने के दिनांक से एक माह के अन्दर सरायों को रजिस्ट्रीकृत न कराए जाने की स्थिति में सरायपाल द्वारा सराय में किसी भी व्यक्ति को ठहरने की अनुमति नही होगी। अधिनियम की धारा 8 के अनुसार जिले की सीमाओं में स्थित समस्त सराय के प्रबंधक/स्वामी द्वारा रजिस्ट्रीकरण के उपरांत पूर्वगामी दिन या शाम के समय सराय में ठहरने वाले व्यक्तियों की जानकारी बेव एप्लीकेशन ूूूण्ंजपजीपण्उचचवसपबमण्हवअण्पद के माध्यम से सतत उपलब्ध कराएंगे। आदेश के तीन बार उल्लंघन करने की स्थिति में सराय का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जाएगा।

यह आदेश जन साधारण की सुविधा एवं अवांछनीय गतिविधियों की रोकथाम, अपराधियों की पतारसी, धरपकड एवं जनमानस व लोक सम्पत्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है। आश्रम, बोर्डिंग हाउस, सक्रिट हाउस, धर्मशाला, गेस्ट हाउस, छात्रावास, होटल, लाॅज, मोटल, पेंइग गेस्ट, रिजाॅर्ट, रेस्टहाउस एवं किराए पर दी गयी प्रापर्टी आदि के सभी प्रबंधक/स्वामी इन निर्देशों के साथ-साथ ूूूण्ंजपजीपण्उचचवसपबमण्हवअण्पद से अपना रजिस्ट्रेशन कर कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।

 बुंदेलखंड की शारदा माता है पन्ना की बड़ी देवी

हर भक्त अपनी आस्था लेकर पहुंचते हैं

नवरात्र शुरू होते ही सजा देवी का दरबार

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोग कर रहे हैं पूजा

कलेही माता में लगी भक्तों की भीड़

(शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना देश दुनिया में हीरो के लिए जितना प्रसिद्ध है उससे भी कहीं ज्यादा सांस्कृतिक विरासत के लिए भी मशहूर है भगवान राम के चरण यहां पड़े थे आदि शक्ति पीठ मां पद्मावती देवी का स्थान भी पन्ना में है जहां हर भक्तों की मनोकामना को पूर्ण होती ही है बुंदेलखंड के लोग पन्ना की पद्मावती देवी को बड़ी देवी के नाम से जानते हैं और इनका स्थान मैहर की शारदा माता जैसा ही है लोग बड़ी देवी को पन्ना की शारदा माता मानते हैं मां के दर्शन करने पूरे बुंदेलखंड से लोग आते हैं
। जिसे लेकर मान्यता है कि यहां जो भी मनोकामना की जाती है उसे मां भगवती जरूर पूरा करती है। पन्ना में मां सती के पदम यानि पैर गिरे थे और इसीलिए इस शक्तिपीठ की नाम पद्मावती शक्तिपीठ पड़ा।

यहां मां का जो प्राचीन मंदिर है उसे लेकर मान्यता है कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में पद्मावत नाम के राजा हुए थे जो शक्ति के उपासक थे। उन्होंने अपनी आराध्य देवी मां दुर्गा को पद्मावती नाम से इस प्राचीन मंदिर में स्थापित किया। कालांतर में इस क्षेत्र का नाम इसी मंदिर के कारण पद्मावतीपुरी हुआ, जो बाद में परना और वर्तमान में पन्ना के नाम से पहचाना जाता है। पद्मावती देवी का उल्लेख भविष्य पुराण तथा विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी है। ये मंदिर गौण नरेशों का आराध्यस्थल भी था।
पद्मावती शक्तिपीठ के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास है। जानकार कहते हैं कि भक्त इसलिए यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं क्योंकि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

मंदिर की खास बातें 

– पन्ना में किलकिला नदी के पास मां का यह प्राचीन देवी मंदिर है। इस मंदिर को स्थानीय बोली मे बड़ी देवन कहा जाता है।

– मंदिर के पुजारी राम कुमार शुक्ला के अनुसार, नवरात्रि में यहां बड़ा आयोजन होता है और देशभर से भक्त आते हैं।

– इस दौरान मां के दरबार में क्षेत्रीय बुंदेली भजन गीत गाए जाते है। मान्यता है कि देवी पद्मावती के आशीर्वाद के कारण ही पन्ना इतना समृद्ध है।

यह है मां सती के टुकड़े-टुकड़े होने की कहानी

मां सती भगवान शिव की पहली पत्नी थी। वह राजा दक्ष की बेटी थी जिसने भगवान शिव को अपनी पुत्री से शादी के लिए मना कर दिया था। उनके इंकार के बाद भी मां सती ने भगवान शिव से शादी की। एक दिन दक्ष राजा ने बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने सभी ऋषियों और देवताओ को बुलाया लेकिन भगवान शिव को नहीं आमंत्रित किया क्योंकि वे भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे।
मां सती ये अपमान नहीं सहन नहीं कर पायी। जब वे पिता से इसका उत्तर जानने यज्ञ स्थल पहुंची तो पिता ने उनका अपमान किया भगवान शिव को भला बुरा कहा। मां सती अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पायी और उन्होंने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिया।
जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो क्रोधित शिव ने यज्ञ को नष्ट कर दिया और राजा दक्ष को मार डाला। इसके बाद भगवान शिव मां सती को अपने कंधे पर बिठाकर सम्पूर्ण भूमंडल पर विचरण करने लगे। भूमंडल को स्थिर रखने के लिए भगवान विष्णु ने पीछे से अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। जिस-जिस स्थान पर मां भगवती के शरीर के टुकड़े गिरे, उन स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए। पन्ना में मां के दाहिना पैर गिरा था, इस कारण इस शक्तिपीठ का नाम पद्मावती शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

पन्ना की पद्मावती देवी, मैहर की शारदा माता और पबई की कलेही माता का चमत्कारिक त्रिकोण संबंध

 

पन्ना शक्तिपीठ और मैहर की शारदा माता का मंदिर और पबई की कालिका माता का मंदिर अपने आप में समानांतर त्रिकोण बनाते हैं। पन्ना से पबई की दूरी 45 किलोमीटर और पबई से मैहर की दूरी 45 किलोमीटर है यानि ये तीनों स्थानों की आपस में दूरी 45 किलोमीटर है। इस तरह ये तीनों देवी स्थान आपस में त्रिकोणीय समानांतर कोण बनाते हैं।
पन्ना के पद्मावती शक्तिपीठ पर देश-दुनिया से लोग दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की ये भी खास बात है कि यहां गंगा जमुनी संस्कृति की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। मंदिर में हर जाति, धर्म के लोग मां के चरणों में माथा टेकने आते हैं। बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां कई मन्नत लेकर आते हैं।
नवरात्रि शुरू होते ही कन्या भोज शुरू हो जाता है भक्त प्रतिदिन मौजूद कन्याओं को श्रद्धा अनुसार दक्षिणा देकर भोज कराते हैं
ऐतिहासिक महत्व
925 ईसवी में आए तुर्क यात्री इबने कुरदान ने इस स्थान का अपने यात्रा अभिलेख में वर्णन किया है कालिंजर से आगे की यात्रा में लिखा कि परना एक स्थान है जहां गोंड राजाओं का राज्य है शहर की छोटी-छोटी गलियां है और वहां कुलपूज्य देवी मौजूद है साथ ही इस स्थान में एक शिलालेख भी मौजूद है जिसे मैं ब्राम्ही लिपि में कुछ लिखा गया है जो लोग आज पढ़कर नहीं समझ पाते संभवत इसी स्थान का महत्व या निर्माण का समय लिखा है

कलेही माता के दरबार में उमड़ा जनसैलाब

नवरात्र में हर देवी के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है लेकिन पवई में मां कलेही का दरबार निराला है यहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है और जो भी मनोकामनाएं मानी जाती सभी पूर्ण होती हैं अद्भुत इस स्थान का धार्मिक और पुरातन महत्व तो है ही ऐतिहासिक महत्व भी है और कई दंत कथाएं जुड़ी हुई है जिसमें कहते हैं कि कलेही माता पहले पर्वत के ऊपर विराजित ही थी और भक्तों की सहूलियत के लिए वे नीचे चली आई मां,, तभी से पतने नदी के किनारे मां की पूजा होती है जाने इस अदभुत दरबार और महत्व को ,,,
विंध्य पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसे पन्ना जिले की पवई का नाम जुबान पर आता है, तो जेहन में दिव्य शक्ति मां कलेही का दिव्य दर्शन सामने आता है। वैसे तो शक्ति स्वरूपा नारायणी के अनेक रूप है, दुर्गा सप्तशती में वर्णित नव-दैवियों में मां कलेही सप्तम देवी कालरात्रि ही हैं। अष्टभुजाओं में शंख, चक्र, गदा, तलवार तथा त्रिशूल उनके आठों हाथों में है। पैर के नीचे भगवान शिव हैं, उनके दायं भाग में हनुमान जी तथा बायं भाग में बटुक भैरव विराजमान हैं। मां हाथ में भाला लिये महिषासुर का वध कर रही हैं। यह विलक्षण प्रतिमा साढ़े तेरह सौ वर्ष पुरानी है, जिसकी स्थापना विक्रम संवत् सात सौ में हुई थी।

पर्वत से नीचे आने की दंत कथा

कहते हैं किन नगायच परिवार की एक आस्था वन महिला प्रतिदिन माता के दरबार में पूजा करने जाती थी जब वह बुजुर्ग हो गई और शरीर कमजोर होने लगा तो उन्होंने 1 दिन माता से बने कि कि मैं अब प्रतिदिन पूजा करने इतने ऊंचे पर्वत पर नहीं आ सकती तब माता ने कहा कि तुम चलो मैं आती हूं लेकिन पीछे मत देखना उस बुजुर्ग महिला ने आगे आगे चलना शुरू किया और पीछे मां कलेही पैदल चली आ रही थी जब नदी के किनारे पहुंची तो अविश्वास की भावना पैदा हुई और उस बुजुर्ग महिला ने पीछे देख लिया और जैसे ही दृष्टि पड़ी मां कलेही वही स्थिर हो गई फिर उस बुजुर्ग महिला ने आगे ले जाने की कोशिश की पर माता नहीं बड़ी तभी से इस स्थान पर यह मंदिर बना है और वही पूजा-अर्चना हो रही है और जब तक वह बुजुर्ग जीवित रही प्रतिदिन माता के दरबार में जा कर पूजा करती थी

बढोलिया परिवार है पुजारी

यूं तो सभी मंदिरों में प्राचीन काल से ही ब्राम्हण पुजारी होते रहे हैं और आज भी ब्राह्मण कुल में जन्मे लोग ही मंदिरों में पुजारी है पर इस कलेही माता मंदिर में बढोलिया परिवार कई पीढ़ियों से लगातार पूजा कर रहा है वंशानुगत इसी परिवार के लोग यहां प्रधान पुजारी होते हैं पवई निवासी बढोलिया परिवार आज भी यहां का पुजारी है बड़ी लगन और श्रद्धा के साथ पूजा करते और कराते हैं और सभी की आस्था इस मंदिर में है
पांच सौ वर्ष पुराना है यहां का मेला
मां कलेही पवई नगर से दो किलोमीटर की दूरी पर पतने नदी के तट पर विराजमान है, इस स्थान की छटा बड़ी मनोरम है। वैसे तो यहां वर्ष भर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है, चैत्र नवरात्र में तो यहां विशाल मेला लगता है, जिसका प्रमाण तकरीबन पांच सौ वर्ष पुराना है। मेले में दूर-दूर से व्यापार करने के लिए व्यवसायी आते हैं। प्राचीन समय से अनाज, मसालों एवं दैनिक उपयोग की वस्तुओं का क्रय-विक्रय भी इसी मेले के माध्यम से होता रहा है। यहां सम्पूर्ण भारत के सभी अंचलों बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड, मालवा, निमाड़ आदि से मां के दर्शनों के लिए लोग आते हैं। इस तथ्य का प्रमाण सिद्व स्थल श्री हनुमान भाटा की सीढ़ियां है, जिस पर उनके नाम व पते आज भी अंकित है।


अखण्ड ज्योति की भी मान्यता

लोक मान्यताओं के अनुसार मां शारदा (मैहर), मां पद्मावती (पन्ना) एवं मां कलेही (पवई) की प्रतिमायें हवा में नब्बे अंश का कोण बनाती है तथा हवा में भी इन सभी मंदिरो की आपस मे दूरियां लगभग साठ किमी है। धन-धान्य की परिपूर्णता और शक्ति के प्रतीक के रूप में मां कलेही की उपासना सदैव प्रचलित रही है। मां कलेही का मुखमण्डल सदैव विशेष चमक बिखेरता है। यह अद्वितीय पाषाण प्रतिमा भारतीय शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है। नवरात्र के नव दिवस मां कलेही के सामने अखण्ड ज्योति भी इसी मान्यता के साथ प्रज्ज्वलित की जाती है, ताकि मां की साधना मे कोई विघ्न न आने पाये। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना मां कलेही सुनती है एवं पूर्ण करती है।

भक्त अपनी मन्नते लेकर आते हैं यहां

प्राचीन समय से अनवरत चली आ रही मां कलेही में भक्तों की आस्था आज भी कायम है। इस तथ्य का प्रमाण मंदिर परिक्रमा में लालचुनरी में बंधे हुये हजारों श्रीफल है। यहां भक्त अपनी मन्नते लेकर आते हैं और सच्चे मन से मां कलेही की आराधना करके श्रीफल को लालचुनरी में लपेट कर बांध देते हैं तथा मन्नत पूर्ण होने पर श्रीफल को छोड़कर मनोकामना पूर्ण होने का शुभ संकेत देते हैं। नवरात्र में यहां कन्या भोज कराने वालों की मनोकामनायें अवश्य पूर्ण होती हैं। श्रद्धालु यदि सच्ची श्रद्धा एवं भाव से मां कलेही की परिक्रमा पूर्ण करता है तो भी मां भक्त की पुकार सुनती है। भोर होते ही मां के भक्त नग्न पैर मंदिर में जल, फल, फूल, पत्र एवं प्रसाद लेकर पहुंचते हैं।
जवारों का विशेष महत्व
नवरात्र में यहां जवारों का विशेष महत्व है। एक समय तो मैहर की शारदा माता व पन्ना की फूला माता समेत तकरीबन 150 स्थानों के जवारे यहां आते थे। भक्त अपने सिर पर जवारों को रखकर ढोल, मंजीरों की थाप पर देवी भगतों का गायन कर हेरत अंगेज कारनामे दिखाते हैं। वे बानो एवं त्रिशूल के द्वारा जीभ एवं गले को छेदते हैं। जवारों की यह प्राचीनतम परम्परा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है जिसे पुर्नजीवित करने का अथक प्रयास मां कलेही धर्माथ समिति द्वारा किया जा रहा है। मंदिर परिसर में मां कलेही दरवार के साथ-साथ संकट मोचन श्री हनुमान जी महाराज की छ: रूद्री प्रतिमा है, साथ ही रूद्र अर्थात शिव भी शिव लिंग के रूप में विराजमान है, ऐसा शिव लिंग भारत वर्ष में अन्यत्र देखने को नही मिलता। पर्वत की तलहटी में 27 फिट के बाबा कैलाशी की विशाल प्रतिमा है, जिनकी जटाओं से गंगा बहती है। मंदिर तथा आस-पास के क्षेत्र में चन्देल कालीन मूर्तियों के अवशेष बिखरे पड़े हैं, जिन्हें सहेजने एवं संवारने की आवश्यकता है।

पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल


पुरातत्व महत्व के स्थलों और प्राचीनतम प्रतिमाओं की सुरक्षा व उनके रख-रखाव का दायित्व समाज का होता है। सिद्ध स्थल श्री हनुमान भाटा एवं मां कलेही धाम हिन्दू धर्म की महान विरासत है, इसे सहेजकर रखना सम्पूर्ण समाज की जिम्मेदारी है। यहां मौजूद प्रतिमायें बेशकीमती हैं, समय-समय पर इनका जीर्णोद्धार होना चाहिए यह मानव सभ्यता के अमूल्य धरोहर है। मां कलेही मंदिर पुरातात्विक महत्व की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां देशी-विदेशी पर्यटक आकर शोध कर सकते हैं। मां कलेही मंदिर मप्र पर्यटन से जुड़ने के बाद पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है, जहां की खूबसूरत वादियां, पहाड़ों की चोटियां, हरे-भरे वृक्ष, नदी की कल-कल ध्वनि लोगों को बरबस ही अपने और आकर्षित करती है। मां कलेही परिक्षेत्र में ईकोटूरिज्म की गतिविधियों का संचालन किया जा सकता है। बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के यहां आने से स्थानीय लोगो को रोजगार के साथ आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक लाभ भी हो सकता है।


धर्मार्थ समिति के प्रयासों से हुआ और बेहतर

देश-दुनिया के साथ यहां की व्यापक जानकारी देने के लिए मां कलेही धर्मार्थ समिति प्रयासरत है एवं पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ ही पुरातात्विक धरोहर के रूप में जमीनी स्तर पर संरक्षित करने की मांग कर रही है। मां की सेवा में समर्पित, मां कलेही धर्मार्थ समिति:- मां के आशीर्वाद, जन सहयोग एवं मां कलेही धर्मार्थ समिति के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि यहां विकास एवं जीर्णोद्धार का कार्य तीव्रगति से चल रहा है। धर्मार्थ समिति के प्रयासों एवं जनसहयोग से यहां शुद्ध पेयजल व्यवस्था, परिसर में ठहरने के लिए धर्मशालायें, कूप निर्माण, आनंद विहार गार्डन, 27 फिट की विषाल शिव प्रतिमा का निर्माण, नव दिवसीय नि:शुल्क भण्डारा, साफ सफाई एवं वृक्षारोपण के कार्य कराये गये है। जन सहयोग से प्राप्त होने वाली वार्षिक आय का लेखा-जोखा भी विजयादशमी के सांस्कृतिक मंच के माध्यम से पूर्ण पारदर्षिता के साथ प्रस्तुत किया जाता है। विशेष:- पंचमी की विशेष आरती, अष्टमी की महाआरती, केश मुण्डन संस्कार की व्यवस्था, भण्डारे में नि:शुल्क भोजन व्यवस्था एवं शुद्ध पेय जल व्यवस्था।

पन्ना में सजा बागेश्वरधाम महाराज का दिव्य चमत्कारी दरबार,,,

पूछने से पहले लिख देते हैं भक्तों की समस्या

आश्चर्यचकित हुए लोग

पन्ना के पुरुषोत्तमपुर में उमड़ी भक्तों की भीड़

दैहिक दैविक और भौतिक संतानों से मिलती है मुक्ति

मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म :- धीरेंद्र कृष्ण जी

(शिवकुमार त्रिपाठी ) पन्ना के श्रद्धालु भक्तों के कल्याण एवं धर्म संस्कृत के उत्थान के लिए बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर महाराज धीरेंद्र कृष्ण जी का दरबार पुरुषोत्तमपुर में आज आयोजित किया गया छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम गड़ागंज से पधारे धीरेंद्र कृष्ण जी महाराज ने हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में खुला दरबार लगाया और अपनी समस्याओं से परेशान भक्तों जब मंच पर पहुंचते तो इससे पहले ही भक्तों के मन में क्या चल रहा है और क्या समस्या लेकर आया है यह एक कागज में पहले ही लिख देते थे और जब पूछा जाता तो महाराज श्री जो पहले से लिखे होते थे वही सही निकलता था यह दिव्य शक्ति कैसे और कहां से प्राप्त हुई यह लोगों के लिए कौतूहल और रिसर्च का विषय है पर जो हो रहा था आंखों देखी सोलह आने सच था इसलिए कोई यह भी नहीं कह सकता यकीन नहीं करेंगे
जैसे ही दरबार में आश्चर्यचकित कर देने वाली प्रक्रिया शुरू हुई तो भक्त जयकारे लगाने लगे महाराज श्री ने कहा यह बागेश्वर बालाजी की कृपा है बे जब पूछ घुमाते हैं तो सब सामने आ जाता है

धीरेंद्र कृष्ण महाराज जी ने कहा कि मैं तो एक निमित्त मात्र हूं जो कुछ भी हो रहा है बागेश्वर धाम बालाजी महाराज यानी हनुमानजी ही करा रहे हैं जो श्रद्धालु भक्त राम की भक्ति करता है उनके ऊपर अवश्य हनुमान जी की कृपा होती है
महाराज श्री ने भक्तों से कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ लोगों के कल्याण के लिए निशुल्क रूप से यह कार्य किया जा रहा है बागेश्वर धाम महाराज की कृपा से लोगों को भूत प्रेत बाधाओं से मुक्ति तो मिलती ही है गंभीर बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है
इसी कारण बागेश्वर धाम की महिमा दिनों दिन बढ़ती जा रही है देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु छतरपुर के बागेश्वर धाम गढ़ागंज पहुंचते हैं और कई वैज्ञानिक और पत्रकार रिसर्च करने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसे कैसे संभव है कि जो मन में चल रहा हो जिस बात को प्रकट ही न किया गया हो वह पहले से ही कागज में अंकित कर दी जाए इस तरह की कौतूहल का लोगों के मन में आवश्यक हो सकती है लेकिन बागेश्वर धाम जी की महिमा अमिट है उनकी कृपा से ही सब पूर्ण होता है
महाराज श्री बीते 8 वर्षों से इस तरह की दिव्य चमत्कार कर लोगों को कष्टों से मुक्ति दिला रहे हैं और जिन श्रद्धालुओं को अपने कष्टों और समस्याओं के मुक्ति मिली है वे लगातार बागेश्वर धाम के प्रति आस्था रखते हैं

लगती है पेशी

बागेश्वर धाम महाराज के दरबार में जब लोगों को उनकी जिज्ञासा और समस्याओं को बताया जाता है तब महाराज श्री भारतीय संस्कृति का पालन करने लहसुन प्याज शराब आदि को त्यागने नशा मुक्ति के साथ आस्तिक रहने का आशीर्वाद देते हैं और साथ ही दिए गए मंत्र का नित्य पाठ करने के साथ 21 मंगलवार को धाम में पहुंचने आदेश देते हैं महाराज जी कहते हैं की बागेश्वर धाम के दर्शन भजन और अच्छे व्यवहार से ही लोगों को समस्याओ से मुक्ति मिलेगी

पन्ना से है खास लगाओ

महाराज जी को दिव्य शक्ति कब और कैसे प्राप्त हुई यह तो उन्हें भी नहीं पता लेकिन इस तरह की दिव्य शक्ति प्राप्त करने के लिए उन्होंने पन्ना के जंगलों में तपस्या की है और तभी भगवान की कृपा उन पर पड़ी और भी लोगों का कल्याण कर रहे हैं इसी कारण से धीरेंद्र कृष्ण महाराज जी ने कहा कि पन्ना के लोगों से विशेष लगाओ होने के कारण मैं चाहता हूं कि पन्ना में भी बागेश्वर धाम की गतिविधियां संचालित हो पन्ना से पहुंचने वाले भक्तों को सीधे दरबार में शामिल होने को मिले, उन्हें बागेश्वर में हजारों की भीड़ में लाइन पर ना लगना पढ़े और पन्ना में अन्न क्षेत्र, गोवंश की सेवा और गरीब कन्याओं के विवाह जैसी गतिविधियां यहां का शिष्य मंडल संचालित करें तो भगवान की कृपा होगी इस कारण उन्होंने अपने शिष्य मंडलों से 2021 के अंत तक पन्ना में अन्य क्षेत्र शुरू करने का अनुरोध किया

गोसेवा परम धर्म

महाराज धीरेंद्र कृष्ण जी महाराज ने अपने शिष्यों से कहां की गाय पूजनीय है देवी देवताओं का वास गौमाता में होता है गाय की पूजा ही नहीं सेवा की परम आवश्यकता है इस कारण गौशालाओं में यदि मदद कर सकते हैं तो अच्छी बात है अन्यथा प्रत्येक भक्त अपने घर में एक गाय का अवश्य पालन पोषण करें और उनकी सेवा करें गाय की पूजा से ज्यादा महत्वपूर्ण गाय की सेवा है जिससे घर में देवताओं का वास रहेगा

 आत्मा में ही परमात्मा

महाराज जी ने सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जिसमें नगर के पत्रकार आमंत्रित थे उन्होंने पत्रकारों की जिज्ञासाओं का जवाब तो दिया ही साथ ही कहा ऋषि नारद जी की संस्कृति को बढ़ाने वाले लोग समाज में महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अन्याय का सामना ना तो करते ही है जब कभी अन्याय के खिलाफ नहीं लड़ पाते तो किसी ताकतवर व्यक्ति से डलवा देते हैं यानी इस समस्या और अन्याय को लोगों के सामने रखते हैं इसलिए पत्रकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है इसी बीच एक सवाल के जवाब में कहा की मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है ईश्वर हृदय में विराजमान है सिर्फ पहचानने की आवश्यकता है इस कारण भगवान को दूर खोजने के बाद अपने हृदय में झांके भारतीय संस्कृति पुरातन सभ्यता और मानव कल्याण के लिए यथाशक्ति काम करें उसी में भगवत प्राप्ति होगी और ईश्वर के दर्शन होंगे
इस तरह 24 घंटे के लिए पन्ना शहर का माहौल भक्ति में हो गया क्योंकि महाराज जी के आने से श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन की और महाराज श्री कथा वचनों का आशीर्वाद प्राप्त किया

 

दीन दुखी पहले वीआईपी संस्कृति समाप्त करने का प्रयास

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर का प्रयास हमेशा से ही वीआईपी कल्चर समाप्त करने का रहा है यही कारण है कि उस के दरबार में वीआईपी हो की लिस्ट नहीं लगती सीधे भक्तों से रूबरू होते हैं वह कई बार बिना पूछे किसी से भी उनकी समस्याएं बता देते हैं किसी अन्य व्यक्ति से बुलाने के लिए कहते हैं तो कभी बहुत गरीब परेशान आदमी सीधे महाराज जी के दरबार पर आता है विशिष्टता की कड़ी को खत्म करने का प्रयास करते हैं क्योंकि उनका मानना है की वीआईपी संस्कृति से कई बार दीन दुखी पीड़ित लोग वंचित रह जाते हैं या पिछड़ जाते हैं इस कारण से यदि भारतीय संस्कृति और सनातन सभ्यता को बचा कर रखना है तो वीआईपी संस्कृति को भी समाप्त करना होगा

बागेश्वर धाम महाराज जी का दरबार पुरुषोत्तमपुर में आज     पूर्व bjp जिला अध्यक्ष के घर रुके पूर्व bjp जिला अध्यक्ष सतानन्द गौतन के घर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है महराज जी उनके घर मे रुके है

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सोते हुये भाई को कुल्‍हाडी से मारकर हत्‍या करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास की सजा एवं जुर्माना

 लाल्ले आदिवासी को सुनाई गई सजा 5000 का जुर्माना भी लगाया

(शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश  द्वारा चिन्हित,जघन्‍य एवं सनसनीखेज प्रकरण में वीडियो कान्‍फ्रेंसिग से फैसला सुनाते हुये, कुल्‍हाडी से हमला कर हत्‍याकारित करने वाले अभियुक्‍त लाल्‍ले आदिवासी को आजीवन कारावास की सजा एवं 05 हजार रूपये के अर्थदण्‍ड से द‍ंडित किया गया।
प्रकरण के संबंध में जानकारी देते हुये ऋषिकांत द्विवेदी, मी.से.प्रभा./सहा.जि.लो.अभि.अधि. ने बताया कि,थाना-सलेहा में दिनांक 12.06.2020 को फरियादी कोमल आदिवासी पिता-बन्‍धेजा आदिवासी निवासी-बिकौरा द्वारा सूचना दी गई कि,साहब हम तीन भाई है मेरा बडा भाई दयाराम आदिवासी बकरी चराता है दिनांक 11.06.2019 रात्रि 11.00 की बात है मेरा भाई दयाराम अपने दरवाजे से व लाल्‍लेआदिवासी अपने दरवाजे पर थे जो कि,एक दूसरे से गाली-गलौच कर रहे थे तब मैने भाई दयाराम को पकडकर समझाकर चौगान में चारपाई में लिटा दिया और समझाया कि,रात्रि काफी हो गई सो जाओं और मैं वापिस घर आकर सो गया सुबह के समय भतीज बहू द्वारा मुझे आकर बताया कि,देखों भईया को क्‍या हो गया खटिया के नीचे खून पडा है तब मैंने बहू के साथ चौगान में जाकर देखा तो भाई दयाराम खटिया पर शांत लेटा था उसके सामने गर्दन व सीना में गहरे घाव थे जिससे खून निकल रहा था जिसे देख मैं चिल्‍लाया तो गाव के कुछ लोग आ गये। तब भाई जुगराज ने 100 नंबर पर फोन लगाकर सूचना दी। थाना-सलेहा में अपराध क्र. 154/2019 पर अपराध पंजीबद्ध कर अग्रिम विवेचना आरंभ की गई।प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये, उक्‍त प्रकरण शासन द्वारा चिन्हित,जघन्‍य एवं सनसनीखेज प्रकरण के रूप में चिन्हित किया गया।
प्रकरण का विचारण न्‍यायालय  जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश पन्‍ना के न्‍यायालय में हुआ।शासन की ओर से प्रकरण की पैरवी  दिनेश खरे,प्रभारी जिला लोक अभियोजन अधिकारी,पन्‍ना द्वारा करते हुये न्‍यायालय के समक्ष आरोपी के विरूद्ध अपराध संदेह से परे प्रमाणित किया गया तथा आरोपी के किए गए कृत्‍य को गंभीरतम अपराध मानते हुये अधिकतम दंड से दंडित किये जाने का निवेदन किया गया। जिसपर माननीय न्‍यायालय द्वारा अभिलेख पर आई साक्ष्‍यों,अभियोजन के तर्को तथा न्‍यायिक-दृष्‍टांतो से सहमत होते हुए अभियुक्‍त लाल्‍ले आदिवासी पिता हरभजन आदिवासी,निवासी-ग्राम बिकौरा,थाना-सलेहा,जिला-पन्‍ना,को धारा 302 भा.द.वि. में दोषी मानते हुये आजीवन कारावास और 05 हजार रूपये अर्थदण्‍ड से दंडित किया गया।

 

 

 मामले का खुलासा करते पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी तथा पीछे टीशर्ट पहने खड़ा आरोपी।

 

 

शिव कुमार त्रिपाठी,पन्ना  पन्ना जिले में 20 वर्षीय युवती की जघन्य हत्या  और नग्न्न्न अवस्था  लाश फेंक देेने की में के मामले का पुलिस ने 24 घंटे के भीतर ही खुलासा कर दिया है। इस सनसनीखेज हत्या के मामले में कातिल कोई और नहीं युवती का ही मंगेतर 21 वर्षीय राजकुमार पटेल पिता रामकांत पटेल निवासी ग्राम इटहा मोहंद्रा, जिला पन्ना निकला है। पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया है।

 उल्लेखनीय है कि ग्राम मड़ैयन निवासी 20 वर्षीय युवती का शव जंगल में शुक्रवार 2 अक्टूबर को सुबह गुंदलहा नाले में अर्धनग्न अवस्था में मिला था। युवती का इस हाल में शव मिलने से जिले में सनसनी फैल गई थी तथा तरह-तरह के कयास और अनुमान लगाये जाने लगे थे। लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पन्ना पुलिस ने पूरी तत्परता के साथ पड़ताल करते हुए 24 घंटे के भीतर ही कातिल को खोज निकाला। घटना के संबंध में जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुये अज्ञात आरोपी की गिरफ्तारी हेतु पुलिस टीम का गठन किया गया । उक्त पुलिस टीम द्वारा पुलिस अधीक्षक पन्ना द्वारा दिये गये निर्देशो का पालन करते हुये मृतिका के शव का पी.एम. डॉक्टर पैनल द्वारा कराया गया। थाना प्रभारी कोतवाली पन्ना द्वारा मृतिका के गाँव पहुँचकर गाँव के लोगो के कथन लिये गये एवं मृतिका के मोबाइल नम्बर की जानकारी ली गई। मृतिका द्वारा उपयोग किये जा रहे मोबाइल की जानकारी साइबर इंटेलिजेंस से प्राप्त हुई। जिसमें मृतिका द्वारा अंतिम बार राजकुमार पटेल निवासी ग्राम इटहा मोहंद्रा से बात होना पाया गया। इंटेलिजेंस जानकारी के आधार पर संदिग्ध राजकुमार पटेल की खोजबीन करने पर वह घर में नहीं मिला। यह युवक मोटरसाइकिल से कहीं बाहर भागने की फिराक में था। लेकिन पुलिस की चौतरफा नाकेबंदी और सक्रियता के चलते वह भागने में सफल नहीं हुआ। वह भाग पाता उससे पहले ही पुलिस को मुखबिर से युवक के बारे में सूचना मिल गई, फलस्वरूप पुलिस ने  घेराबंदी कर उसे बायपास रोड पन्ना में दबोच लिया। पूछताछ में आरोपी युवक ने बताया कि लॉकडाउन के पूर्व उसकी शादी मृतिका के साथ हुई थी। मैं जब उसे फोन करता तो कई बार वह मेरा फोन नहीं उठाती थी, जिससे मुझे उस पर शंका होने लगी। घटना दिनांक 27 सितंबर को आरोपी ने फोन करके युवती को नाले के पास बुलाया, जहां दोनों के बीच वाद विवाद हुआ। फल स्वरुप उसी के दुपट्टे से गला दबाकर हत्या कर दी और लाश नाले में फेंक दिया। उसके बाद मै वापस अपने घर इटहा आ गया । पुलिस द्वारा आरोपी के बताये अनुसार आरोपी के आने जाने वाले रास्तो के सी.सी.टी.व्ही. फुटेज को चेक किया गया जिसमे उक्त आरोपी घटना दिनांक को अपनी मोटर साइकिल से घटनास्थल की तरफ जाते हुये दिखा है।  पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मृतिका की पीएम रिपोर्ट में अभी बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस द्वारा आरोपी का सीमेन स्लाइड प्रजर्व कराया जाकर जाँच हेतु फारेंसिक लैब भेजा जा रहा है। जिसके अनुसार जाँच रिपोर्ट प्राप्त होने पर बलात्कार के सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट होगी। उसी के अनुसार अग्रिम विवेचना कार्यवाही की जावेगी । मेमोरेण्डम कथन अनुसार आरोपी द्वारा घटना कारित करने के बाद मृतिका का मोबाइल एवं घटना कारित करते समय आरोपी द्वारा पहने गये अपने कपडे कहीं छिपा देना बताया है  जिसे पुलिस रिमाण्ड में लिया जाकर जप्त किया जावेगा।   

मामले के खुलासे में इनका रहा सराहनीय योगदान

हत्या के इस संगीन और सनसनीखेज मामले के खुलासे में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अलावा इनका सराहनीय योगदान रहा। सफलता दिलाने वाली टीम में थाना प्रभारी कोतवाली अरूण सोनी, उनि जे. एम. सिहं, उनि राहुल यादव, उनि व्हीके अहिरवार, उनि जया सोनी, प्रआर. रामकृष्ण पाण्डे , शिवेन्द्र सिहं , प्रेमलाल पाण्डेय , सायबर सेल से नीरज रैकवार, आशीष अवस्थी , धर्मेन्द्र सिंह राजावत  एवं पुलिस टीम से आर. राजेश सिहं ,बीरेन्द्र कुमार, रामपाल बागरी, राजीव मिश्रा, मोहन सिंह, दीपप्रकाश , प्रदीप पाण्डेय, रविकरन , केशव , सुनील, रोहित , मुन्ना , रवि खरे  शामिल रहे। पुलिस अधीक्षक पन्ना द्वारा उक्त पुलिस टीम को नगद पुरूस्कार से  पुरुस्कृत करने की घोषणा की गई है ।

 

 

खेल का ग्राउंड बना झाड़ियों का मैदान

आवारा गधा घोड़ों और जानवरों का अड्डा बना नजरबाग स्टेडियम

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वनराज का सिर काटने वाले आरोपियों का हुआ खुलासा

 

 

 सिर कटे बाघ का शव और कार्यवाही में लगे तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर k.s. भदौरिया


पन्ना टाइगर रिजर्व में टाइगर का सिर काटे जाने के मामले में स्पेशल टास्क फोर्स के दल ने तीन लोगों को पकड़ा था, जिनसे पूछताछ किये जाने पर उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। देश और प्रदेश के वन्यजीव प्रेमियों को हैरानी में डालने वाले इस सनसनीखेज मामले में लिप्त आरोपियों का उप वन संरक्षक (वन्य प्राणी) प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय भोपाल द्वारा बकायदा प्रेस नोट जारी कर गुरुवार 1 अक्टूबर को खुलासा भी कर दिया गया है। आरोपी ग्राम पलकोहा, थाना बमीठा जिला छतरपुर के निवासी बताये गये हैं। इन आरोपियों में एक कथित झोलाछाप डॉक्टर भी शामिल है।

 उल्लेखनीय है कि विगत 10 अगस्त 2020 को एक वयस्क नर बाघ का सिर कटा शव केन नदी में तैरता हुआ मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का खुलासा होने पर कि बाघ का न सिर्फ सिर काटा गया है अपितु धारदार हथियार से उसके संवेदनशील अंगों को भी निकाला गया है, तो पन्ना से लेकर भोपाल तक हड़कंप मच गया। आनन-फानन 3 सितंबर को जांच दल गठित कर इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले आरोपियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिये गये। निर्देश मिलते ही एसटीएफ की टीम सक्रिय हो गई और एक माह के भीतर ही बाघ का सिर काटने वाले आरोपियों को दबोच लिया। स्पेशल टास्क फोर्स के इस दल की कामयाबी व उत्कृष्ट कार्य की प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) आलोक कुमार ने सराहना करते हुए इस पूरी टीम को सम्मानित किए जाने की घोषणा की है।

भोपाल से आज जारी हुए प्रेस नोट में बताया गया है कि स्पेशल टास्क फोर्स वन्य प्राणी के द्वारा पीटीआर द्वारा दर्ज अपराधिक प्रकरण क्रमांक 561/22 दिनांक 9-8-20 की जांच हेतु योजनाबद्ध तरीके से कार्यवाही करते हुए मुखबिर तंत्र विकसित कर 30 सितंबर 20 को ग्राम पलकोहा थाना बमीठा जिला छतरपुर से तीन व्यक्तियों को अपनी अभिरक्षा में लिया गया। पकड़े गये आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि बाघ के अंगों को काटने के बाद पकड़े जाने के डर से केन नदी में फेंक दिया था। उक्त आरोपियों के द्वारा बाघ के अंगों को काटकर जहां गड़ा दिया गया था, उक्त स्थल से भी एसटीएफ के द्वारा कुछ अवशेष जप्त किया गया है, जिन्हें फॉरेंसिक जांच हेतु भेजा जायेगा। प्रकरण में पकड़े गये आरोपियों ने अपना नाम घनश्याम पिता रामस्वरूप कुशवाहा उर्फ डॉक्टर, अच्छे लाल पिता भूरा एवं नत्थू निवासी ग्राम पलकोहा, थाना बमीठा, जिला छतरपुर बताया है। इन तीनों आरोपियों को अग्रिम कार्यवाही हेतु पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को सौंपा गया है। मामले में अग्रिम कार्यवाही अब पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा की जायेगी।

 विवादों में रहा टाइगर रिजर्व

लॉकडाउन के दौरान टाइगर रिजर्व में पर्यटन पूरी तरह से बंद था ऐसे में शिकारियों ने रिजर्व को अपना अड्डा बना लिया और लगातार बाघ को निशाना बना रहे थे ऐसी में सक्रिय शिकारियों ने कई बाघों को क्षति पहुंचाई है जिसकी किरकिरी पूरे देश में हो रही थी ऐसे में इस मामले का खुलासा करना टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बड़ी चुनौती थी इसी का परिणाम है कि रिटायरमेंट के कुछ माह पूर्व ही तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर केस भदौरिया को इसकी कीमत अपनी कुर्सी गांवा कर चुकानी पड़ी और सरकार ने इसी विवाद के चलते उन्हें यहां से हटाकर स्थानांतरण भोपाल कर दिया है अब इस खुलासे के बाद वन्यजीव प्रेमियों ने राहत की सांस ली है और पकड़े जाने के बाद जो इलाके में पोचिंग  चल रही है उस पर भी अंकुश लगने की उम्मीद है

  1. पर्यटकों के भ्रमण को खुला पन्ना टाईगर रिजर्व

पर्यटकों के भ्रमण हेतु आज खोले गये मंडला प्रवेश द्वार का नजारा।

 

  1. (शिवकुमार त्रिपाठी),  कोरोना  के कारण लंबे समय से बंद पन्ना टाइगर रिजर्व टूरिस्टो के लिए  सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खोल दिया गया  बाघों के  दीदार  के लिए  मशहूर बुंदेलखंड  का खूबसूरत  टाइगर रिजर्व  में  पहले दिन ही देशी और विदेशी सैलानी पहुंची  कोरौना गाइडलाइन लिए के साथ  टाईगर रिजर्व के दोनों प्रवेश द्वारों मड़ला एवं हिनौता में फिर से चहल पहल शुरू हो गई है। पहले दिन आज टाईगर रिजर्व के मड़ला प्रवेश द्वार पर पार्क भ्रमण हेतु  आने वाले पर्यटकों का प्रातः 6 बजे  पन्ना टाइगर रिजर्व के पंजीकृत गाइड, क्षेत्र संचालक एवं अन्य स्टाफ तथा टूर आपरेटरों के द्वारा स्वागत किया गया। आज प्रातः मड़ला गेट से 10 पर्यटक वाहनों ने प्रवेश किया है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुये पार्क प्रबंधन द्वारा सभी जरुरी तैयारियां कर ली गई थीं। पार्क भ्रमण हेतु जाने वाले पर्यटकों को कोरोना गाइड लाइन का पालन करने को कहा गया है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक नवागत क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने आज सुबह फीता काटकर विधिवत पर्यटक वाहनों को मंडला गेट से प्रवेश करने की इजाजत दी। बेहद खुशनुमा माहौल में आज सुबह मड़ला गेट से 10 पर्यटक वाहनों ने प्रवेश किया, जिनमें सभी भारतीय पर्यटक सवार थे। गौरतलब है कि पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल मौजूदा समय बाघों से गुलजार है। यहाँ के वन क्षेत्र में 27 वयस्क तथा 27 अर्धवयस्क बाघों सहित 9 शावक विचरण कर रहे हैं। जिससे पन्ना पार्क के प्रति देशी व विदेशी पर्यटकों का आकर्षण बढ़ा है। इस मौसम में टाईगर रिजर्व की हरी-भरी वादियां और गहरे सेहा भी पर्यटकों को लुभा रहे हैं। बाघों का कुनवा बढने से बाघ दर्शन की संभावनायें भी पहले के मुकाबले बढ़ी हैं, जिससे पर्यटक पन्ना टाईगर रिजर्व के भ्रमण को प्राथमिकता देने लगे हैं। कोर क्षेत्र के अलावा पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र अकोला एवं झिन्ना को पर्यटन हेतु विकसित किया गया है।