✎ शिव कुमार त्रिपाठी
समझदार है कोरोना पॉजिटिव मरीज मोहम्मद
स्वस्थ महसूस कर रहा अच्छे संकेत
कोरोना नोडल अधिकारी डॉ प्रदीप ने दी सावधानी बरतने की सलाह घबराए और परेशान ना हो
आत्मविश्वास से जीतेंगे कोरोना की जंग
(शिवकुमार त्रिपाठी)
पन्ना में जब से कोरोना का पहला पॉजिटिव मरीज मिला है हर जगह इसी की चर्चा चिकित्सीय स्टाफ का कार्य और कोरोना मरीज के बारे में जानने की उत्सुकता हर आम और खास व्यक्ति की है कुछ समय के लिए लोगों में डर जैसा माहौल पैदा हो गया था पर जिस आत्मविश्वास के साथ चिकित्सीय स्टाफ अपना काम कर रहा है और कोरोना पॉजिटिव मरीज में जिस तरह से आत्मबल दिखाई दे रहा है वह निश्चित ही तारीफ के काबिल है और शीघ्र ही पन्ना जिला इस कोरोना की जंग जीतेगा
जो जानकारी प्राप्त हुई है कोरोना मरीज पर किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं मरीज बहुत अनुशासित है डॉक्टरों की हर साल और निर्देश का पालन कर रहा है जब मरीज से खाने-पीने और उसके शौक पर डॉक्टरों ने बात की और कहा कि जो चाहते हो हर चीज हम उपलब्ध कराएंगे तो खास मांग नहीं रखी और सामान्य भोजन ही मांगा है पूरे संयम आत्मविश्वास और धैर्य के साथ यह मरीज रह रहा है उसने अतिरिक्त सुविधाओं में साफ-सुथरे कपड़े और नवाज पढ़ने की उचित व्यवस्था मात्र की मांग की है निश्चित ही अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुसार ईश्वरीय साधना मरीजों के लिए दवा से ज्यादा मददगार हो रही है और यही दुआ सकारात्मक संकेत दे रहे
आम आदमी को डॉक्टर की सलाह
जिला कोरोना नोडल अधिकारी डॉ प्रदीप द्विवेदी ने हस्तलिखित एक पत्र देकर आम लोगों से अपील की है कि कोरोना संक्रमित बीमारी है पर इससे डरने घबराने की जरूरत नहीं है यह बीमारी क्योंकि लोगों से ट्रांसफर होती है तो बार बार हाथ में विटामिन सी से युक्त फलों का सेवन करें बार-बार पानी पिए और अपने घरों में सुरक्षित रहें यही को रोना की सबसे उचित दवा है और ध्यान योग के साथ अपनी यूनिटी बढ़ाकर इस जंग से लड़ने में अपने आप को तैयार कर सकते हैं डॉ प्रदीप द्विवेदी ने सलाह दी है कि जो फल इत्यादि बाहर से लाए जा रहे हैं उन्हें गुनगुने पानी में धोए अनावश्यक बाहर ना निकले और करुणा के बारे में नेगेटिव सूचना रखें क्योंकि यह देशव्यापी बीमारी है हर किसी को मिलजुलकर लड़ना है जब सब लोग शासन प्रशासन का सहयोग करेंगे तो इसमें विजय अवश्य मिलेगी
चिकित्सीय स्टाफ की पारिवारिक परिस्थिति और उनका मनोबल
पन्ना में जब कोरोना का पहला मरीज लाया गया तो उसकी देखभाल इलाज के लिए करीब 40 से 50 लोगों का चिकित्सीय और सुरक्षा स्टाफ लगाया गया है जिसमें जो लोग उसका इलाज करते हैं भोजन देते हैं और हर वक्त उसकी सीधे संपर्क में रहते हैं उनकी आत्मबल कितने मजबूत होगा क्योंकि इन स्टाफ में जो लोग हैं उनकी अपनी परिवारिक परिस्थितियां भी हैं अधिकांश नर्स अपने परिवार मां पिता से दूर यहां ड्यूटी कर रही थी और उन्हें मरीज के आते ही एक होटल में रख दिया गया जो सीधे किसी के संपर्क में नहीं आ सकते और वे भी स्वयं जानते हैं कि ऐसा करना उनकी और समाज और परिवार दोनों के लिए घातक है पैर से दिव्यांग और कोरोना रोग के प्रभारी डॉ प्रदीप द्विवेदी के 2 छोटे बच्चे हैं छोटा बच्चा 1 वर्ष और बड़ा बेटा 5 वर्ष का है जिला अस्पताल परिसर में अपने बच्चों पत्नी के साथ द्विवेदी रह रहे है अब उन्हें परिवार से सीधे मिलने की कोई अनुमति नहीं है इसी तरह अन्य स्टाफ को भी अपने परिवार मिलना और घर जाने की इजाजत नहीं है
अब वे अस्पताल और होटल में ही रह सकते हैं उन्हें मरीज के ठीक होने और इसके बाद तक सैंपल में इन्हें नेगेटिव आने तक होटल में ही कोरनटाइम रहना पड़ेगा जब उनके परिवारिक परिस्थिति के बारे में बात की तो ज्यादा उन्होंने कुछ कहने से तो मना किया पर कहते हैं कि अब मरीज के ठीक होने और इसकी बाद समस्त चिकित्सीय स्टाफ के नमूने परीक्षण के बाद ही परिवार से मिलूंगा मरीज की सेवा के लिए ऐसा करना जरूरी है और हमारी जिम्मेदारी भी है कि हम इस नेक कार्य को करें अपने और परिवार को सुरक्षित रखने के लिए संपर्क में नहीं आऊंगा