✎ शिव कुमार त्रिपाठी
संगत के अनुसार ही जीवन पड़ता है प्रभाव
भागवत कथा के प्रभाव से ही राजा परीक्षित को हुआ था मोक्ष प्राप्त : राम दुलारे
पन्ना शहर के बस स्टैंड पन्ना के समीप श्रीमदभगवत महापुराण कथा दिनांक 31 जनवरी 2021 से शुभारंभ किया गया है।जिसका आज 7 फरवरी को समापन किया गया। श्रीमदभगवत महापुराण का वाचन कथा व्यास पं श्री राम दुलारे पाठक जी द्वारा किया जा रहा है।
चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा रविवार को धूमधाम से संपन्न हो गई। हरी नारायण शर्मा दादा कृष्णा बस ट्रेवल्स पिता शिव शंकर चन्सौरिया सेवा निवृत वन कर्मचारी की ओर से कराए गए धार्मिक आयोजन में कथा व्यास पं श्री राम दुलारे पाठक ने बताया कि
मोक्ष की कामना प्रत्येक मनुष्य करता है, लेकिन सभी को सही राह नहीं मिलती है। भागवत महापुराण कथा एक ऐसा मार्ग है जो प्रत्येक को मोक्ष की ओर ले जाती है। राजा परीक्षित को मिले श्राप से हुई मृत्यु के बाद भी कथा सुनने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए कलयुग में मोक्ष की कामना करते है तो श्रीमद् भागवत महापुराण कथा से श्रेष्ठ मार्ग कोई नहीं है। कथावाचक श्री पाठक ने कहा कि श्रंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिए तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परिक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डंस लेते हैं और जहर के प्रभाव से राजा का शरीर जल जाता है और मृत्यु हो जाती है। लेकिन श्री मद् भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। पिता की मृत्यु को देखकर राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय क्रोधित होकर सर्प नष्ट हेतु आहुतियां यज्ञ में डलवाना शुरू कर देते हैं जिनके प्रभाव से संसार के सभी सर्प यज्ञ कुंडों में भस्म होना शुरू हो जाते हैं तब देवता सहित सभी ऋषि मुनि राजा जनमेजय को समझाते हैं और उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं। कथा वाचक श्री पाठक ने कहा कि कथा के श्रवण प्रवचन करने से जन्मजन्मांतरों के पापों का नाश होता है और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
कथा व्यास ने प्रवचन करते हुए कहा कि संसार में मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करना चाहिए, तभी उसका कल्याण संभव है। माता-पिता के संस्कार ही संतान में जाते हैं।संस्कार ही मनुष्य को महानता की ओर ले जाते हैं। श्रेष्ठ कर्म से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। अहंकार मनुष्य में ईष्र्या पैदा कर अंधकार की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि श्लोक कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेसु कदा चनि:। मनुष्य को सदा सतकर्म करना चाहिए। उसे फल की ¨चता ईश्वर पर छोड़ देनी चाहिए।
कथा समापन पर हरिनारायण शर्मा दादा दीपक शर्मा कृष्णा शर्मा छोटे महाराज द्वारा भागवत कथा श्रवण पान करने आए सभी श्रद्धालुओं का आभार प्रदर्शन किया गया है।