हीरा परियोजना को चालू कराने सांसद और मंत्री ने की मुख्यमंत्री से मुलाकात
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिले विष्णु दत्त शर्मा और बृजेंद्र प्रताप सिंह
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वाइल्डलाइफ बोर्ड की मीटिंग करा कर सकारात्मक फैसला लेने की उम्मीद
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मुख्यमंत्री ने हीरा परियोजना चालू कराने का दिया आश्वासन
(शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना स्थित एनएमडीसी की हीरा खनन परियोजना देश दुनिया में सर्वोत्तम क्वालिटी के हीरो के लिए फेमस है अब तक 13 लाख कैरेट हीरो का उत्पादन कर चुकी इस पुरानी परियोजना को चालू कराने के लिए क्षेत्रीय सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा मध्यप्रदेश शासन में मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की है मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने इस हीरा परियोजना को चालू कराने की मुद्दों पर चर्चा की और बताया कि पन्ना जिले की रोजगार और विकास के लिए यह कितनी महत्वपूर्ण है यदि यही रा परियोजना बंद हो जाती है तो सरकार को करोड़ों का राजस्व का नुकसान तो होगा ही पन्ना जिले के लोगों के रोजगार पर प्रतिकूल असर पड़ेगा साथ ही सर्वोत्तम क्वालिटी के हीरे इसी जमीन में दफन रह जाएंगे लिहाजा दोनों प्रभावशाली नेताओं की बातों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आश्वासन दिया है कि हीरा परियोजना किसी भी कीमत पर बंद नहीं होने दी जाएगी इस आशय की स्वीट भी मुख्यमंत्री ने स्वयं अपनी पोस्ट के माध्यम से किए हैं जिससे यह उम्मीद जगी है कि यह हीरा परियोजना शीघ्र चालू हो सकेगी
5 साल पहले रह चुकी है बंद
2005 में इसी तरह के पर्यावरण नियमों के कारण जब हीरा परियोजना को बंद किया गया था उसको चालू कराने के लिए एनएमडीसी हीरापुर परियोजना प्रबंधन ने खूब मशक्कत की तब भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे और भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी लेकिन बंद हुई इस परियोजना को चालू कराने के लिए मैं 5 वर्ष का समय लग गया था इसलिए तुरंत चालू हो जाएगी यह तो उम्मीद नहीं की जा सकती आप पर इतना अवश्य है कि पहले जिले में ताकतवर नेता नहीं थे इस बार हमारे सांसद विष्णु दत्त शर्मा भारतीय जनता पार्टी कि प्रदेश के मुखिया हैं और क्षेत्रीय विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह एक ताकतवर मंत्री हैं उनके प्रयास को कोई इग्नोर नहीं कर सकता लिहाजा इस बार उम्मीद अवश्य है कि यह परियोजना शीघ्र चालू होगी
क्या है मामला और कितनी महत्वपूर्ण है परियोजना
पन्ना में स्थित एशिया महाद्वीप की एकमात्र मैकेगनज्ड हीरा खनन परियोजना पर्यावरण अनुमति के कारण बंद कर दी गई है 1 जनवरी 2021 से उत्खनन एवं प्रोसेसिंग प्लांट बंद हुआ है टाइगर रिजर्व ने भी इनके बंद करने का पत्र लिखा है सेंचुरी क्षेत्र में होने के कारण अभी तक इस खूबसूरत रत्न हीरे का उत्पादन करने वाली इस परियोजना को वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अभी तक अनुमति नहीं मिली है मामला मध्य प्रदेश सरकार के मध्य पेंडिंग है केंद्र सरकार के अनुमति के बाद ही चालू हो सकेगी एनएमडीसी हीरा खदान जो पन्ना टाइगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण्य अंतर्गत वन भूमि रकबा 74.018 हेक्टेयर में संचालित है। जिसके संचालन की अवधि 31 दिसंबर 2020 को समाप्त हो गई है। क्षेत्र संचालक का पत्र मिलने के बाद से ही परियोजना में हड़कंप मचा है
पन्ना में स्थित एशिया की एकमात्र हीरा खदान हुई बंद
* परियोजना संचालन के लिए 31 दिसंबर 2020 तक थी अनुमति
* हीरा खदान में उत्खनन कार्य पूरी तरह बंद करने पन्ना टाइगर रिजर्व ने भेजा पत्र
( शिवकुमार त्रिपाठी) बहुमूल्य रत्न हीरों के खनन के लिए विश्व विख्यात मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में मझगवाँ स्थित एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खनन परियोजना में हीरों का उत्पादन नए साल के पहले दिन से ही बंद हो गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने महाप्रबंधक, हीरा खनन परियोजना को एक पत्र जारी कर दिनांक 01 जनवरी 2021 से परियोजना में उत्खनन कार्य पूरी तरह से बंद करने के निर्देश दिए थे। जिसके परिपालन में हीरा खदान व प्लांट को बंद कर दिया गया है। परियोजना के संचालन की स्वीकृति सम्बंधी अवधि के समाप्त होने के कारण हीरों के उत्पादन को तत्काल प्रभाव से बंद करना पड़ा है।
पूरी रात विषयबद्ध जवाबी कीर्तन से मना नया वर्ष
बागेश्वर धाम में बुंदेलखंड के नामी कीर्तन मंडली
छतरपुर जिले की गड़ागंज में स्थित प्रसिद्ध चमत्कारी स्थान बागेश्वर धाम मैं 1 जनवरी 2021 को नव वर्ष का आयोजन साहित्य साधना के साथ किया गया ईसवी कैलेंडर के नव वर्ष के उपलक्ष में बागेश्वर धाम सरकार श्री धीरेंद्र कृष्ण जी ने यह आयोजन किया जिसमें सभी भक्तों मंडल के सदस्यों को आयोजित किया गया था बुंदेलखंड की कीर्तन विधा को प्रोत्साहित करने के लिए महाराज श्री ने विषयबद्ध जवाबी कीर्तन का आयोजन किया जिसमें उत्तर प्रदेश के हमीरपुर की लाल चंद्र दीक्षित की कीर्तन मंडली आई और दूसरी कीर्तन मंडली छतरपुर के मातादीन विश्वकर्मा की थी जिसे राम और परशुराम संवाद की दो विषयों पर तात्कालिक विषय बंद सूची के तहत कीर्तन के लिए विषय दिए गए महाराज श्री ने ट्रांस कराया और टास जीतने के बाद मातादीन विश्वकर्मा ने भक्ति साधना की शुरुआत की और उन्हें परशुराम का संवाद दिया गया था जिस तरह से रामायण में भगवान परशुराम का चरित्र है उसी को तत्काल कीर्तन और भजन के माध्यम से गाया जाना था
इसी तरह उत्तर प्रदेश की कीर्तन मंडली लालचंद दीक्षित को लक्ष्मण का विषय दिया गया था जिसमें कड़ाके की ठंड के बीच जबरदस्त प्रस्तुतियां दी गई पूरी रात श्रोता बुंदेली कीर्तन विधा का आनंद उठाते रहे महाराज श्री धीरेंद्र कृष्ण जी महाराज ने बताया कि बुंदेलखंड में बहुत ही साधना और राग के साथ जवाबी कीर्तन गाई जाती है धीरे-धीरे यह विधा विलुप्त होने की स्थिति में पहुंच रही है इसलिए इन्हें संरक्षित करने के उद्देश्य यह आयोजन किया गया है 31 मार्च 2021 को पुनः विषय बंद कीर्तन का आयोजन किया जाएगा महाराज श्री ने बताया कि इस आयोजन के पूर्व आश्रम के प्रबंधन मंडल की बैठक हुई और इसमें तय किया गया कि जिले का सबसे बड़ा यज्ञ मई के महीने में आश्रम में आयोजित किया जाएगा जिसमें 108 कुंडी हवन और पुराण के साथ रासलीला और भागवत कथा का एक साथ आयोजन किया जाएगा जिसकी तैयारियां आश्रम से जुड़े और भक्त मंडल ने प्रारंभ कर दी है
महाराज श्री ने सभी से अपील की कि गरीब कन्याओं के विवाह में मदद करें गायों की सेवा करें एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा के साथ नशा जैसे व्यवसायों से दूर रहकर नव वर्ष का स्वागत करें उम्मीद है 2021 सभी भक्तों को शुभ होगा सभी तरक्की करेंगे एवं भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए सभी भक्तगण अपनी शक्ति के अनुसार सहयोग कर धर्मानुसार आचरण करेंगे यही कामना बागेश्वर धाम सरकार से नित्य प्रति करते हैं
ज्ञात हो कि बागेश्वर धाम मैं इन दिनों हजारों का समुदाय एकत्र होता है दैहिक ,दैविक और भौतिक कष्ट से मुक्ति मिलती है इस कारण बागेश्वर आश्रम की प्रसिद्धि दिनों दिन पूरी दुनिया में बढ़ती जा रही है इस अवसर पर महाराज श्री का सानिध्य प्राप्त करने गुन्नौर विधायक शिवदयाल बागरी पन्ना से नरेंद्र शुक्ला ठेकेदार मनु चौबे पवई से प्रदीप मिश्रा छतरपुर से नितिन चौबे अंकित सहित बड़ी संख्या में महिला पुरुष भक्तगण मौजूद रहे
पन्ना शहर में जगह-जगह महीनों से टूटी पड़ी है पाइप लाइन
हर रोज सड़को , नालियों में बह रहा है पीने का पानी
अगर पानी नहीं सहेजा तो गर्मियों में होगा भीषण जल संकट से सामना
- (शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना शहर में पीने के पानी का एकमात्र साधन राजाशाही जमाने के तालाब है जिसमें बरसात के पानी का संग्रहण होता है और वर्षभर इन्हीं तालाबों के पानी को फिल्टर कर शहर में पीने की आपूर्ति की जाती है बाहर से पानी लाने की योजना अब तक नहीं बनी इस कारण इन्हीं तालाब के पानी से पूरे वर्ष भर शहर के लोगों को गुजारा करना पड़ता है तभी तो कई बार शहर को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ा लेकिन नगरपालिका प्रशासन की लापरवाही के कारण हर रोज शहर में लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है क्योंकि कई जगह पाइप लाइन टूटी पड़ी है
- महीनों से पानी बह रहा है पर इस ओर किसी का ध्यान नहीं है शहर के मिर्जा राजा तलैया के पास निर्मित छोटे-छोटे पुलिस आवास के सामने कई महीनों से लगातार पानी बह रहा है इसी तरह नेशनल हाईवे में जगह-जगह पाइपलाइन टूटती है और पानी बहता रहता है अस्पताल के सामने पाइपलाइन टूटी पड़ी है जिससे सड़क और नालियों में पानी बहता है कमोवेश यही हाल शहर के कई इलाकों में है 50 से अधिक ऐसी सपोर्ट है जहां पाइपलाइन टूटी पड़ी है जिससे फिल्टर पीने युक्त तैयार किया गया पानी इन टूटी पाइप लाइन और खुले पड़े नलों के माध्यम से बर्बाद हो रहा है ना तो इसका कोई उपयोग है नहीं इसको कोई देखने तक ने वाला इन तस्वीरों को देखने तो चिंता और भी गंभीर हो जाती है क्योंकि पन्ना में सीमित मात्रा में पानी है और इस तरह से यदि बर्बाद होता रहा तो गर्मियों में इसकी क्या हाल होंगे समाचार माध्यमों से प्रशासन तक यह बात पहुंची भी है पर पानी की इस बर्बादी को रोकने के लिए किसी ने ध्यान नहीं दिया
हाईवे के नीचे दबा दी पाइप लाइन इसलिए रोज टूटती है
पन्ना शहर से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य चल रहा है जिसमें मोहन निवास चौराहे से डायमंड चौराहे की बीच में फील्डिंग और आपूर्ति दोनों पाइपलाइन सड़क से होकर गुजरती थी जब अब यह रोड का चौड़ीकरण किया गया है तो दोनों पाइप लाइनों को बीच सड़क में ही दबा दिया गया जिससे हेवी लोड ट्रक जब निकलते हैं तो यह अंदर से पाइप टूट जाते और पानी का रिसाव शुरू हो जाता है इससे पानी की बर्बादी तो होती ही है नवनिर्मित सड़क में भी बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते और आवागमन अवरुद्ध हो जाता है जबकि नेशनल हाईवे के बाजू में एक पाइप लाइन डाली जा चुकी है पर उस काम को पूरा कर बगल से पाइप के माध्यम से पानी की आपूर्ति करने के प्रयास अभी तक नहीं किए गए
कलेक्टर पन्ना को देना होगा ध्यान
नगर पालिका के प्रशासक की कुर्सी में पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्र विराजमान है भले ही उन्होंने जिले में व्यवस्थाएं सुधारने का प्रयास किया हो पर सच यह है कि नगरपालिका की ही व्यवस्थाएं नहीं सुधार पा रही हैं टूटी हुई पाइप लाइन से बर्बाद होते लाखों लीटर पीने के पानी पर नजर तो उनकी भी पड़ी होगी अगर नहीं पड़ी तो अब अवश्य ध्यान देकर इस पाइपलाइन को सुधारने के शीघ्र आदेश देने होंगे यदि नहीं दिए तो गर्मियों में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना उन्हीं को करना पड़ेगा क्योंकि शहर ही नहीं पूरे जिले की जिम्मेदारी भी कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा के ऊपर ही जाएगी
यूआइडीएसएसएमटी योजना के 20 करोड़ खर्च होने के बाद व्यवस्था ढाक के तीन पात
पन्ना शहर में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए बीते 10 साल में जानकारी के अनुसार यूआइडीएसएसएमटी योजना के तहत पाइप लाइन और फिल्टर निर्माण के लिए करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं पर अब तक न तो शहर के सभी कोने में नई पाइपलाइन पहुंची पानी की बर्बादी रोकी शहरवासी अभी कई इलाकों में पीने के पानी के लिए परेशान रहते हैं उन्हें पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है सरकार का इतना सारा पैसा खर्च हो चुका लेकिन लापरवाही ऐसी की ना तो पानी की बर्बादी रुक रही है और न शुद्ध पेयजल मिल पा रहा क्योंकि इन्हीं फूटी हुई पाइप लाइनों से नाली का दूषित गंदा पानी पुनः आपूर्ति पाइप लाइन में पहुंच जाता है और यही गंदा पानी लोगों के घर तक पहुंच रहा है
बागेश्वर धाम भक्त मंडल की बैठक संपन्न
पद्मावती देवी मंदिर में हुई बैठक
गोवंश के संरक्षण के लिए काम करने का संकल्प
(शिव कुमार त्रिपाठी) पन्ना में श्री बागेश्वर धाम सरकार शिष्य मंडल की बैठक आज पद्मावती देवी मंदिर परिसर में आयोजित की गई जिसमें शिष्टमंडल ने पहली बैठक में आयोजित की गई जिसमें शिशु मंदिर की गतिविधियों और आगे की जाने वाली कारों पर चर्चा की गई जैसा कि महाराज श्री की मंशा है कि लोगों को दैहिक दैविक और
सरकारी सार्वजनिक कार्यों में लगाते है अड़ंगे
पन्ना में वन विभाग के बड़े अधिकारियों के कारण नहीं हुआ सड़क का चौड़ीकरण
6 माह में एक दर्जन लोगों की गई जान
एनएच 35 और राजमार्ग 49 का नहीं हो सका चौड़ीकरण
सड़क के किनारे झाड़ियों की नहीं हुई सफाई जिससे सड़क की विजुअलिटी नही होने से हुआ एक्सीडेंट
वन कानूनों की होनी चाहिए समीक्षा :- मंत्री बृजेंद्र
(शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना में बीते कुछ माह से बाघ आकस्मात मर रहे हैं 2 दिन पूर्व एक्सीडेंट में अकोला के पास मादा शावक के मारे जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है वन विभाग में दुख और हड़कंप का माहौल है तो स्थानीय लोग भी चिंतित है टाइगर रिजर्व की कड़ी मेहनत के बाद भी आखिर क्यों पन्ना में इतनी तेजी से टाइगर मर रहे हैं जिसका सबसे बड़ा कारण वन विभाग की कार प्रणाली के साथ बड़े अधिकारियों द्वारा जन हितेषी कार्य में अड़ंगेवाजी करना भी सामने आ रहा है क्योंकि स्टेट हाईवे 49 का जब चौड़ीकरण हो रहा था तब तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आर श्रीनिवास मूर्ति ने उचित चौड़ीकरण नहीं होने दिया जिस जगह पर बाघ का एक्सीडेंट हुआ वहां सड़क में क्रॉसिंग के लिए बहुत कम जगह है जिस ओर शावक था उधर पुलिया चोड़ी हो गई पर रोड का चौड़ीकरण नहीं होने दिया गया और साइड के फुटपाथ की फीलिंग भी नहीं हुई झाडियां होने के कारण बाघ के छुपकर बैठने की जगह थी झाड़ियां के कारण वाहन चालक को सड़क पूरी तरह नहीं दिखी होगी और तभी बाघ दौड़ा होगा उसे बचाने का अवसर भी नहीं मिला और एक्सीडेंट हो गया मौके पर ही उसकी मौत हो गई दीपावली त्यौहार के दिन इस तरह से शावक के मारे जाने से लोगों में चिंता है क्योंकि जिले में एक्सीडेंट में अक्सर इंसान मरते रहते हैं इस तरह से पहली बार हादसा हुआ जिसमें टाइगर की मौत हुई
सड़क किनारे झाड़ियों की नहीं होती सफाई जिससे नहीं देख पाते जानवर
वन विभाग में सड़क के किनारे झाड़ियों की सफाई , फायर लाइन के लिए सरकार खूब पैसे देती है पर वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा न तो फायर लाइन जलाई जाती और न ही सड़क के किनारे झाड़ियों की सफाई कराई जाती है जिससे आवागमन मैं समस्या तो होती ही है वाहन चालकों को रोड के आस पास कुछ दिखाई नहीं देता जिससे हादसे हो जाते हैं जंगल से होकर गुजरने वाले रास्तों में इस समय कुछ ज्यादा ही घटनाएं हो रही हैं
NOC बदल देने से NH39 का चौड़ीकरण रूका, दुर्घटना में एक दर्जन इंसान मरे
पन्ना से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 39 कच्छ पन्ना से देवी नगर के बीच में उत्तर वन मंडल की तत्कालीन डीएफओ नरेश यादव द्वारा पूर्व की दी गई एनओसी बदल देने से सार्वजनिक आवागमन का मार्ग नहीं बन पाया 2014 में इसकी चौड़ीकरण की 12 मीटर मीटर की अनापत्ति दी गई थी इसके बाद फरवरी 2019 में इसे बदल दिया गया और 5 मीटर कर दिया गया जिससे निर्माण एजेंसी ने सड़क का चौड़ीकरण नहीं किया और बीते 6 माह में 1 दर्जन से अधिक निर्दोष लोगों की एक्सीडेंट में मौत हुई है जिससे वन विभाग के नियम कानून के साथ अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है यदि वन विभाग के अधिकारी रंगबाजी नहीं करें तो संभव है इस तरह की घटनाएं न हो
वन कानूनों की होनी चाहिए समीक्षा :- बृजेंद्र सिंह
मध्यप्रदेश शासन के मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि वन विभाग के नियम कानून विकास कार्यों में बाधक है इससे पन्ना के सार्वजनिक जन हितेषी कार्य प्रभावित हो रहे हैं स्थानीय विधायक एवं शासन में खनिज मंत्री बृजेंद्र सिंह ने कहा कि यदि सड़क से कोई व्यक्ति गुजर रहा है और जंगली जानवर से एक्सीडेंट होता है गलती चाहे जिसकी भी हो राहगीरों पर कार्यवाही की जाती है यह उचित नहीं है उन्होंने कहा कि हमारे पन्ना के चारों ओर टाइगर रिजर्व और वन क्षेत्र आता है इसी कारण सड़कों का विस्तार नहीं हो पा रहा पन्ना से होकर गुजरने वाले मार्गों का चौड़ीकरण नहीं हुआ मंडला से हरषबागोह वाले रास्ते पर भी एनओसी नहीं दी गई पन्ना के रोजगार का बड़ा साधन पत्थर खदान बफर जोन, बायोस्फीयर रिजर्व और जैव विविधता जैसे नियमों के कारण राजस्व क्षेत्र में भी हमारी खदानें स्वीकृत नहीं हो पा रही है बंसी मासी खदानों की दूरी ढाई सौ मीटर से 50 मीटर करने के प्रयास करूंगा मंत्री ने आगे कहा मैंने कई बार विधानसभा में भी यह बात उठाई है, अब समय आ गया है कि सार्वजनिक कार्य के लिए वन कानूनों की समीक्षा होनी चाहिए जिससे जंगल के कानून विकास में बाधक न हो
इंसान और जानवर दोनों की हो सुरक्षा
पन्ना में टाइगर रिजर्व बन जाने के बाद यहां वन्यजीवों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है जिससे जंगली जानवर बढे हैं और जंगल के राजा की दहाड़ हर जगह सुनाई दे रही है जंगल में जानवरों की सुरक्षा होनी चाहिए यह सभी की प्राथमिकताओं में है पर इंसानों को बचाने के लिए ही जंगल सुरक्षित किए जा रहे हैं इसलिए पन्ना में इंसान और जानवर दोनों की सुरक्षा की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए और जब दोनों सुरक्षित रहेंगे तभी जंगल भी सुरक्षित रहेगा यदि अधिकारी नियम कानूनों के कारण अड़ंगी बाजी करते रहेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब पन्ना में इंसान और जानवरों के बीच भी संघर्ष होने लगेगा और इसका खामियाजा जानवरों उठाना पड़ेगा
दिवाली के दिन दुखद खबर,, पन्ना में टाइगर की मौत
प्रबंधन में हड़कंप
पन्ना टाइगर रिजर्व से एक दुख देने वाली बड़ी खबर सामने आई है जिसमें नेशनल हाईवे पर एक टाइगर की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई 10 माह की मादा बाघिन पन्ना रेंज की अमरिया में रात में अज्ञात वाहन से टकरा गया जिससे तत्काल मौत हो गई इस बड़ी दुखद खबर के बाद टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा एवं डिप्टी डायरेक्टर जरांडे ईश्वर राम हरि सहित तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं और जांच शुरू कर दी गई है
सड़क दुर्घटना में पन्ना में पहला मामला है जो इस तरह बाघ की मौत हुई हो ज्ञात हो कि बीते 6 माह से पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत तेजी से हो रही है कुछ दिन पूर्व ही शिकारियों ने एक टाइगर की गर्दन काट ली थी और आज इस तरह की बड़ी खबर ने हड़कंप मचा दिया है
फिल्म डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा का कहना है घटना के बाद हम लोग जांच कर रहे हैं और पता कर रहे हैं यह बाघ का एक्सीडेंट हुआ अन्य कारण है लेकिन जिस तरीके से टाइगर की मौत हुई है चिंता का विषय है पन्ना का यह पहला मामला है जिसमें हाईवे में एक्सीडेंट से इस टाइगर की मौत हुई है बीते कुछ समय से टाइगर मर चुके हैं
P-235 का बच्चा है जो बीते कुछ दिनों से लगातार इस इलाके में बना हुआ था और यह एक बड़ी घटना हो गई घटना के बाद वन्य प्राणी चिकित्सक संजीव गुप्ता ने पीएम करना शुरू कर दिया है
मंत्रोक्त बगलास्तुति एवं बीजमंत्र रहस्य पुस्तक का लोकार्पण
दतिया पीताम्बरा पीठ पर लोकार्पण
वरिष्ठ साधक और सुप्रसिद्ध वकील गिरीश गुप्ता ने लिखी बगलामुखी चालीसा
भोपाल:विश्व प्रसिद्ध तेजोमयी दतिया पीताम्बरा शक्तिपीठ पर मंत्रोक्त बगलास्तुति एवं बीजमंत्र रहस्य पुस्तक लोकार्पण किया गया। पीताम्बरा पीठेश्वर अंनत श्री विभूषित 1008 श्री श्री राष्ट्रसंत स्वामी महाराज के तपोस्थल पर उनकी चरण पादुकाओं के समक्ष पीठ के न्यासी और आचार्यों की मौजूदगी में *मंत्रोक्त बगलास्तुति एवं बीजमंत्र रहस्य * लोकार्पण हुआ। मंत्रोक्त बगलास्तुति एवं बीजमंत्र रहस्य के लेखक, वरिष्ठ साधक और जानेमाने वकील गिरीश गुप्ता के अनुसार यह पुस्तक श्री श्री गुरुदेव स्वामी जी की कृपा का पारितोषिक हैं। मंत्रोक्त बगलास्तुति एवं बीजमंत्र रहस्य की स्तुति पीताम्बरा माई के बीज अक्षर से प्रारंभ होकर माई के सभी मन्त्रो , दुर्गा नवानी मंत्र, पंचास्त्र, गणेश, वटुक, भैरव, भैरवी, दक्षिणो, योगनी आदि सहित अनेकों मन्त्रो की साधना है। इसके पठन से साधक के जीवन के तमाम क्लेश का अंत होगा एवम माँ पीताम्बरा और स्वामी जी महाराज की कृपा सभी भक्तगणों को प्राप्त होती रहे ऐसा प्रयास है। लोकार्पण के अवसर पर पीठ के आचार्य विष्णु कांत जी, न्यासी कृष्णप्रकाश अंगल, हरगोविंद गोस्वामी, देवेंद्र राव, उपाचार्य यगवलग जी, तिवारी जी, प्रकाश अंकल सहित कई गणमान्य श्रद्धालु गण उपस्थित थे।
बुंदेलखंड की शारदा माता है पन्ना की बड़ी देवी
हर भक्त अपनी आस्था लेकर पहुंचते हैं
नवरात्र शुरू होते ही सजा देवी का दरबार
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोग कर रहे हैं पूजा
कलेही माता में लगी भक्तों की भीड़
(शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना देश दुनिया में हीरो के लिए जितना प्रसिद्ध है उससे भी कहीं ज्यादा सांस्कृतिक विरासत के लिए भी मशहूर है भगवान राम के चरण यहां पड़े थे आदि शक्ति पीठ मां पद्मावती देवी का स्थान भी पन्ना में है जहां हर भक्तों की मनोकामना को पूर्ण होती ही है बुंदेलखंड के लोग पन्ना की पद्मावती देवी को बड़ी देवी के नाम से जानते हैं और इनका स्थान मैहर की शारदा माता जैसा ही है लोग बड़ी देवी को पन्ना की शारदा माता मानते हैं मां के दर्शन करने पूरे बुंदेलखंड से लोग आते हैं
। जिसे लेकर मान्यता है कि यहां जो भी मनोकामना की जाती है उसे मां भगवती जरूर पूरा करती है। पन्ना में मां सती के पदम यानि पैर गिरे थे और इसीलिए इस शक्तिपीठ की नाम पद्मावती शक्तिपीठ पड़ा।

यहां मां का जो प्राचीन मंदिर है उसे लेकर मान्यता है कि प्राचीन काल में इस क्षेत्र में पद्मावत नाम के राजा हुए थे जो शक्ति के उपासक थे। उन्होंने अपनी आराध्य देवी मां दुर्गा को पद्मावती नाम से इस प्राचीन मंदिर में स्थापित किया। कालांतर में इस क्षेत्र का नाम इसी मंदिर के कारण पद्मावतीपुरी हुआ, जो बाद में परना और वर्तमान में पन्ना के नाम से पहचाना जाता है। पद्मावती देवी का उल्लेख भविष्य पुराण तथा विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी है। ये मंदिर गौण नरेशों का आराध्यस्थल भी था।
पद्मावती शक्तिपीठ के प्रति भक्तों की असीम श्रद्धा और विश्वास है। जानकार कहते हैं कि भक्त इसलिए यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं क्योंकि यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
मंदिर की खास बातें
– पन्ना में किलकिला नदी के पास मां का यह प्राचीन देवी मंदिर है। इस मंदिर को स्थानीय बोली मे बड़ी देवन कहा जाता है।
– मंदिर के पुजारी राम कुमार शुक्ला के अनुसार, नवरात्रि में यहां बड़ा आयोजन होता है और देशभर से भक्त आते हैं।
– इस दौरान मां के दरबार में क्षेत्रीय बुंदेली भजन गीत गाए जाते है। मान्यता है कि देवी पद्मावती के आशीर्वाद के कारण ही पन्ना इतना समृद्ध है।
यह है मां सती के टुकड़े-टुकड़े होने की कहानी
मां सती भगवान शिव की पहली पत्नी थी। वह राजा दक्ष की बेटी थी जिसने भगवान शिव को अपनी पुत्री से शादी के लिए मना कर दिया था। उनके इंकार के बाद भी मां सती ने भगवान शिव से शादी की। एक दिन दक्ष राजा ने बड़े यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने सभी ऋषियों और देवताओ को बुलाया लेकिन भगवान शिव को नहीं आमंत्रित किया क्योंकि वे भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे।
मां सती ये अपमान नहीं सहन नहीं कर पायी। जब वे पिता से इसका उत्तर जानने यज्ञ स्थल पहुंची तो पिता ने उनका अपमान किया भगवान शिव को भला बुरा कहा। मां सती अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन नहीं कर पायी और उन्होंने अपने आप को यज्ञ की अग्नि में भस्म कर दिया।
जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो क्रोधित शिव ने यज्ञ को नष्ट कर दिया और राजा दक्ष को मार डाला। इसके बाद भगवान शिव मां सती को अपने कंधे पर बिठाकर सम्पूर्ण भूमंडल पर विचरण करने लगे। भूमंडल को स्थिर रखने के लिए भगवान विष्णु ने पीछे से अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। जिस-जिस स्थान पर मां भगवती के शरीर के टुकड़े गिरे, उन स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए। पन्ना में मां के दाहिना पैर गिरा था, इस कारण इस शक्तिपीठ का नाम पद्मावती शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

पन्ना की पद्मावती देवी, मैहर की शारदा माता और पबई की कलेही माता का चमत्कारिक त्रिकोण संबंध
पन्ना शक्तिपीठ और मैहर की शारदा माता का मंदिर और पबई की कालिका माता का मंदिर अपने आप में समानांतर त्रिकोण बनाते हैं। पन्ना से पबई की दूरी 45 किलोमीटर और पबई से मैहर की दूरी 45 किलोमीटर है यानि ये तीनों स्थानों की आपस में दूरी 45 किलोमीटर है। इस तरह ये तीनों देवी स्थान आपस में त्रिकोणीय समानांतर कोण बनाते हैं।
पन्ना के पद्मावती शक्तिपीठ पर देश-दुनिया से लोग दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की ये भी खास बात है कि यहां गंगा जमुनी संस्कृति की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। मंदिर में हर जाति, धर्म के लोग मां के चरणों में माथा टेकने आते हैं। बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी यहां कई मन्नत लेकर आते हैं।
नवरात्रि शुरू होते ही कन्या भोज शुरू हो जाता है भक्त प्रतिदिन मौजूद कन्याओं को श्रद्धा अनुसार दक्षिणा देकर भोज कराते हैं
ऐतिहासिक महत्व
925 ईसवी में आए तुर्क यात्री इबने कुरदान ने इस स्थान का अपने यात्रा अभिलेख में वर्णन किया है कालिंजर से आगे की यात्रा में लिखा कि परना एक स्थान है जहां गोंड राजाओं का राज्य है शहर की छोटी-छोटी गलियां है और वहां कुलपूज्य देवी मौजूद है साथ ही इस स्थान में एक शिलालेख भी मौजूद है जिसे मैं ब्राम्ही लिपि में कुछ लिखा गया है जो लोग आज पढ़कर नहीं समझ पाते संभवत इसी स्थान का महत्व या निर्माण का समय लिखा है
कलेही माता के दरबार में उमड़ा जनसैलाब
नवरात्र में हर देवी के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है लेकिन पवई में मां कलेही का दरबार निराला है यहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है और जो भी मनोकामनाएं मानी जाती सभी पूर्ण होती हैं अद्भुत इस स्थान का धार्मिक और पुरातन महत्व तो है ही ऐतिहासिक महत्व भी है और कई दंत कथाएं जुड़ी हुई है जिसमें कहते हैं कि कलेही माता पहले पर्वत के ऊपर विराजित ही थी और भक्तों की सहूलियत के लिए वे नीचे चली आई मां,, तभी से पतने नदी के किनारे मां की पूजा होती है जाने इस अदभुत दरबार और महत्व को ,,,
विंध्य पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसे पन्ना जिले की पवई का नाम जुबान पर आता है, तो जेहन में दिव्य शक्ति मां कलेही का दिव्य दर्शन सामने आता है। वैसे तो शक्ति स्वरूपा नारायणी के अनेक रूप है, दुर्गा सप्तशती में वर्णित नव-दैवियों में मां कलेही सप्तम देवी कालरात्रि ही हैं। अष्टभुजाओं में शंख, चक्र, गदा, तलवार तथा त्रिशूल उनके आठों हाथों में है। पैर के नीचे भगवान शिव हैं, उनके दायं भाग में हनुमान जी तथा बायं भाग में बटुक भैरव विराजमान हैं। मां हाथ में भाला लिये महिषासुर का वध कर रही हैं। यह विलक्षण प्रतिमा साढ़े तेरह सौ वर्ष पुरानी है, जिसकी स्थापना विक्रम संवत् सात सौ में हुई थी।

पर्वत से नीचे आने की दंत कथा
कहते हैं किन नगायच परिवार की एक आस्था वन महिला प्रतिदिन माता के दरबार में पूजा करने जाती थी जब वह बुजुर्ग हो गई और शरीर कमजोर होने लगा तो उन्होंने 1 दिन माता से बने कि कि मैं अब प्रतिदिन पूजा करने इतने ऊंचे पर्वत पर नहीं आ सकती तब माता ने कहा कि तुम चलो मैं आती हूं लेकिन पीछे मत देखना उस बुजुर्ग महिला ने आगे आगे चलना शुरू किया और पीछे मां कलेही पैदल चली आ रही थी जब नदी के किनारे पहुंची तो अविश्वास की भावना पैदा हुई और उस बुजुर्ग महिला ने पीछे देख लिया और जैसे ही दृष्टि पड़ी मां कलेही वही स्थिर हो गई फिर उस बुजुर्ग महिला ने आगे ले जाने की कोशिश की पर माता नहीं बड़ी तभी से इस स्थान पर यह मंदिर बना है और वही पूजा-अर्चना हो रही है और जब तक वह बुजुर्ग जीवित रही प्रतिदिन माता के दरबार में जा कर पूजा करती थी
बढोलिया परिवार है पुजारी
यूं तो सभी मंदिरों में प्राचीन काल से ही ब्राम्हण पुजारी होते रहे हैं और आज भी ब्राह्मण कुल में जन्मे लोग ही मंदिरों में पुजारी है पर इस कलेही माता मंदिर में बढोलिया परिवार कई पीढ़ियों से लगातार पूजा कर रहा है वंशानुगत इसी परिवार के लोग यहां प्रधान पुजारी होते हैं पवई निवासी बढोलिया परिवार आज भी यहां का पुजारी है बड़ी लगन और श्रद्धा के साथ पूजा करते और कराते हैं और सभी की आस्था इस मंदिर में है
पांच सौ वर्ष पुराना है यहां का मेला
मां कलेही पवई नगर से दो किलोमीटर की दूरी पर पतने नदी के तट पर विराजमान है, इस स्थान की छटा बड़ी मनोरम है। वैसे तो यहां वर्ष भर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है, चैत्र नवरात्र में तो यहां विशाल मेला लगता है, जिसका प्रमाण तकरीबन पांच सौ वर्ष पुराना है। मेले में दूर-दूर से व्यापार करने के लिए व्यवसायी आते हैं। प्राचीन समय से अनाज, मसालों एवं दैनिक उपयोग की वस्तुओं का क्रय-विक्रय भी इसी मेले के माध्यम से होता रहा है। यहां सम्पूर्ण भारत के सभी अंचलों बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड, मालवा, निमाड़ आदि से मां के दर्शनों के लिए लोग आते हैं। इस तथ्य का प्रमाण सिद्व स्थल श्री हनुमान भाटा की सीढ़ियां है, जिस पर उनके नाम व पते आज भी अंकित है।

अखण्ड ज्योति की भी मान्यता
लोक मान्यताओं के अनुसार मां शारदा (मैहर), मां पद्मावती (पन्ना) एवं मां कलेही (पवई) की प्रतिमायें हवा में नब्बे अंश का कोण बनाती है तथा हवा में भी इन सभी मंदिरो की आपस मे दूरियां लगभग साठ किमी है। धन-धान्य की परिपूर्णता और शक्ति के प्रतीक के रूप में मां कलेही की उपासना सदैव प्रचलित रही है। मां कलेही का मुखमण्डल सदैव विशेष चमक बिखेरता है। यह अद्वितीय पाषाण प्रतिमा भारतीय शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है। नवरात्र के नव दिवस मां कलेही के सामने अखण्ड ज्योति भी इसी मान्यता के साथ प्रज्ज्वलित की जाती है, ताकि मां की साधना मे कोई विघ्न न आने पाये। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना मां कलेही सुनती है एवं पूर्ण करती है।
भक्त अपनी मन्नते लेकर आते हैं यहां
प्राचीन समय से अनवरत चली आ रही मां कलेही में भक्तों की आस्था आज भी कायम है। इस तथ्य का प्रमाण मंदिर परिक्रमा में लालचुनरी में बंधे हुये हजारों श्रीफल है। यहां भक्त अपनी मन्नते लेकर आते हैं और सच्चे मन से मां कलेही की आराधना करके श्रीफल को लालचुनरी में लपेट कर बांध देते हैं तथा मन्नत पूर्ण होने पर श्रीफल को छोड़कर मनोकामना पूर्ण होने का शुभ संकेत देते हैं। नवरात्र में यहां कन्या भोज कराने वालों की मनोकामनायें अवश्य पूर्ण होती हैं। श्रद्धालु यदि सच्ची श्रद्धा एवं भाव से मां कलेही की परिक्रमा पूर्ण करता है तो भी मां भक्त की पुकार सुनती है। भोर होते ही मां के भक्त नग्न पैर मंदिर में जल, फल, फूल, पत्र एवं प्रसाद लेकर पहुंचते हैं।
जवारों का विशेष महत्व
नवरात्र में यहां जवारों का विशेष महत्व है। एक समय तो मैहर की शारदा माता व पन्ना की फूला माता समेत तकरीबन 150 स्थानों के जवारे यहां आते थे। भक्त अपने सिर पर जवारों को रखकर ढोल, मंजीरों की थाप पर देवी भगतों का गायन कर हेरत अंगेज कारनामे दिखाते हैं। वे बानो एवं त्रिशूल के द्वारा जीभ एवं गले को छेदते हैं। जवारों की यह प्राचीनतम परम्परा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है जिसे पुर्नजीवित करने का अथक प्रयास मां कलेही धर्माथ समिति द्वारा किया जा रहा है। मंदिर परिसर में मां कलेही दरवार के साथ-साथ संकट मोचन श्री हनुमान जी महाराज की छ: रूद्री प्रतिमा है, साथ ही रूद्र अर्थात शिव भी शिव लिंग के रूप में विराजमान है, ऐसा शिव लिंग भारत वर्ष में अन्यत्र देखने को नही मिलता। पर्वत की तलहटी में 27 फिट के बाबा कैलाशी की विशाल प्रतिमा है, जिनकी जटाओं से गंगा बहती है। मंदिर तथा आस-पास के क्षेत्र में चन्देल कालीन मूर्तियों के अवशेष बिखरे पड़े हैं, जिन्हें सहेजने एवं संवारने की आवश्यकता है।
पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल
पुरातत्व महत्व के स्थलों और प्राचीनतम प्रतिमाओं की सुरक्षा व उनके रख-रखाव का दायित्व समाज का होता है। सिद्ध स्थल श्री हनुमान भाटा एवं मां कलेही धाम हिन्दू धर्म की महान विरासत है, इसे सहेजकर रखना सम्पूर्ण समाज की जिम्मेदारी है। यहां मौजूद प्रतिमायें बेशकीमती हैं, समय-समय पर इनका जीर्णोद्धार होना चाहिए यह मानव सभ्यता के अमूल्य धरोहर है। मां कलेही मंदिर पुरातात्विक महत्व की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां देशी-विदेशी पर्यटक आकर शोध कर सकते हैं। मां कलेही मंदिर मप्र पर्यटन से जुड़ने के बाद पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है, जहां की खूबसूरत वादियां, पहाड़ों की चोटियां, हरे-भरे वृक्ष, नदी की कल-कल ध्वनि लोगों को बरबस ही अपने और आकर्षित करती है। मां कलेही परिक्षेत्र में ईकोटूरिज्म की गतिविधियों का संचालन किया जा सकता है। बाहर से आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के यहां आने से स्थानीय लोगो को रोजगार के साथ आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक लाभ भी हो सकता है।

धर्मार्थ समिति के प्रयासों से हुआ और बेहतर
देश-दुनिया के साथ यहां की व्यापक जानकारी देने के लिए मां कलेही धर्मार्थ समिति प्रयासरत है एवं पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ ही पुरातात्विक धरोहर के रूप में जमीनी स्तर पर संरक्षित करने की मांग कर रही है। मां की सेवा में समर्पित, मां कलेही धर्मार्थ समिति:- मां के आशीर्वाद, जन सहयोग एवं मां कलेही धर्मार्थ समिति के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि यहां विकास एवं जीर्णोद्धार का कार्य तीव्रगति से चल रहा है। धर्मार्थ समिति के प्रयासों एवं जनसहयोग से यहां शुद्ध पेयजल व्यवस्था, परिसर में ठहरने के लिए धर्मशालायें, कूप निर्माण, आनंद विहार गार्डन, 27 फिट की विषाल शिव प्रतिमा का निर्माण, नव दिवसीय नि:शुल्क भण्डारा, साफ सफाई एवं वृक्षारोपण के कार्य कराये गये है। जन सहयोग से प्राप्त होने वाली वार्षिक आय का लेखा-जोखा भी विजयादशमी के सांस्कृतिक मंच के माध्यम से पूर्ण पारदर्षिता के साथ प्रस्तुत किया जाता है। विशेष:- पंचमी की विशेष आरती, अष्टमी की महाआरती, केश मुण्डन संस्कार की व्यवस्था, भण्डारे में नि:शुल्क भोजन व्यवस्था एवं शुद्ध पेय जल व्यवस्था।
पन्ना में सजा बागेश्वरधाम महाराज का दिव्य चमत्कारी दरबार,,,
पूछने से पहले लिख देते हैं भक्तों की समस्या
आश्चर्यचकित हुए लोग
पन्ना के पुरुषोत्तमपुर में उमड़ी भक्तों की भीड़
दैहिक दैविक और भौतिक संतानों से मिलती है मुक्ति
मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म :- धीरेंद्र कृष्ण जी
(शिवकुमार त्रिपाठी ) पन्ना के श्रद्धालु भक्तों के कल्याण एवं धर्म संस्कृत के उत्थान के लिए बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर महाराज धीरेंद्र कृष्ण जी का दरबार पुरुषोत्तमपुर में आज आयोजित किया गया छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम गड़ागंज से पधारे धीरेंद्र कृष्ण जी महाराज ने हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में खुला दरबार लगाया और अपनी समस्याओं से परेशान भक्तों जब मंच पर पहुंचते तो इससे पहले ही भक्तों के मन में क्या चल रहा है और क्या समस्या लेकर आया है यह एक कागज में पहले ही लिख देते थे और जब पूछा जाता तो महाराज श्री जो पहले से लिखे होते थे वही सही निकलता था यह दिव्य शक्ति कैसे और कहां से प्राप्त हुई यह लोगों के लिए कौतूहल और रिसर्च का विषय है पर जो हो रहा था आंखों देखी सोलह आने सच था इसलिए कोई यह भी नहीं कह सकता यकीन नहीं करेंगे
जैसे ही दरबार में आश्चर्यचकित कर देने वाली प्रक्रिया शुरू हुई तो भक्त जयकारे लगाने लगे महाराज श्री ने कहा यह बागेश्वर बालाजी की कृपा है बे जब पूछ घुमाते हैं तो सब सामने आ जाता है
धीरेंद्र कृष्ण महाराज जी ने कहा कि मैं तो एक निमित्त मात्र हूं जो कुछ भी हो रहा है बागेश्वर धाम बालाजी महाराज यानी हनुमानजी ही करा रहे हैं जो श्रद्धालु भक्त राम की भक्ति करता है उनके ऊपर अवश्य हनुमान जी की कृपा होती है
महाराज श्री ने भक्तों से कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ लोगों के कल्याण के लिए निशुल्क रूप से यह कार्य किया जा रहा है बागेश्वर धाम महाराज की कृपा से लोगों को भूत प्रेत बाधाओं से मुक्ति तो मिलती ही है गंभीर बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है
इसी कारण बागेश्वर धाम की महिमा दिनों दिन बढ़ती जा रही है देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु छतरपुर के बागेश्वर धाम गढ़ागंज पहुंचते हैं और कई वैज्ञानिक और पत्रकार रिसर्च करने की कोशिश करते हैं कि आखिर ऐसे कैसे संभव है कि जो मन में चल रहा हो जिस बात को प्रकट ही न किया गया हो वह पहले से ही कागज में अंकित कर दी जाए इस तरह की कौतूहल का लोगों के मन में आवश्यक हो सकती है लेकिन बागेश्वर धाम जी की महिमा अमिट है उनकी कृपा से ही सब पूर्ण होता है
महाराज श्री बीते 8 वर्षों से इस तरह की दिव्य चमत्कार कर लोगों को कष्टों से मुक्ति दिला रहे हैं और जिन श्रद्धालुओं को अपने कष्टों और समस्याओं के मुक्ति मिली है वे लगातार बागेश्वर धाम के प्रति आस्था रखते हैं
लगती है पेशी
बागेश्वर धाम महाराज के दरबार में जब लोगों को उनकी जिज्ञासा और समस्याओं को बताया जाता है तब महाराज श्री भारतीय संस्कृति का पालन करने लहसुन प्याज शराब आदि को त्यागने नशा मुक्ति के साथ आस्तिक रहने का आशीर्वाद देते हैं और साथ ही दिए गए मंत्र का नित्य पाठ करने के साथ 21 मंगलवार को धाम में पहुंचने आदेश देते हैं महाराज जी कहते हैं की बागेश्वर धाम के दर्शन भजन और अच्छे व्यवहार से ही लोगों को समस्याओ से मुक्ति मिलेगी
पन्ना से है खास लगाओ
महाराज जी को दिव्य शक्ति कब और कैसे प्राप्त हुई यह तो उन्हें भी नहीं पता लेकिन इस तरह की दिव्य शक्ति प्राप्त करने के लिए उन्होंने पन्ना के जंगलों में तपस्या की है और तभी भगवान की कृपा उन पर पड़ी और भी लोगों का कल्याण कर रहे हैं इसी कारण से धीरेंद्र कृष्ण महाराज जी ने कहा कि पन्ना के लोगों से विशेष लगाओ होने के कारण मैं चाहता हूं कि पन्ना में भी बागेश्वर धाम की गतिविधियां संचालित हो पन्ना से पहुंचने वाले भक्तों को सीधे दरबार में शामिल होने को मिले, उन्हें बागेश्वर में हजारों की भीड़ में लाइन पर ना लगना पढ़े और पन्ना में अन्न क्षेत्र, गोवंश की सेवा और गरीब कन्याओं के विवाह जैसी गतिविधियां यहां का शिष्य मंडल संचालित करें तो भगवान की कृपा होगी इस कारण उन्होंने अपने शिष्य मंडलों से 2021 के अंत तक पन्ना में अन्य क्षेत्र शुरू करने का अनुरोध किया
गोसेवा परम धर्म
महाराज धीरेंद्र कृष्ण जी महाराज ने अपने शिष्यों से कहां की गाय पूजनीय है देवी देवताओं का वास गौमाता में होता है गाय की पूजा ही नहीं सेवा की परम आवश्यकता है इस कारण गौशालाओं में यदि मदद कर सकते हैं तो अच्छी बात है अन्यथा प्रत्येक भक्त अपने घर में एक गाय का अवश्य पालन पोषण करें और उनकी सेवा करें गाय की पूजा से ज्यादा महत्वपूर्ण गाय की सेवा है जिससे घर में देवताओं का वास रहेगा
आत्मा में ही परमात्मा
महाराज जी ने सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जिसमें नगर के पत्रकार आमंत्रित थे उन्होंने पत्रकारों की जिज्ञासाओं का जवाब तो दिया ही साथ ही कहा ऋषि नारद जी की संस्कृति को बढ़ाने वाले लोग समाज में महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अन्याय का सामना ना तो करते ही है जब कभी अन्याय के खिलाफ नहीं लड़ पाते तो किसी ताकतवर व्यक्ति से डलवा देते हैं यानी इस समस्या और अन्याय को लोगों के सामने रखते हैं इसलिए पत्रकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है इसी बीच एक सवाल के जवाब में कहा की मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है ईश्वर हृदय में विराजमान है सिर्फ पहचानने की आवश्यकता है इस कारण भगवान को दूर खोजने के बाद अपने हृदय में झांके भारतीय संस्कृति पुरातन सभ्यता और मानव कल्याण के लिए यथाशक्ति काम करें उसी में भगवत प्राप्ति होगी और ईश्वर के दर्शन होंगे
इस तरह 24 घंटे के लिए पन्ना शहर का माहौल भक्ति में हो गया क्योंकि महाराज जी के आने से श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन की और महाराज श्री कथा वचनों का आशीर्वाद प्राप्त किया
दीन दुखी पहले वीआईपी संस्कृति समाप्त करने का प्रयास
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर का प्रयास हमेशा से ही वीआईपी कल्चर समाप्त करने का रहा है यही कारण है कि उस के दरबार में वीआईपी हो की लिस्ट नहीं लगती सीधे भक्तों से रूबरू होते हैं वह कई बार बिना पूछे किसी से भी उनकी समस्याएं बता देते हैं किसी अन्य व्यक्ति से बुलाने के लिए कहते हैं तो कभी बहुत गरीब परेशान आदमी सीधे महाराज जी के दरबार पर आता है विशिष्टता की कड़ी को खत्म करने का प्रयास करते हैं क्योंकि उनका मानना है की वीआईपी संस्कृति से कई बार दीन दुखी पीड़ित लोग वंचित रह जाते हैं या पिछड़ जाते हैं इस कारण से यदि भारतीय संस्कृति और सनातन सभ्यता को बचा कर रखना है तो वीआईपी संस्कृति को भी समाप्त करना होगा