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कहानी चित्रकूट नेत्र चिकित्सालय की — कैसे वट वृक्ष बना आंखों का अस्पताल

कहानी चित्रकूट नेत्र चिकित्सालय की — कैसे वट वृक्ष बना आंखों का अस्पताल

कहानी चित्रकूट नेत्र चिकित्सालय की — कैसे वट वृक्ष बना आंखों का अस्पताल

किसी को तारा नेत्रदान यज्ञ की याद है !?

शुरुआती दौर का छायाचित्र

पूरे विन्ध्य क्षेत्र में शहर-कस्बों में, बसों में तारा नेत्रदान यज्ञ के पोस्टर लगते और फिर चित्रकूट में इसका बड़ा आयोजन होता ! इस यज्ञ में नेत्रदान के स्वाहा लगते थे ! मोतियाबिंद के ऑपरेशनों का यह यज्ञ अब सद्गुरु जानकी कुंड अस्पताल के नाम से जाना जाता है और सतत चल रहा है !

ग्रामीण क्षेत्रों के अंधे और निर्धन लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने की सोचने वाले देव पुरुष सद्गुरु श्री रणछोड़ दास महाराज के आव्हान पर दिवंगत उद्योगपति अरविंद भाई मफतलाल ने अपने ट्रस्ट सद्गुरु सेवा संघ से यह महादान यज्ञ शुरू किया था ! अब उनके परिवार के श्री विशद मफतलाल इसके चेयरमैन हैं ! पहले कई सालों तक यह सेवा-भावी नेत्र शिविर टैंटों में और फिर कई साल तक टीन शेडों के नीचे लगाए जाते रहे हैं ! अंधविश्वासी ग्रामीण मरीजों को इन कैंपों में समझा-बुझा कर लाना पड़ता था क्योंकि “आंख का मामला” था भाई !

    अस्पताल भवन का विशिष्ट ब्लॉक

बहुत कम लोग इस तथ्य से अवगत हैं कि इस ट्रस्ट के वर्तमान डायरेक्टर और ट्रस्टी डॉ. बी.के. जैन हमारे सतना के एक समय के महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेता भोगी भाई के बड़े भाई हैं ! प्रसिद्ध वाणिज्यिक फर्म दलसुख लाल भोगी भाई एंड संस परिवार के युवा चिकित्सक डॉ. बी. के. जैन ने अपना संपूर्ण जीवन इस ट्रस्ट के माध्यम से असंख्य ग्रामीण नेत्र रोगियों की सेवा में खपा दिया है ! अत्यंत पिछड़े क्षेत्रों में मोतियाबिंद-जनित अंधत्व निवारण का सूत्रपात करने वाले इस सेवा कार्य ने आज एक बड़ा रूप अख्तियार कर लिया है ! सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट की अब सैकड़ों शाखाएं खुल गई हैं, जहां से लाखों-करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं !

कभी ग्रामीणों के बीच नेत्र-इलाज की अलख जगाते घूमते-फिरने वाले हमारे आदरणीय आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर बुधेन्द्र कुमार ( बी. के. जैन साहब ) ने कुछ माह पहले जानकीकुंड चित्रकूट में एशिया के सबसे बड़े आई सेंटर का शुभारंभ भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता श्री अमित शाह के हाथों कराया था ! वर्तमान में डॉ.जैन के पुत्र डाॅ. इलेश जैन ने अब काफी काम सम्हाल लिया है और वर्तमान में वे ही यहां के प्रशासक हैं । उल्लेखनीय है कि अब सद्गुरु के उक्त ट्रस्ट के तहत केवल नेत्र चिकित्सालय ही नहीं वरन एक कॉमन चिकित्सालय, एक प्राथमिक विद्यालय और एक संस्कृत विद्यालय भी है।

संत रणछोड़ दास जी महाराज कहते थे कि दूसरों में आत्मीयता की प्रतीति हो तभी सेवा हो सकती है ! मानव वही है जो दूसरों के दुखों की अनुभूति कर उसका सहायक बने ! डॉक्टर जैन ने उक्त संत-वचन को जैसे आत्मसात कर लिया है ! सन 1980-82 से मैंने डॉक्टर बी.के. जैन को काफी नजदीक से जाना है ! शास्त्री चौक स्थित भूपेन्द्र जैन उर्फ़ भोगी भाई के घर में हमने एक बार उनके साथ भोजन भी किया है ! गर्व है कि उनके साथ बैठने का मौका मिला !

कई वर्षों से उनसे मिला नहीं हूं पर पिछले 36 वर्षों से उनकी एक तस्वीर मेरे पास रखी है जो इस पोस्ट के साथ चस्पा कर रहा हूं ! डॉक्टर जैन को सेवा के एक वृहद् कैनवास में काम करते हुए आज सब देख रहे हैं मगर यह यात्रा कहां से शुरू हुई थी वह इस तस्वीर को देखकर समझा जा सकता है ! (लेखक वरिष्ठ पत्रकार निरंजन शर्मा )

 

 

विशेष –  वर्तमान में जानकीकुंड नेत्र चिकित्सालय एशिया महाद्वीप का एकमात्र संस्थान है जो प्रतिवर्ष सर्वाधिक आंखों के ऑपरेशन करता है यहां बहुत कम खर्च पर अत्याधुनिक तकनीकी से मोतियाबिंद का ऑपरेशन तो होता ही है आज भी जरूरतमंदों को या निर्धन लोगों को निशुल्क  नेत्र का इलाज मिल रहा है संस्था ने अपने चिकित्सालय के अलावा पड़ोसी जिले और राज्य में गांव-गांव जाकर सेवाएं देनी शुरू कर दी हैं जानकीकुंड नेत्र चिकित्सालय की डॉक्टरों की टीम गांव में जाती है वहां कैंप लगाते है मरीजों को अस्पताल की खर्च से चित्रकूट ले जाकर आंख का ऑपरेशन एवं लेंस डाल कर वापस उनके घर पहुंचाते है यह प्रयास सतत जारी है यानी आज के समय पर पुत्र अपने मां बाप की सेवा नहीं करते उससे अधिक असहाय गरीबों की सेवा सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट की टीम कर रही है इसमें अहम योगदान मशहूर नेत्र चिकित्सक एवं ट्रस्टी डॉ बीके जैन का भी है वर्तमान में उनके पुत्र डॉ  इलेश जैन संपूर्ण व्यवस्था में देख रहे है


✎ शिव कुमार त्रिपाठी

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