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बाघों के हमदर्द डॉ संजीव गुप्ता सम्मानित,, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बाघ दिवस पर किया सम्मान, हर जगह हो रही प्रशंसा

बाघों के हमदर्द डॉ संजीव गुप्ता सम्मानित,, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बाघ दिवस पर किया सम्मान, हर जगह हो रही प्रशंसा

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर डॉ संजीव गुप्ता का सम्मान

वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा में अहम योगदान के लिए किया गया सम्मानित

संजीव गुप्ता के प्रयास से ही एमपी बना टाइगर स्टेट,,दुनिया का सफल टाइगर रीलोकेशन पन्ना में हुआ

80 बाघों का सामना कर चुके संजीव गुप्ता, चुटकियों में कर देते हैं बेहोश

पन्ना नेशनल पार्क के बाघों के ट्रैंकुलाइजेशन में शामिल रहे डॉ. संजीव ज्यादा रहस्यमयी है

(शिवकुमार त्रिपाठी) बाघों के हमदर्द डॉक्टर एवं पन्ना टाइगर रिजर्व में 22 साल से अपनी सेवाएं दे रहे वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव गुप्ता को भोपाल में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के दिन सम्मानित किया गया है मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक गरिमा में समारोह में डॉक्टर संजीव गुप्ता को सम्मानित किया और उनके कार्य की प्रशंसा की, टाइगर के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने,  बाघों की बीमारी को नजदीकी से समझने और क्षण मात्र में इलाज के लिए तैयार हो जाने वाले वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ संजीव गुप्ता के इस कार्य का सम्मान होने से स्थानीय लोगों में खुशी है मूलत टीकमगढ़ के रहने वाले संजीव गुप्ता को पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन तथा उनके इष्ट मित्रों ने बधाई दी है,

पन्ना टाइगर रिजर्व में हमेशा ही डॉक्टर संजीव गुप्ता के कार्यों की चर्चा होती रही है वात्सला हाथी के इलाज से लेकर बाघों को बेहोश करना ट्रेंकुलाइज के दौरान उनका स्वास्थ्य परीक्षण करना और तमाम घटनाओं दुर्घटनाओं में  वन्य प्राणियों के हमदर्द तथा सक्रियता  से कार्य करने वाले डॉक्टर संजीव गुप्ता को लंबे समय बाद उनकी मेहनत का प्रतिफल मिला है, मिलनसार,सहज स्वभाव के डॉक्टर ने अपनी सेवाओं के दौरान कई अविस्मरणीय कार्य किए हैं,

मौत से सामना कर चुके , तेंदुए के हमले से घायल हुए हाथी और महाब्बतो ने बचाया, 

पन्ना जिले के अमानगंज के रेस्ट हाउस में एक तेंदुआ घुस गया था विशिष्ट अतिथियों की मेहमान नवाजी का यह स्थान खतरनाक तेंदुए का बसेरा बन गया, तेंदुआ को भगाने के लिए लोग परेशान थे जब तेंदुआ ने कमरा नहीं छोड़ा तो इसकी सूचना पन्ना टाइगर रिजर्व को दी, तत्काल पूरी टीम के साथ संजीव गुप्ता पहुंचे, खतरनाक तेंदुआ घात लगाए बैठा था जैसे ही संजीव गुप्ता ने गनशॉट मारा तेंदुए ने चार्ज कर दिया! एक ही झपट्टे में हाथी के ऊपर सवार डॉ संजीव गुप्ता पर टूट पड़ा  उन्हें गंभीर चोटे आई, डॉक्टर संजीव गुप्ता हाथी से नीचे गिर गए लहूलोहान अवस्था में डॉक्टर संजीव जमीन के नीचे पड़े थे तभी हाथी भगवान बन गया  उसने चारों पैर के नीचे डॉक्टर को सुरक्षित करने का प्रयास किया, डॉक्टर को बेहोशी की हालत में बड़ी मुश्किल से महावतों ने  सीढ़ी के सहारे बांधकर ऊपर उठाया, अगर तेंदुआ दोबारा हमला कर देता तो प्राण नहीं बचते, घायल अवस्था में डॉ संजीव गुप्ता को  अस्पताल पहुंचाया क्योंकि डॉक्टर संजीव गुप्ता हमेशा से ही बेजुबान जंगली जानवरों के हितेषी रहे हैं तो भगवान की कृपा से उनकी जान बच गई कई महीनो तक वह बीमार रहे

 

अपने कार्य और व्यवहार पर क्या कहते हैं संजीव गुप्ता

बाघों Tiger की रहस्यमयी दुनिया सभी को रोमांचित करती है। जंगल का यह राजा भले ही हमारे बचपन के किस्सों में शामिल है पर इसे देखकर रोम रोम सिहर उठता है। हालांकि ऐसे भी कुछ लोग हैं जो बाघ से घबराते नहीं हैं। वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ. संजीव गुप्ता Dr. Sanjeev Gupta का तो बाघों को ट्रैंकुलाइजेशन करने और इलाज का ही काम है। वे अब तक पन्ना नेशनल पार्क Panna National Park के 80 बाघों के ट्रैंकुलाइजेशन और इलाज में शामिल रहे हैं। डॉ. गुप्ता बताते हैं कि बाघों की दुनिया आम धारणा से कहीं ज्यादा रहस्यमयी है।

रेडियो कॉलर लगाने तीन महीने तक किया था पीछा

बाघ को लेकर भ्रांतियां हैं, उनके जीवन का रहस्य क्या है?
आम धारणा में बाघ को हिंसक और खूंखार माना जाता है। यह आधा सच है। इंसानों की तरह उसका भी दिल होता है। खतरे की स्थिति में ही हमलावर बनता है। भ्रांति है कि बाघ अपने ही बच्चों को मार डालता है। पन्ना में ही चार शावकों की बाघिन मां की मौत के बाद उन्हें बॉयोलॉजिक पिता ने संभाला। ट्रेंड किया और खतरों से सुरक्षित रखा। ऐसी भी तस्वीरें सामने आईं हैं जब बाघ ग्रुप बनाकर विचरण करते। पानी पीते नजर आए। इसके अलावा शिकार भी साथ में ही किया।

बाघों को ट्रैंकुलाइज करना चुनौती है क्या?

किसी बाघ को रेडियो कॉलर पहनाने या अन्य जरूरत के लिए ट्रैंकुलाइज करना संघर्ष का काम होता है। सबसे पहले तो पहचान करना फिर हाथी से उसके वजन का अनुमान लगाना। शरीर के अनुपात में दवा देना। एक बाघ ने तो हम लोगों को तीन माह तक छकाया। वह किस्सा अब भी याद है।

ट्रैंकुलाइज के बाद बाघ सक्रिय हो जाए तो?

    1. ऐसा कम ही होता है। बॉडी मेजरमेंट और वजन का अनुमान लगाकर दवा दी जाती है। दवा कम भी है तब भी बाघ कई घंटों के लिए सुस्त पड़ जाता है। फिर भी ऐसा होता है कि जब टीम पास पहुंचे तो वह उठ जाए और गुर्राने लगे तो अप्रिय स्थिति बन जाती है। लेकिन, टीम सतर्क रहती है।
      मेजरमेंट रिपोर्ट जारी की, क्या बदलाव महसूस करते हैं?
      बाघ को लेकर जोखिम नहीं ले सकते, इसलिए ट्रैंकुलाइज करने के बाद उन पर अध्ययन का निर्णय लिया गया। इससे पहले जितने भी अध्ययन थे, वह अंदाज और टुकड़ों में जोड़कर औसत निकाला गया था। हमने उन 80बाघों का बॉडी मॉस मेजरमेंट किया, जो रिपोर्ट की शक्ल में है। इससे समझ विकसित हुई कि बाघ हेल्दी, लंबे और वजन वाले हो रहे हैं। हालांकि रिपोर्ट पन्ना के संदर्भ में ही थी।ठग मेजरमेंट और वजन का अनुमान लगाकर दवा दी जाती है। दवा कम भी है तब भी बाघ कई घंटों के लिए सुस्त पड़ जाता है। फिर भी ऐसा होता है कि जब टीम पास पहुंचे तो वह उठ जाए और गुर्राने लगे तो अप्रिय स्थिति बन जाती है। लेकिन, टीम सतर्क रहती है।
      मेजरमेंट रिपोर्ट जारी की, क्या बदलाव महसूस करते हैं?
      बाघ को लेकर जोखिम नहीं ले सकते, इसलिए ट्रैंकुलाइज करने के बाद उन पर अध्ययन का निर्णय लिया गया। इससे पहले जितने भी अध्ययन थे, वह अंदाज और टुकड़ों में जोड़कर औसत निकाला गया था। हमने उन 80 बाघों का बॉडी मॉस मेजरमेंट किया, जो रिपोर्ट की शक्ल में है। इससे समझ विकसित हुई कि बाघ हेल्दी, लंबे और वजन वाले हो रहे हैं। हालांकि रिपोर्ट पन्ना के संदर्भ में ही थी।

✎ शिव कुमार त्रिपाठी

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