✎ शिव कुमार त्रिपाठी
मा का स्नेह और दर्द
एक दर्द भरी दास्तान ,,, प्रवासी मजदूरों की वापिसी में दिल दहला देने वाली तस्वीर
परेशानी से कुछ पैदल कुछ लिफ्ट लेकर पहुंची पन्ना
यह महिला सतना जिले की चित्रकूट के पास मझगवां जा रही
(शिवकुमार त्रिपाठी)
कोरोना के कारण लाखों कामगार मुसीबत में फंसे हैं हर कोई प्राण बचाकर अपने घर पहुंचना चाहता है ऐसे में प्रवासी कामगारों की वापसी में दिल दहला देने वाला चित्र सामने आ रहे है जिसमें एक मां अपने विकलांग बच्चे को लकड़ी की लट्ठे में झूला बनाकर सूरत से लेकर पन्ना पहुंची और आगे का सफर तय करने निकल पड़ी साथ में सिर्फ दो छोटे अन्य बच्चे हैं इन्ही बच्चों की मदद से श्रवण कुमार की तरह कंधा देकर घर जाती एक बेबस मां को जिसने देखा दिल झकझोर कर रख दिया यह तस्वीर पुराने रुद्र प्रताप स्कूल के सामने लोगों को देखने को मिली जब उसे एक बस ने नेशनल हाईवे पर उतार दिया था और वहीं से 100 किलोमीटर दूर इस तरह मझिगवा के लिए पैदल चल पड़ी
सूरत से ऐसी ही पहुंची पन्ना
वीडियो देखिये
सूरत से किसी न किसी माध्यम से पन्ना पहुंची महिला मजदूर का कहना है कि जिसने दे दिया सो खाना खा लिया …और अपने बच्चे को कंधे के माध्यम से लटकाकर चले आये …..जो कि अपने 1 विकलांग बच्चे और छोटे बच्चों के साथ डंडे के माध्यम से टांग कर सूरत से चली आई यह दृश्य बहुत ही भावुक कर देने वाला है सूरत से कैसे किस तरह से पन्ना पहुंची उसके बाद यहां के स्थानीय लोगों ने मदद कर कुछ खाने की व्यवस्था की हैं
इस मजदूर महिला का नाम राजकुमारी है पर उसकी व्यथा ने उसे कंगाल बना दिया है और इस कोरोना और लॉकडाउन ने तो इसे वेबस ही कर दिया इसके मन में ऐसे घाव लगे हैं जो जिंदगी भर ठीक नही होंगे
स्थानीय लोगो का कहना है कि इनके इस तरह से बच्चे को टांगकर चलने से लगा कि कोई मृतक है …जब जानकारी लगी तो हमारे होश उड़ गए कि यह महिला सूरत से बच्चे को इस तरह से पन्ना ले आयी .यह महिला सतना जिले के मझगवां जा रही है जिस बस से आई उसने ₹200 किराया लिया और पन्ना की नेशनल हाईवे पर छोड़ दिया था और यहां से मझगवां 100 किलोमीटर दूर पैदल ही रवाना हो गई थी
जिला प्रशासन ने की मदद
तब लोगों ने कुछ मदद की और प्रशासन को फोन किया तब पन्ना तहसीलदार दीपक चतुर्वेदी ने एंबुलेंस भेजी एंबुलेंस राजकुमारी और उसके तीनों बच्चों को लेकर मॉडल पब्लिक स्कूल बाईपास के करंट टाइम सेंटर पहुंची और वहां तहसीलदार दीपा चतुर्वेदी और टीआई हरि सिंह ठाकुर ने बस वाहन की व्यवस्था कर सतना के लिए रवाना कर दिया
चिंतनीय
यह कोई पहली घटना नहीं है इस तरह से हजारों मजदूर पन्ना पहुंच रहे हैं कई लोग तो ऐसे हैं जिन्हें चार चार दिन से भोजन नहीं मिला 1 हफ्ते पैदल चले किसी ट्रक में और किसी बस में खतरा मोल लेकर घर पहुंच रहे हैं सतना जिले की एक अन्य मजदूर संतोष मिश्रा ने बताया कि हम लोग परिवार सहित 8 दिन पूर्व मुंबई से चले थे वहां बटन बनाने का काम करते थे फैक्ट्री बंद हो गई मालिक ने पैसा देने से मना कर दिया खाने के पैसे ना होने के कारण हमको दिक्कत हो रही थी तभी परिवार के लोग रो रो कर कह रहे थे कि घर आ जाओ आधी रोटी खा कर रह लेंगे भूखों रहना ठीक पर प्रदेश में इस तरह से विवश रहना उचित नहीं इस कारण से हम जैसे लाखों लोग अपने घरों की ओर लौट रहे हैं एक अन्य प्रवासी कामगार ने बताया कि मुंबई से पूरे रास्ते भर पैदल चलते हुए लोग दिखाई देते हैं कोई साइकिल कोई टेंपो कोई मोटरसाइकिल तो कोई ट्रकों और भार वाहनों में अपने अपने घर की ओर जा रहे हैं किसी को भी अपने घर और परिवार से जुदा नहीं कर सकते या उन्हें घर जाना मौलिक अधिकार है पर जिस तरह से देश में अराजकता जैसी स्थिति बन गई है वह बेहद चिंतनीय है और इसका दूरगामी असर देश की अर्थव्यवस्था पर जरूर पड़ेगा