- मंत्री और सांसद की पहल से प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वन्य प्राणी) ने दी मंजूरी
- पर हीरा खदान के विधिवत संचालन हेतु राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मंजूरी जरुरी
पन्ना जिले में मझगंवा स्थित एनएमडीसी हीरा खदान को लेकर बीते पांच दिनों से राजनीतिक सरगर्मी उफान पर है। नये साल के पहले दिन जैसे ही एनएमडीसी हीरा खदान के बंद होने की खबर आई, जिले में खलबली मच गई। मामले को लेकर प्रदेश की राजनीति जहाँ गर्माने लगी, वहीँ इसके बंद होने की खबरों से पन्ना जिले के लोग खासकर परियोजना के आसपास स्थित ग्रामों के रहवासी काफी चिंतित और विचलित हो गये थे। क्योंकि हीरा खदान के बंद होने से उनको मिलने वाली सुविधायें बाधित हो जायेंगी। जिले के लोगों की चिंता और आक्रोश तथा मीडिया में आई ख़बरों को संज्ञान में लेकर प्रदेश शासन के मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह व सांसद बी.डी. शर्मा सक्रिय हो गये। उन्होंने रविवार को ही देर शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट कर उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया। बिना विलम्ब किये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आश्वासन दिया कि राज्य में राष्ट्रीय खनिज विकास निगम की पन्ना स्थित हीरे की खान से खनन बंद नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि मंत्री व सांसद जी की सक्रियता के चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एनएमडीसी खदान के सम्बन्ध में जिस तरह से आश्वासन दिया और बकायदे इस बावत ट्वीट कर यह भरोसा भी दिलाया कि हीरे की खान से खनन बंद नहीं होगा, तो लोगों में एक उम्मीद की किरण जाग्रत हुई। रविवार के बाद मामले को लेकर बढ़ी राजनीतिक सक्रियता के बीच मंगलवार की शाम खबर मिली कि हीरा खदान के संचालन हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक ( वन्य प्राणी ) आलोक कुमार ने अनुमति प्रदान कर दी है। यह खबर निश्चित ही पन्ना जिला वासियों के लिए बड़ी खुशखबरी थी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ( वन्य प्राणी ) ने 4 जनवरी को जारी किये गये अपने पत्र में लेख किया है कि मझगवां हीरा खदान पिछले 50 वर्षों से संचालित है। राज्य सरकार ने इसकी खनन लीज में 20 वर्ष की वृद्धि और की है। खदान को पूर्व से वन्य प्राणी अनुमति स्वीकृत थी, जो 31-12-2020 तक थी। इस स्वीकृति को आगे बढ़ाने का प्रकरण राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के समक्ष लंबित है। अत: नवीन खनन कार्य न होने से तथा वन्यप्राणियों एवं उनके रहवास पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने से चालू कार्य तब तक के लिए संचालित होने दिया जाय जब तक कि राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड इस पर कोई निर्णय नहीं ले। इस पत्र की प्रतिलिपि क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिज़र्व, प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन वन विभाग तथा महाप्रबंधक हीरा खनन परियोजना, मझगवां पन्ना को सूचनार्थ भेजी गई है।
पूरी सफलता के लिए अभी जारी रहे प्रयास
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते रोज हुई मीटिंग में कहा है कि राज्य सरकार पर्यावरण मंजूरी के लिए केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री, प्रकाश जावडेकर से बात करेगी और खनन पट्टे का विस्तार करने के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मंजूरी लेगी। इस मीटिंग में खजुराहो सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तथा प्रदेश शासन के मंत्री व पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह मौजूद थे। दोनों ही नेताओं ने सीएम से कहा कि इस खदान से सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है, इसलिए इसका विधिवत संचालन जरुरी है। पन्ना के विकास व जन सुविधाओं के विस्तार में भी इस परियोजना का बड़ा योगदान रहता है।
लेकिन प्रधान मुख्य वन संरक्षक ( वन्य प्राणी ) की अनुमति मिलने के बाद क्या हीरा खदान का विधिवत संचालन पूर्ववत हो सकेगा ? यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब अभी मिलना है। एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना के सूत्रों का कहना है कि बिना किसी अवरोध के विधिवत संचालन हेतु राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मंजूरी आवश्यक है, ऐसी स्थिति में एनएमडीसी प्रबंधन का क्या रुख रहता है यह देखना होगा। चूँकि मामला पन्ना के हितों व पहचान से जुड़ा है, इसलिए क्षेत्र के विधायक और मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह तथा सांसद बी.डी. शर्मा को अभी सक्रियता बनाये रखनी होगी। जब तक राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से मंजूरी नहीं मिल जाती। मालुम हो कि पन्ना स्थित मझगवां हीरा खदान देश ही नहीं अपितु एशिया की इकलौती मैकेनाइज्ड खदान है जिसकी गिनती नवरत्नों में होती है। यहाँ 74 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में यांत्रिक खनन पीटीआर के गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य के अंदर होता है। इस खदान की प्रति वर्ष 84,000 कैरेट हीरे खनन की क्षमता है। अब तक यहाँ से लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का खनन किया जा चुका है जबकि 8.5 लाख कैरेट हीरे अभी भी यहाँ की धरती में मौजूद हैं जिनका खनन किया जाना है।