✎ शिव कुमार त्रिपाठी
पन्ना में परशुराम जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जाती रही है और समाज के लोग मिलकर शाम को शोभायात्रा निकालते थे लेकिन देशव्यापी संकट और कोरोना जैसी महामारी को देखते हुए परशुराम जयंती को सामूहिक रूप से ना मनाने का फैसला किया गया है इस संबंध में जानकारी देते हुए ब्राह्मण समाज के जिलाध्यक्ष रामगोपाल तिवारी ने कहा की सभी लोग घर में ही भगवान परशुराम जयंती को मना रहे हैं सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होगा समाज के सभी वर्गों को परशुराम जयंती की शुभकामनाएं देते हुए रामगोपाल तिवारी ने कहा कि यथाशक्ति समाज के लोग गरीबों का की मदद करें और जरूरतमंदों को इस उपलक्ष में आर्थिक और खाद्यान्न के रूप में मदद कर सकते हैं उन्होंने अपील की किस समाज की यदि जरूरतमंद लोग परेशान होंगे तो निश्चित हम सब लोगों को दुख पहुंचेगा ऐसे अवसर पर हम सभी को मिलकर गरीबों की मदद करनी होगी यही परशुराम जयंती की शुभकामनाएं होंगी उन्होंने स्वयं घर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पूजा पाठ कर भगवान परशुराम जयंती मनाई और सभी को शुभकामनाएं दी और सभी ब्राम्हण समाज से घर में ही जयंती मना कर भगवान परशुराम की पूजा करने की अपील की
*🚩जय परशुराम🚩*
*भगवान परशुराम प्रकोटत्वस
*26 अप्रेल 2020*
भगवान परशुराम जी का प्रकोटत्वस प्रत्येक वर्ष हम सभी बड़े ही हर्षोल्लास से मनाते आए हैं,परन्तु इस वर्ष हमारे राष्ट्र को कोरोना नामक वैश्विक महामारी ने घेर रखा है इसलिए, हम अपने घरों में रहकर भी इस दिन को अविस्मरणीय बनाना चाहते है। आप सभी से आग्रह है की हम अपने घर मे रह कर
लॉक-डाउन का पालन करते हुए भारतीय परिधान पारम्परिक वेषभूषा में अपने परिवार के साथ आराध्य भगवान श्री परशुराम जी का प्रकोटत्वस मनाए एवं पूजन हवन आरती करें तथा संध्या के समय अपने अपने आँगन में कम से कम 11दीपक अवश्य जलाएं भगवान परशुराम जी से प्रार्थना करें कि हमारे राष्ट्र को और संपूर्ण विश्व को इस महामारी से बचाए हमारे जो भाई बहन इस महामारी में आपातकालीन सेवाएं दे रहे हैं उन्हें शक्ति दे। भगवान परशुरामजी की आराधना के साथ हम कोरोना योद्धाओं के अच्छे स्वास्थ की कामना भी करें। जय श्री भगवान परशुराम जी की
*हारेगा कोरोना*
*जीतेगा हिंदुस्तान*
पं रामगोपाल तिवारी
जिला अध्यक्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा (रा ) पन्ना म प्र
पं दिनेश गोस्वामी
जिला अध्यक्ष( युवा) अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा (रा ) पन्ना म प्र
सनातन परंपरा में सात ऐसे चिंरजीवी देवता हैं, जो युगों-युगों से इस पृथ्वी पर मौजूद हैं। इन्हीं में से एक भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम भी हैं। सात मई को अक्षय तृतीया के दिन ही इनकी जयंती मनाई जाती है। आइए जानते हैं भगवान परशुराम से जुड़ी वो सात बड़ी बातें शायद आप अब तक नहीं जानते —
1.
न्याय के देवता
परशुराम भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। उनका जन्म भगवान श्रीराम के जन्म से पहले हुआ था। मान्यता है कि भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन-रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। परशुराम जी के जन्म समय को सतयुग और त्रेता का संधिकाल माना जाता है। भगवान शिव के परमभक्त परशुराम जी को न्याय का देवता माना जाता है।
2.
गणपति को भी दिया था दंड
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम के क्रोध से स्वयं गणेश जी भी नहीं बच पाये थे। ब्रह्रावैवर्त पुराण के अनुसार, एक बार जब परशुराम जी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे तो भगवान गणेश जी उन्हें शिव से मुलाकात करने के लिए रोक दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था। जिसके बाद भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे।
3.
हर युग में रहे मौजूद
रामायण और महाभारत दो युगों की पहचान हैं। रामायण त्रेतायुग में और महाभारत द्वापर में हुआ था। पुराणों के अनुसार एक युग लाखों वर्षों का होता है। ऐसे में देखें तो भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा।
4.
भगवान कृष्ण को दिया था चक्र
रामायण काल में सीता स्वयंवर में धनुष टूटने के पश्चात् परशुराम जी जब क्रोधित हुए और उनका लक्ष्मण से संवाद हुआ तो उसके बाद भगवान श्री राम ने परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र सौंपा था। वही सुदर्शन चक्र परशुराम जी ने द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण को वापस किया।
5.
कर्ण को दिया था यह श्राप
परशुराम जी ने कर्ण और पितामह भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा भी दी थी। कर्ण ने भगवान परशुराम से झूठ बोलकर शिक्षा ग्रहण की थी। जब यह बात परशुराम जी को पता चली तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि जिस विद्या को उसने झूठ बोलकर प्राप्त की है, वही विद्या युद्ध के समय वह भूल जाएगा और कोई भी अस्त्र या शस्त्र नहीं चला पाएगा। भगवान परशुराम का यही श्राप अंतत: कर्ण की मृत्यु का कारण भी बना।
6.
21 बार किया क्षत्रियों का नाश
भगवान परशुराम कभी अकारण क्रोध नहीं करते थे। जब सम्राट सहस्त्रार्जुन का अत्याचार व अनाचार अपनी चरम सीमा लांघ गया तब भगवान परशुराम ने उसे दंडित किया। भगवान परशुराम को जब अपनी मां से पता चला कि ऋषि-मुनियों के आश्रमों को नष्ट और अकारण उनका वध करने वाला दुष्ट राजा सहस्त्रार्जुन ने उनके आश्रम में आग लगा दी और कामधेनु छीन कर ले गया। तब उन्होंने पृथ्वी को दुष्ट क्षत्रियों से रहित करने का प्रण किया। इसके पश्चात् उन्होंने सहस्त्रार्जुन की अक्षौहिणी सेना व उसके सौ पुत्रों के साथ ही उसका भी वध कर दिया। भगवान परशुराम ने 21 बार घूम-घूमकर दुष्ट क्षत्रियों का विनाश किया।
7.
भगवान शिव ने दिया था परशु अस्त्र
भगवान परशुराम जी की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠषि था। वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। परशुराम जी से बड़ी तीन भाई थे। उन्होंने पिता की आज्ञा पर अपनी मां का वध कर दिया था। जिसके कारण उन्हें मातृ हत्या का पाप लगा, जो भगवान शिव की तपस्या करने के बाद दूर हुआ। भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया, जिसके कारण वे परशुराम कहलाए।