
✎ शिव कुमार त्रिपाठी
चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय से बुंदेलखंड की आंचलिक पत्रकारिता में स्थानीय पत्रकारों के योगदान पर की पीएचडी
लंबे समय से दबंग पत्रकारिता करते हैं नरेंद्र
सन 1994 से साथी और बड़े भाई सहारा समय टीकमगढ़ के संवाददाता नरेंद्र अरजरिया को चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल एवं महामहिम कुलाधिपति लालजी टंडन ने भव्य समारोह में नरेंद्र अरजरिया को पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया है
बुंदेलखंड :- मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों को मिलाकर जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों पर रिसर्च और बुंदेलखंड के विकास में थानीय पत्रकारों के योगदान पर पीएचडी हासिल करने वाले पहले व्यक्ति हैं बीते 5 वर्षों से लगातार मेहनत कर रिसर्च पेपर तैयार किया जिसकी सराहना की जा रही है
छतरपुर जिले के हरपालपुर के पास सरसेड गांव में जन्मे और सामंतवादीयों के खिलाफ हमेशा आवाज उठाने वाले नरेंद्र अरजरिया ने अपने पत्रकारिता की शुरुआत छतरपुर के स्थानीय अखबारों से की थी इसके बाद मैं और अरजरिया एग्जिट पोल एजेंसी सी-वोटर से जुड़े और उत्तर प्रदेश चुनाव 2002 में Tv चैनल के लिए काम किया आज तक जैसी समाचार चैनल के लिए एग्जिट पोल का काम कर 2003 में सहारा समय मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ चैनल के लिए एक साथ इंटरव्यू देने दिल्ली पहुंचे बड़े भाई नरेंद्र अरजरिया का चयन टीकमगढ़ जिले के लिए हुआ और मैं पन्ना में सहारा समय का संवाददाता बनाया गया तभी से अभिन्न साथी और हमेशा बड़े भाई का मार्गदर्शन करने वाले नरेंद्र अरजरिया को इस सफलता पर बधाई के साथ उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं बड़े भाई को कई विशिष्ट मंचों में सम्मानित भी किया गया
डॉ वीरेंद्र व्यास का मार्गदर्शन
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख डॉ वीरेंद्र व्यास के मार्गदर्शन में नरेंद्र अरजरिया ने यह सफलता अर्जित की है राष्ट्र ऋषि एवं भारत रत्न नानाजी देशमुख जी के मार्गदर्शन में गुरुकुल और ग्रामीण शिक्षा प्रणाली को अपनाने वाले इस विश्वविद्यालय में आज भी छात्र अपने अध्यापकों को गुरु मानते हैं और जमीन मैं बैठकर प्राचीन गुरुकुल पद्धति का चित्रण करते हुए अध्ययन करते हैं भले ही विश्वविद्यालयों में तमाम संसाधन और लग्जरी सुविधाएं उपलब्ध हों पर चित्रकूट के इस विश्वविद्यालय में ऐसे ही दृश्य देखने को मिल जाते हैं अपने और मेरे अभिन्न आदरणीय गुरु डॉ वीरेंद्र व्यास जी के सानिध्य में नरेंद्र जी