✎ शिव कुमार त्रिपाठी
पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी को 4 बर्ष की सजा ,जेल भेजे गए
शिक्षक से रिश्वत लेने के मामले में बाबू खुमान प्रजापति को भी 4 वर्ष की कैद
पन्ना जिले के शिक्षा विभाग के सबसे चर्चित भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी महेंद्र द्विवेदी को भ्रष्टाचार के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश एके द्विवेदी की अदालत से 4 वर्ष की सजा सुनाई गई है इसी मामले में डीईओ ऑफिस के बाबू कुमार प्रजापति को भी 4 वर्ष की सजा और 10000 का जुर्माना लगाया गया है सजा सुनते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया पूर्व डीईओ और बाबू को जेल भेज दिया गया है
न्यायालय की मीडिया सेल प्रभारी आशुतोष द्विवेदी द्वारा जारी प्रेस व्यक्ति के अनुसार
रिश्वतखोर जिला शिक्षा अधिकारी तथा स्थापना लिपिक को 4-4 साल की कैद
::घटना का संक्षिप्त विवरण::
माननीय न्यायालय श्री अनुराग द्विवेदी (विशेष न्यायाधीश भ्र.निवा.अधि.) द्वारा भृष्टाचार के मामले में फैसला सुनाते हुये, रिश्वतखोर जिला शिक्षा अधिकारी, महेन्द्र द्विवेदी व स्थापना लिपिक, खुमान प्रजापति को 4-4 साल की कैद और ………. हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किया गया।
प्रकरण के संबंध में जानकारी देते हुये, श्री आशुतोष कुमार द्विवेदी सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने बताया,कि दिनांक 31.12.14 को फरियादी रवि शंकर डनायक पिता श्री के.आर.डनायक निवासी धाम मोहल्ला पन्ना, ने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर, को एक शिकायती-पत्र दिया था कि, वह करीब 4 माह से जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में, अध्यापक के पद पर संबद्ध है किन्तु उसकी पदस्थापना किसी विद्यालय में नहीं की गई है वह अपनी पदस्थापना के लिये तीन पत्र, जिला शिक्षा अधिकारी को दे चुका है। इसके बावजूद भी उसकी पदस्थापना किसी भी विद्यालय में नहीं की गई है, जब वह अपनी पदस्थापना के लिये जिला शिक्षा अधिकारी, कार्यालय के स्थापना लिपिक आरोपी खुमान प्रजापति से मिला,तो उसने बताया कि, विद्यालय में पदस्थापना के लिये आपको 10000 रूपये रिश्वत जिला शिक्षा अधिकारी, को देने पडेंगे, तभी आपकी पदस्थापना होगी।
फरियादी जिला शिक्षा अधिकारी, श्री महेन्द्र द्विवेदी व स्थापना लिपिक खुमान प्रजापति को रिश्वत नहीं देना चाहता था बल्कि उन्हें रिश्वत लेते रंगे हाथों पकडवाना चाहता था।
फरियादी की शिकायत के सत्यापन के लिये, कार्यालय पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त सागर, के द्वारा, एक डिजीटल वॉइस रिकार्डर फरियादी को दिया गया, और फरियादी को आरोपी की रिश्वत मॉंग संबंधी बातचीत को रिकार्ड करने हेतु दिया गया, और फरियादी के साथ एक आरक्षक को भेजा गया।
दिनांक 31.12.14 को आरोपी महेन्द्र द्विवेदी, जिला शिक्षा अधिकारी, पन्ना के निवास स्थान पर, जाकर, फरियादी रवि शंकर डनायक ने रिश्वत मॉंग संबंधी बातचीत को वॉइस रिकार्डर में रिकार्ड कर लिया तथा दिनांक 01.01.15 को आरोपी स्थापना लिपिक, खुमान प्रजापति से भी रिश्वत मांग संबंधी बातचीत को रिकार्ड कर लिया।
इसके बाद फरियादी रवि शंकर डनायक, दूसरा आवेदन-पत्र लेकर लोकायुक्त सागर में उपस्थित हुआ,और उसने बताया कि, उक्त दोनों आरोपीगणों से बातचीत कर रिश्वत मॉंग वार्ता रिकार्ड कर ली है और मैं रिश्वत में दिये जाने वाले 10000 रूपये अपने साथ लेकर आया हूँ तथा रिश्वत का लेनदेन दिनांक 02.01.15 को होना तय हुआ है।
फरियादी द्वारा दिये गये आवेदन-पत्र पर पुलिस अधीक्षक,लोकायुक्त सागर, द्वारा ट्रेप करने का आदेश दिया गया और पंचसाक्षीगणों को लोकायुक्त सागर में बुलवाया गया और पंच साक्षीगणों का परिचय फरियादी तथा उपस्थित स्टाफ से कराया गया इसके बाद फरियादी द्वारा दिये गये आवेदन-पत्र तथा वाइस रिकार्डर को पंच साक्षियों के समक्ष रखा गया तथा वाइस रिकार्डर को बार-बार चलाकर रिश्वत मॉंग वार्ता संबंधी, बातचीत की ट्रान्सक्रिप्ट तैयार की गई, जिसमें रिकार्डेट आवाजों को फरियादी ने सुनकर बताया कि, कौन सी आवाज उसकी और कौन सी आवाज आरोपीगणों की है।
इसके बाद लोकायुक्त सागर के भृत्य के द्वारा फरियादी के द्वारा दिये गये 10000 रूपये जिसके प्रत्येक नोटों के दोनों तरफ फिनाप्थलीन पाउडर लगाया गया और कार्यालय के भृत्य से पाउडर लगे रिश्वती नोटों को फरियादी के पैंट की जेब में रखवाया गया, और फरियादी आवश्यक समझाइस दी गई कि, आरोपीगणों को देने के पहले इन नोटों को न तो छुये और न ही आरोपीगणों से हाथ मिलाएगा और जब आरोपीगण रिश्वत के रूपये ले लें तो सिर पर हाथ फेर कर रिश्वत लेन-देन का इशारा कर देगा।
इसके बाद रिश्वत लेन-देन के समय होने वाली बातचीत को रिकार्ड करने के लिये फरियादी को पुन: एक वाइस रिकार्डर प्रदान किया गया कार्यवाही के दौरान फरियादी ने बताया कि, रिश्वत का लेन-देन जिला शिक्षा अधिकारी, कार्यालय जिला-पन्ना में होना है, इसके बाद दिनांक 02.01.15 को ट्रेप पार्टी जिला-पन्ना के लिये रवाना हुई।
ट्रेप पार्टी के सदस्य जिला शिक्षा अधिकारी, कार्यालय के पास पहॅुचकर अपने वाहन से उतर गये तथा फरियादी को आरोपीगणों से संपर्क करने एवं रिश्वत देने के लिये भेजा गया, ट्रेप दल के सभी सदस्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, के आस पास अपनी उपस्थिति छिपाते हुये खडे हो गये तभी थोडी देर बाद फरियादी रवि शंकर डनायक ने कार्यालय से बाहर आकर सिर पर हाथ फेरकर रिश्वत लेन-देन हो जाने का इशारा किया तब ट्रेप दल के सदस्य आरोपीगणों के कार्यालय के अंदर पहुचे जहां पर आरोपी महेद्र द्विवेदी जिला शिक्षा अधिकारी एवं उनका स्थापना लिपिक आरोपी खुमान प्रजापति उपस्थित थे, जिन्हें ट्रेप दल ने अपने घेरे में ले लिया।
लोकायुक्त की टीम को देखकर आरोपी स्थापना लिपिक खुमान प्रजापति ने रिश्वत राशि अपने फुल पेंट की दाहिनी जेब से निकालकर कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर रख दिया, इसके बाद सोडियम कार्बोनेट का घोल तैयार करवाकर आरोपी स्थापना लिपिक खुमान प्रजापति के हाथों की उगलियों को धुलवाया गया तो घोल का रंग हल्का गुलाबीं हो गया, दूसरे आरोपी महेन्द्र द्विवेदी की हाथों की उगलियों को घोल में धुलाने पर घोल का रंग, रंगहीन मटमैला हो गया, इसके बाद पंचसाक्षियों द्वारा रिश्वत राशि को कम्पयूटर के की-बोर्ड से उठाकर बरामद किया गया जो 10000 रूपये थे इसके बाद पुन: घोल तैयार कराकर फरियादी रवि डनायक के हाथों की उगलियो को धुलवाया गया तो घोल का रंग गुलाबी हो गया।
आरोपी महेन्द्र द्विवेदी, जिला शिक्षा अधिकारी, पन्ना एवं आरोपी खुमान प्रजापति, स्थापना लिपिक, कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, पन्ना के विरूद्ध धारा 7,12,13(1) डी 13(2), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, का अपराध पंजीबद्ध कर, अग्रिम विवेचना उपरांत अभियोग-पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
प्रकरण का विचारण, माननीय न्यायालय श्री अनुराग द्विवेदी, विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) जिला-पन्ना (म.प्र.) के न्यायालय में हुआ। जिसमें अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और न्यायिक-दृष्टांतों के आधार पर, माननीय न्यायालय नें आरोपीगणों को दोषी पाया। माननीय न्यायालय से अभियोजन के द्वारा आरोपीगणों को कठोर से कठोर दंड से दंडित किये जाने का निवेदन किया गया, माननीय न्यायालय द्वारा अभियोजन के तर्को से सहमत होते हुये अभियुक्तगण क्रमश:-
1.महेन्द्र द्विवेदी पिता श्री महावीर प्रसाद द्विवेदी, (जिला शिक्षा अधिकारी, पन्ना)
2.खुमान प्रजापति पिता श्री बारेलाल प्रजापति,(स्थापना लिपिक, कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी पन्ना)
दोनों अभियुक्तगणों को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 4-4 साल का सश्रम कारावास और 5000-5000 रूपये व धारा 13 (1) डी में 4-4 साल का सश्रम कारावास और 5000-5000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री प्रवीण कुमार सिंह, जिला लोक अभियोजन अधिकारी, पन्ना द्वारा की गई।
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