
✎ शिव कुमार त्रिपाठी
(शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना टाइगर रिजर्व में फिर एक टाइग्रेस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है 10 दिन पूर्व हुई टाइगर T-1 की मौत ने मामले को संदिग्ध बना दिया है क्योंकि नेशनल हाईवे 39 लगे जंगल छेत्र के 30 मीटर अंदर मनोर गांव के पास टाइगर का कंकाल मिला है इस घटना से पन्ना टाइगर रिजर्व रिजर्व प्रबंधन की बड़ी लापरवाही उजागर हो रही है क्योंकि नेशनल हाईवे के नजदीक टाइगर की मौत हो गई और मैदानी अमले को पता ही नहीं चला पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर बृजेंद्र झा ने की मौत की पुष्टि हैं
पन्ना में फिर से लायी गयी बांधवगढ़ की पहली बाघिन का निधन हो गया। उसकी उम्र 14-15 साल के आसपास रही होगी। जितनी भी बाघिनें देखीं उनमें से बहुत शांत और सबसे शांत। जब टीम पन्ना मायूस थी तब वह खुशियां लेकर आई थी। इसी की संतानों ने ही पन्ना को आबाद किया है यह टाइगर फाउंडर मेंबर है इसे बांधवगढ़ नेशनल पार्क से लाकर पन्ना में छोड़ा गया था
इस अति महत्वपूर्ण टाइगर के गले में रेडियो कलर होने के बाद भी पार्क प्रबंधन को मौत का पता नहीं चलाना बड़ी लापरवाही को उजागर कर रहा है टाइगर की मौत की जानकारी लकड़ी बीनने गए मजदूरों ने दी जानकारी दी जबकि मैदानी अमला बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में तैनात है
एक जमाने में बाघ विहीन हो चुकी पन्ना लैंडस्केप में 2 माह में पन्ना के तीन टाइगर की मौत गंभीर चिंता का विषय इस घटना ने वन्यजीव प्रेमियों को हल हिला कर रख दिया है
हालांकि पन्ना टाइगर रिजर्व फील्ड डायरेक्टर बृजेंद्र झा इस घटना को नेचुरल मौत का अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन करीब 10 दिन पूर्व टाइगर की मौत हो जाने और प्रबंधन को पता ना चलने पर उनके पास कोई जवाब नहीं है
ज्ञात हो कि 2009 में बाघ विहीन होने के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में बाहर से बाघ लाकर बस आने पर पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने में अहम भूमिका निभाने वाली तथा पन्ना में सबसे पहले बाघ शावक को जन्म देकर खुशियां मनाने का अवसर देने वाली बुजुर्ग बाघिन टी 1 नहीं रही। हम इस बाघिन के अभूतपूर्व योगदान को पूरे सम्मान के साथ याद करते हैं।