✎ शिव कुमार त्रिपाठी
एक माह के अंदर 2 टाइगरो की हुई मौत
दोनों के सडे-गले क्षत-विक्षत मिले थे शव
गंभीर लापरवाही हो सकती है उजागर
चिंता का विषय कहीं 2009 की और तो नहीं चल पड़ा पन्ना
(शिवकुमार त्रिपाठी) लगता है पन्ना टाइगर रिजर्व का विवादों और बाघों की मौत से चोली दामन का साथ हो गया है अब एक बार फिर बाघों के मरने और गायब होने का सिलसिला शुरू हो गया 2 बाघों की क्षत-विक्षत लाश 1 माह के अंदर टाइगर रिजर्व के कोर जोन एरिया में ही मिली है जिससे लोगों की चिंताएं और गंभीर हो गई हैं बाघों की लगातार हो रही मौतों के मामले में खजुराहो से सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने संज्ञान लिया है और उन्होंने गंभीर चिंता प्रकट की कहा कोर जोन में रेडियो कॉलर टाइगर की सड़ी गली लाश मिलना गंभीर लापरवाही है इस पर मैंने वन मंत्री से बात की है और पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों पर कठोर कार्यवाही करने को कहा है
विष्णु दत्त शर्मा ने खास बातचीत में बताया कि पन्ना के बाघ बुंदेलखंड के लिए पहचान है टाइगर रिजर्व में सरकार ने बहुत मेहनत कर बाघों को फिर से बसाया है जो प्रयोग पूरी दुनिया में सफल नहीं हुए वह पन्ना की धरती में किए गए और सफल रहे जिससे बाघों का संसार फिर आवाद हो रहा है ऐसे में बाघों की मौत गंभीर चिंता का विषय है विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि वन मंत्री से कहकर इसकी तत्काल जांच करा कर कार्यवाही करा रहे हैं किसी को भी मुगालते में नहीं रहना चाहिए टाइगरों के साथ खिलवाड़ किसी भी कीमत में खिलवाड़ स्वीकार नहीं किया जाएगा
ज्ञात हो कि कल ही गहरी घाट के मझौली में एक युवा बाघ की 5 दिन पुरानी सड़ी गली क्षत-विक्षत लाश मिली थी और इसके पहले रामपुरा में रेडियो कॉलर पहने हुए ब्रीडिंग टाइगर की मौत हो गई थी रेडियो कॉलर पहने होने के बावजूद इस टाइगर का पता लगाने में भी प्रबंधन असफल रहा और कई दिनों बाद इसकी भी सड़ी लाश मिली थी
इस टाइगर के पीछे 24 घंटे पार्टी लगी रहती थी इसके बावजूद मौत का पता नहीं लगाया जा सका जबकि वीडियो कॉलर ने डैड सिग्नल देना शुरू कर दिया था मतलब साफ है कि जो उच्च तकनीकी से निगरानी की जा रही है उसको भी देखने वाला कोई नहीं है
अपनी गलती छुपाने बाघों की डेंसिटी ज्यादा होना बताने की तकनीकी कोशिश
पन्ना टाइगर रिजर्व का लापरवाह प्रबंधन अब अपने आप को बचाने के लिए कोर जोन एरिया में बाघों की संख्या ज्यादा बता रहा है मुद्दे को तकनीकी बातों में उलझाने की कोशिश है क्योंकि पन्ना टाइगर रिजर्व का कुल एरिया 543 वर्ग किलोमीटर है और पूरे बाघ इसी में होने की बताने कोशिश की जा रही है जबकि इसके पहले जब टाइगर कम हुए थे तो कहा जा रहा था कि कोर जोन एरिया को छोड़कर पन्ना लैंडस्केप के बाहर टाइगर चले गए प्रबंधन इस बात को छुपा रहा है कि टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के अलावा 100 वर्ग किलोमीटर की ग सेंचुरी किन घड़ियाल सेंचुरी के साथ ही 925 वर्ग किलोमीटर का बफर जोन भी इसी टाइगर रिजर्व से लगा है इसके अलावा पन्ना लैंडस्केप में बाघों के अच्छे रह वास और सुरक्षित जंगल हैं जहां बाघ रह सकते हैं प्रेस नोट में प्रबंधन ने अपनी गलती छुपाने बाघों की संख्या ज्यादा बता दी जिससे यह सिद्ध है कि जानबूझकर बड़ी लापरवाही की जा रही है
अधिकारियों के घरों में बर्तन झाड़ू पोछा करते हैं टाइगर पार्टी के कर्मचारी
पन्ना टाइगर रिजर्व में जिन बाघो के गले में रेडियो कॉलर लगाए गए हैं उनके साथ 24 घंटे पेट्रोलिंग पार्टी चलती है और उनका सिग्नल लेकर हर गतिविधि का अध्यन किया जाता है लेकिन रामपुरा में जो बाघिन मरी मिली थी उसके साथ पेट्रोलिंग पार्टी ही नहीं थी तभी तो उसकी लाश सड़ गई जानकार बताते हैं कि पेट्रोलिंग पार्टी में काम करने वाले कर्मचारी अधिकारियों के घरों में झाड़ू पोछा और बर्तन धुल रहे हैं एक एक अधिकारी अपने घरों में 5-5 कर्मचारी लगाए हुए हैं इनकी ड्यूटी पेट्रोलिंग पार्टी में होती है और सभी अधिकारियों की घरों में झाड़ू पोछा और बर्तन भूलने का काम कर रहे जिम्मेदार लोगों को इस पर भी गंभीरता से जांच करनी चाहिए जितने भी कर्मचारी लगे हुए हैं सभी की उपस्थिति मोबाइल के माध्यम से कॉल कर या मिस्ड कर लगाई जानी चाहिए जिससे कहीं से वेतन निकलना और किसी के घर में नौकर का काम करने का खेल बंद हो जाएगा
2009 में हो गया था बाघ विहीन
पन्ना में कभी 30 बाघ हुआ करते थे इसके बाद टाइगर रिजर्व की में लापरवाही हुई और सभी बाघ मारे गए और 2009 में बाघ बिहीन हो गया इसके बाद 5 नर और मादा टाईगरो को लाकर यहां छोड़ा गया और पुनः बाघ बसाने की सफल कोशिश हुई अब बाघों की संख्या 50 से अधिक हो गई है लेकिन जिस तरह से लगातार बाघ मर रहे हैं और अधिकारी अपने वातानुकूलित आवासों में सुरक्षित बैठे कोरोना से बचने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे में लग रहा है कि यह बड़ी गंभीर लापरवाही हो सकती है और बाघो के जीवन को खतरा पैदा हो सकता है परिस्थितियों को देखकर लगने लगा है कि ऐसा तो नहीं पन्ना टाइगर रिजर्व फिर 2009 की ओर चल पड़ा हो