
✎ शिव कुमार त्रिपाठी
″ फील्ड डायरेक्टर नरेश यादव ने किया पर्यटन सीजन का शुभारंभ

(शिवकुमार त्रिपाठी) पन्ना देश दुनिया में अपने खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य और बाघों के लिए प्रसिद्ध है पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच बहती केन नदी यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देती है इसीलिए देश ही नहीं विदेश से भी सैलानी यहां का सौंदर्य देखने दौड़े चले आते हैं पर्यटकों के लिए अब पन्ना टाइगर रिजर्व खोल दिया गया है प्रथम दिवस मात्र सुबह का पर्यटन कराया गया पर आज फुल हाउस रहा जितनी क्षमता है उतने टूरिस्ट घूमने के लिए पहुंचे और यहां की सुंदरता देख अभीभूत हो गए टाइगर रिजर्व की खूब प्रशंसा की है

पर्यटको को जंगल के राजा के दर्शन का इंतजार था इसी उत्साह से टूरिस्ट पहुंचे भी थे मडला, हिनौता, और अकोला गेट से टूरिस्टो ने प्रवेश किया पूरे जंगल में घूमते रहे पर कहीं भी बाघ का दीदार नहीं हुआ टाइगर को न देख पाने का टूरिस्टो को कष्ट है यहां के सौंदर्य से लोग अभीभूत हो गए, फील्ड डायरेक्टर नरेश यादव ने बताया कि हमारे पर्यटन सीजन का शुभारंभ हो गया है हमने सुबह से टूरिस्टो के आगमन की तैयारी कर रखी थी सुबह 5:00 विधिवत ओपनिंग सेरिमनी कर टूरिस्टो को प्रवेश दिया गया आज सभी गेट फुल थे विदेशी सैलानी भी शेयरिंग पोजीशन पर टाइगर रिजर्व भ्रमण करने आए हैं, फील्ड डायरेक्टर ने विश्वास जताया की बड़ी संख्या में इस सीजन में टूरिस्ट आएंगे और बाघ के प्राकृतिक रहवास और वाइल्डलाइफ का दर्शन करेंगे

बरसात अभी भी हो रही है जिससे रास्तों में ज्यादा मिट्टी कटाव हो जाने के कारण रास्ते खराब होने की संभावना थी पर्यटकों और गाइड को उम्मीद थी कि इस बार लगातार पानी बरस रहा है जिस रास्ते खराब होंगे पर ऐसा देखने को नहीं मिला जो गाइड अपने टूरिस्ट को लेकर पहुंचे उन्होंने बताया कि इस बार हमेशा से ज्यादा अच्छी सड़के हैं आवागमन में कोई परेशानी नहीं हो रही है

टाइगर टूरिस्टो का सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है अधिकतर लोग पन्ना टाइगर रिजर्व में सिर्फ बाघ देखने आते हैं जब बाघ के दर्शन नहीं होते तो शैलानी निराश भी होते हैं पर लोगों को यहां सिर्फ टाइगर देखने नहीं आना चाहिए वन्यप्राणी यहां की पूजी है जो जंगल की खूबसूरती बढ़ाते है पन्ना टाइगर रिजर्व में बहुत सी ऐसी जगह है जहां प्रकृति को बहुत नजदीक से देखने सुनने और समझने का अवसर प्राप्त होता है

पन्ना टाइगर रिजर्व के स्थापना का इतिहास जटिल है, जिसमें 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का गठन किया गया इसके बाद पन्ना राज परिवार के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व सांसद विधायक लोकेंद्र सिंह के प्रयास से 1994 में टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलना, यहां का बुंदेली बाघ देश दुनिया में फेमस हो गया था पर 2009 में अवैध शिकार के कारण बाघ पूरी तरह खत्म हो गये और पन्ना की हर जगह बदनामी होने लगी पूरा जंगल बाघ विहीन हो गया था बुंदेली जींस का बाघ सदा सदा के लिए ख़त्म में भी हो गया है फिर 2009 से शुरू हुए बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम के तहत नए बाघों को लाकर छोड़े गए, उनकी आबादी को सफलतापूर्वक फिर से स्थापित किया गया है पूरी दुनिया में पन्ना एकमात्र जगह है जहां रीलोकेशन संभव हो पाया है गैर जंगली बाघों को भी जंगली बनाकर यहां वंश वृद्धि की गई है अब 100 से अधिक टाइगर पन्ना की लैंडस्केप में दहाड़ लग रहे हैं

पन्ना भारत का 22वाँ टाइगर रिजर्व है यह क्षेत्र कभी पन्ना, छतरपुर और बिजावर रियासतों के शासकों का शिकारगाह हुआ करता था यहां के राजा अपने मेहमानों को प्रसन्न करने के लिए बाघों का शिकार करते थे, संस्थापक सदस्य लोकेंद्र सिंह ने स्वयं अपने पिता और मेहमानों की मौजूदगी में कई बाघ मारे हैं प्रतिबंध के बाद भी यही परंपरा धीरे-धीरे चोरी छुपे चलती रही कई लोगों ने बैगन का अवैध शिकार और व्यापार किया जिस कारण से
2008-2009: पन्ना से बाघों का लगभग पूरी तरह सफाया हो गया, जिससे क्षेत्र बाघ विहीन हो गया था इसके बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम 2009 में शुरुआत से पन्ना टाइगर रिजर्व को उसका गौरव वापस दिलाने के लिए बाघ पुनर्स्थापना कार्यक्रम शुरू किया गया बाघों का स्थानांतरण कान्हा टाइगर रिजर्व और अन्य जगहों से बाघिनों और बाघों को लाकर पन्ना में छोड़ा सफल पुनर्स्थापना इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, पन्ना में बाघों की संख्या फिर से बढ़ने लगी

वर्तमान में पन्ना में बाघों की अच्छी खासी आबादी है जो इस क्षेत्र को बाघ संरक्षण के लिए एक सफल कहानी बनाती है अब इतने अधिक बाग हो गए हैं कि नेशनल हाईवे और सड़कों के किनारे और खेतों में भी टाइगर दिखाई देने लगे हैं

फील्ड डायरेक्टर नरेश यादव छतरपुर के सीसीएफ है अतिरिक्त प्रभार होने के कारण भी अक्सर पन्ना टाइगर रिजर्व का भ्रमण करते हैं पर सच्चाई यह है कि मैदानी अमला अब फील्ड में काम नहीं कर रहा है सभी रेंज ऑफिसर नए हैं फॉरेस्ट से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अब रेंज ऑफिसर मैदान में काम और गस्ती के लिए नहीं जाते, बाघों की सुरक्षा भगवान भरोसे है यही कारण है कि बाहरी और अनाधिकृत लोगों का हस्तक्षेप जंगल में बढ़ने लगा है, फील्ड डायरेक्टर नरेश यादव यदि मैदानी अधिकारियों पर कसाबट नहीं करेंगे तो निश्चित ही इसके परिणाम अच्छे नहीं आएंगे